1. केमद्रुम योग
ज्योतिष शास्त्र के दुर्लभ ग्रंथ
मानसागरी के अनुसार जब चंद्र
किसी ग्रह से युत न हो, चंद्र से
द्वितीय तथा द्वादश स्थान में जब
कोई ग्रह न हो तथा शुभ ग्रह चंद्र
को न देखते हों तो ‘‘केमद्रुम योग’’
की रचना होती है। राजयोग और
मंगलकारी योग जन्मपत्रिका में चाहे
जितने निर्मित होते हों परंतु यदि
एक ‘केमद्रुम योग’ बनता है तो सारे
राजयोग और मंगलकारी योग उसी
प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे एक सिंह
सारे गजसमूह को भगा देता है। यह
योग दुःख का मूल है।
इस योग के प्रभाव के कारण जातक
के एकत्रित धन का नाश होता है,
पुत्र व पत्नी संबंधी पीड़ा देता है।
जातक निर्धन, इधर-उधर भटकता है
तथा धन प्राप्ति हेतु दर-दर भटकता
है परंतु धन एकत्रित नहीं होने देता।
केमद्रुम योग निवारण हेतु
टोटके
- सोमवार के दिन (शुक्ल पक्ष के
प्रथम) सफेद धागे में प्राण प्रतिष्ठित
सिद्ध चंद्र यंत्र धारण करें।
- किसी भी शनिवार के दिन ‘‘सिरनी
वृक्ष की जड़’’ को आमंत्रित कर
रविवार को प्रातःकाल लाकर चांदी
के ताबीज में भरकर सफेद धागे में
ताबीज को गले में धारण करें।
- किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के
सोमवार से प्रारंभ कर 4 सोमवार
लगातार सवा चार किलो चावल, नए
सफेद वस्त्र में बांधकर बहती हुई
नदी में प्रवाहित करें।
2. शकट योग
गुरु से चंद्र षष्ठ, अष्टम या द्वादश
स्थान पर हो और चंद्र केंद्र स्थानों
में न हो तो ‘‘शकट योग’’ बनता है।
इस योग में जन्मे जातक दुर्भाग्यशाली
होते हैं। इनके पास हमेशा धन का
अभाव रहता है। जीवन में बहुत सारे
उतार-चढ़ाव आते हैं। सगे-संबंधी
भी संकट के समय सहायता नहीं
करते हैं।
शकट योग
निवारण हेतु टोटके
- ‘‘सिनवार वृक्ष के पत्ते’’ शुक्ल पक्ष
के सोमवार को चांदी के ताबीज में
भरकर, सफेद धागे में ताबीज को
डालकर गले में धारण करें।
- पलंग या चारपाई के चारों पायों में
सोमवार को चंद्र उदय होने के बाद
रात्रि को ‘‘चांदी की कली’’ लगावें।
- ओलों (आसमानी बर्फ) को कांच
की सफेद शीशी में भरकर घर में
रखें।
3. दुर्भाग्यशाली योग
सूर्य नीच राशि का पीड़ित होकर
यदि केंद्र स्थानों (1, 4, 7, 10) में हो
तथा लग्नेश बलहीन हो।
मिथुन लग्न में सूर्य वृष, वृश्चिक या
मकर राशि में हो।
कर्क लग्न में सूर्य मिथुन या कुंभ
राशि में हो।
सिंह लग्न में सूर्य कर्क,
मकर या मीन राशि में हो
तो यह योग घटित होता
है।
विशेष: इस योग की
सार्थकता केवल वृष लग्न,
वृश्चिक लग्न तथा मीन
लग्न में पूर्णरूप से घटित
होती है। केंद्र वाली बात
केवल मेष, कर्क, तुला एवं
मकर लग्न पर लागू होती है।
इस योग के प्रभाव से अरबपति
परिवार में जन्मा जातक खाकपति
बन जाता है। उसे रुपयों के लिए
दूसरों के समक्ष हाथ पसारना पड़ता
है। पिता के चमकते व्यवसाय को
