इस माह के अन्त में पंडित जी को गांव जिया सराय, दिल्ली में श्रीमान् अमर यादव ने बुलवाया। उन्होंने अपने प्रस्तावित नवीन घर के दो मंजिले नक्शे को दिखाया, जिससे शुरू में ही इसे यथासंभव वास्तुनुरूप बनाया जा सके एवं बाद में तोड़-फोड़ से बचा जा सके। फ्यूचर समाचार के प्रबुद्ध पाठकों के लाभार्थ उनसे हुई बातचीत का संक्षेप में वर्णन किया जा रहा है।
1. घर के पश्चिम में मार्ग है जो उत्तम है।
2. मुख्य द्वार पश्चिम / वायव्य कोण में है जो कि परिवार में सामंजस्य के लिए अति उत्तम है।
3. दिए गए नक्शे अनुसार रसोई का क्षेत्र आग्नेय कोण में दक्षिण की ओर से बढ़ा हुआ है। दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हंै कि सीढ़ियों की तरफ से नैर्ऋत्य कोण कटा हुआ है। ये दोनों ही स्थितियां मान्य नहीं हंै। इनके कारण लंबी बीमारियाँ, अग्नि कांड, दुर्घटनाएं, धोखाधड़ी एवं मुकद्दमेबाजी की संभावना है। इन सबसे बचने के लिये यह अति आवश्यक है कि नैर्ऋत्य एवं आग्नेय कोण 90 डिग्री पर आधारित हो।
4. इसी प्रकार ईशान कोण भी कटा हुआ है जिसके कारण संतान की प्राप्ति में कठिनाई रह सकती है और परिवार में सभी सदस्य कई प्रकार के कष्ट और चिंताओं से विचलित रहेंगे।
भूतल 1. पार्किंग की स्थिति ठीक है। पाकशाला की स्थिति अति उत्तम है। सूक्ष्म वास्तु के अनुसार सिंक की स्थिति भी ठीक है, परंतु गैस चूल्हे को पूर्व की ओर करने की आवश्यकता है, ऐसा करने से गृहिणी का मुख खाना पकाते समय पूर्व की ओर रहेगा। पूर्व की ओर मुख करके खाना बनाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। जो स्थिति गैस चूल्हे की इस समय है उस कारण धन का अधिक खर्चा और मानसिक पीड़ा हो सकती है। अगर संभव हो सके तो नैर्ऋत्य कोण को बंद कर दिया जाना चाहिए। वर्तमान स्थिति के अनुसार नैर्ऋत्य कोण खुला होने के कारण काम करने वाली बाई भी टिक नहीं पाती।
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