जन्म लेते ही तबाह कर देता है। हर
वक्त अपने आपको तबाही के आलम
में पाता है। लोग उसका मजाक
उड़ाते हैं और वह जीवित शव के
समान जीवन यापन करने पर मजबूर
हो जाता है।
दुर्भाग्य निवारण हेतु टोटके
- हर सोमवार को कच्चा दूध
शिवलिंग पर चढ़ावें।
- दूध से भरा गिलास रात को
सिरहाने की तरफ रखें तथा प्रातः
बबूल के वृक्ष की जड़ में डालें।
- प्रत्येक माह की पूर्णिमा को गंगा
स्नान करें।
- चांदी का चंद्रमा सोमवार के दिन
सफेद धागे में डालकर गले में धारण
करें।
4. राजदंड से संपत्ति नाशक योग
यदि धनेश और लाभेश दोनों षष्ठ,
अष्टम या द्वादश स्थान में हों तथा
मंगल एकादश व राहु द्वितीय भाव
में हों।
लग्नेश अल्पबली हो, धनेश सूर्य से
युत होकर द्वादश भाव में हो, द्वादश
नीच राशिगत या पाप दृष्ट हो तो यह
योग निर्मित होता है। ऐसे जातक का
राजदंड से धन का नाश होता है।
उपरोक्त योगों में जन्मे जातक
मुकदमे में अत्यधिक धन व्यय करने
के बावजूद भी मुकदमा हार जाता
है, जेल जाना पड़ता है। यदि
जातक शासकीय सेवा में है तो उच्च
अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित होता
है और उसे नौकरी से हटने का
खतरा भी बना रहता है। अधिकारी
नाराज होकर उसका अनिष्ट करते
हैं। आयकर से जुर्माना लगने का
भय और छापा पड़ने का भय बना
रहता है। कुल मिलाकर इस योग
में जन्मे जातक को राज्य के द्वारा
दंडित होना पड़ता है जिसका सीधा
प्रभाव जातक की आर्थिक स्थिति पर
पड़ता है।
राजदंड निवारण हेतु
टोटके
- 11 रविवार का व्रत रखें व
रविवार को नमक का सेवन
न करें।
- चरित्र (चाल-चलन व
व्यवहार) ठीक रखें।
- 5 रविवार को सवा किलो
गुड़ बहती नदी में बहावें।
- प्राण-प्रतिष्ठित सिद्ध सूर्य यंत्र
गले में रविवार के दिन धारण करें।
5. महादरिद्री योग
- यदि लाभेश षष्ठ, अष्टम या द्वादश
स्थान में हो साथ ही लाभेश नीच का
हो, अस्त हो या पाप पीड़ित हो तो
जातक महादरिद्र होता है।
- तृतीयेश, नवमेश व दशमेश यदि
निर्बल, नीचराशिगत या अस्त हो तो
जातक को भिक्षुक योग बनता है।
दशम भाव का स्वामी यदि षष्ठ,
अष्टम या द्वादश में हो।
- इस योग के कारण जातक को अपने
परिश्रम का पूर्ण फल नहीं मिलता।
धन अभाव की पीड़ा हमेशा बनी रहती
है। ऐसा जातक धन के लिए दूसरों
से याचना करता रहता है। उपरोक्त
चारों योग अति निष्कृट योग हैं।
दरिद्रता निवारण हेतु टोटके
- घर के पूजा-स्थल पर प्राण
प्रतिष्ठित सिद्ध श्रीयंत्र स्थापित करें
और प्रतिदिन सुबह-शाम धूप व
गौघृत का दीपक जलावें।
- चांदी के गिलास में ही जल या
कोई पेय पदार्थ पीयें।
- सूर्यास्त के पश्चात दूध न पीयें।
- हर सोमवार को बबूल के पेड़ की
जड़ में दूध चढ़ायें।
- हर पूर्णिमा को तीन सफेद फूल
बहती नदी में बहायें।
6. ऋणग्रस्त योग
धन स्थान में पाप ग्रह हो, लग्नेश
द्वादश भाव में हो, लग्नेश नवमेश
या लाभेश से युत या दृष्ट हो तो
ऋणग्रस्त योग की रचना होती है।
धनेश अस्तगत और नीचराशि का
हो, धन स्थान और अष्टम स्थान पाप
ग्रह युत या पापग्रस्त हो तो यह योग
निर्मित होता है।
इस योग से ग्रस्त जातक हमेशा
ऋणग्रस्त रहता है। एक कर्ज उतरेगा
तो दूसरा कर्ज तत्काल चढ़ जायेगा।
हर समय बाधाओं से घिरा रहता है
तथा शत्रुगण तबाही मचाते रहते हैं।
ऋण मुक्ति हेतु टोटके
- शनिवार के दिन अश्लेषा नक्षत्र
में बरगद के पत्ते को आमंत्रित कर
रविवार को लाकर लाल वस्त्र में
लपेटकर पूजा स्थल पर रखें।
- माता लक्ष्मी के चित्र या प्रतिमा के
समक्ष धूप-दीप जलाकर दोनों हाथ
जोड़ कर पांच मिनट तक ‘‘ऊँ श्रीं
नमः’’ का जाप करें।
- देवदार का चूर्ण, इलायची, खस,
अमलतास, कुमकुम, मेनसिल तथा
कमल पुष्प की पंखुड़ियां तथा शहद
जल में डालकर सात रविवार स्नान
करें।
- प्राण प्रतिष्ठित सिद्ध श्रीगणेश व
बगलामुखी यंत्र संयुक्त रूप से लाल
धागे में डालकर गले में धारण करें।
7. पैतृक संपत्ति न मिलने का योग
मेष राशि में चंद्र, धनु राशि में सूर्य,
मकर राशि में शुक्र तथा कुंभ राशि
में शनि हो तो यह योग बनता है।
ऐसे जातक को दादा या पिता की
अर्जित संपत्ति नहीं मिलती है। ऐसा
जातक स्वयं के पराक्रम से संपत्ति
अर्जित करता है।
पैतृक संपत्ति मिलने हेतु टोटके
- केशर का तिलक लगायें।
- पीला धागा हमेशा गले में धारण
करें।
- मंदिर निर्माण के कार्य हेतु रेता
(बालू या बजरी) दान करें।
- मिट्टी का खाली घड़ा छः बुधवार
लगातार बहती नदी में बहायें।
8. नौकरी, कृषि, व्यापार या
व्यवसाय तथा दुर्घटना आदि में
अकस्मात धन हानि योग
- यदि धनेश अष्टम, द्वादश भाव में
होकर पापग्रस्त हो।
- अष्टम भाव में कोई ग्रह वक्री होकर
स्थित हो।
- अष्टमेश शत्रु क्षेत्री हो।
- अष्टमेश वक्री होकर कहीं भी स्थित
हो।
- गुरु द्वादश भाव में हो एवं धनेश
बलहीन हो तथा लग्न पर शुभ ग्रह
की दृष्टि न हो।
- अष्टम भाव में कोई ग्रह नीच का हो
एवं अस्तगत हो।
- गोचर में राहु का अष्टम भाव में
भ्रमण हो या राहु या अन्य पाप ग्रह
स्थित हो तो जातक को अचानक
धन की हानि होती है। काम-धंधे,
व्यापार-व्यवसाय में, नौकरी में या
कृषि में कोई कार्य ऐसा हो जाता
है कि अकस्मात धन की हानि
उठानी पड़ती है। मनुष्य के जीवन
में अकस्मात दुर्घटनायें होती हैं और
इन योगों के कारण धन का काफी
नुकसान होता है।
धन हानि, दुर्घटना से रक्षा हेतु
टोटके
- केले के वृक्ष की जड़ गुरुवार के
दिन सोने के ताबीज में भरकर पीले
धागे के साथ गले में धारण करें।
- पीले कनेर के फूल रोजाना गुरु
प्रतिमा या चित्र पर चढ़ायें।
- गुरुवार के दिन पीले वस्त्र मंदिर
में दान करें।
- चमेली के 9 फूल 9 गुरुवार
लगातार बहती नदी में बहायें।
- प्राणप्रतिष्ठित सिद्ध श्री गणेश तारा
संयुक्त यंत्र गले में धारण करें।