कृष्ण की रास लीला - या जीवन रस लीला
कृष्ण की रास लीला - या जीवन रस लीला

कृष्ण की रास लीला - या जीवन रस लीला  

पुनीता गुप्ता
व्यूस : 5451 | आगस्त 2016

रास लीला- कृष्ण रासलीला का नाम आते ही श्री कृष्ण भगवान जी की लीलाओं का चित्रण अंतर हृदय पटल पर उभर आता है। कृष्ण का नाचना, गाना, बजाना, घूमना, हंसना, मुस्कुराना सब वर्णन जिसने जितना पढ़ा या जाना है सब आंखों के सामने आ जाता है। क्या कभी सोचा है कि उन्होंने ऐसी लीला क्यों की ? क्या श्री कृष्ण हमेशा नाचते गाते रहते थे? नहीं - ऐसा नहीं है कि श्री कृष्ण हमेशा नाचते गाते रहते थे- यह तो उनके जीवन का बस एक हिस्सा था। भगवान श्री कृष्ण ने 16 साल तक रास लीला की जिसका उदेश्य मानव जीवन में इसे एक महत्वपूर्ण स्थान देना था क्योंकि यही रास लीला पूरे जीवन को प्रभावित कर जीवन को रसमय बना देती है। इसका सीधा अर्थ यह है कि आप अपने जीवन की प्रक्रिया को ही नृत्य बना लें। योगिक परंपरा में सृष्टि को हमेशा ऊर्जा या पांच भूतों के नृत्य के रूप में दर्शाया गया है।

आज वैज्ञानिक भी एक तरह से ऊर्जा का नृत्य के रूप में वर्णन करते हैं। इसी तरह सृजन एक नृत्य है और प्रलय भी एक नृत्य है। यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि सृष्टि में सब कुछ ऊर्जा का नृत्य है। यह नृत्य आनंदमय होगा या कष्ट देगा ये आप पर निर्भर करता है, क्योंकि आप में अपने विवेक का इस्तेमाल करके खुद को आनंदमय या दुखी बनाने की क्षमता है। लेकिन ऊर्जा का खेल हर समय चलता रहता है। कृष्ण लीला हमें यही सिखाती है - हर पल जागरूकता के साथ जीवंत होना न कि विवशता के साथ। जब परिस्थितियां आपको बेबस कर देती हैं, तब जीवंत होना बहुत मुश्किल हो जाता है, आप निस्तेज या सुस्त हो जाते हैं। अगर आप भी जीवन के साथ नृत्य करेंगे तो परिस्थितियां आप के वश में होंगी। अगर आपको लगता है कि जीवन को अपना नृत्य बदल देना चाहिए, तो आप इस प्रक्रिया में खुद को मार देंगे क्योंकि जब भी आप निस्तेज हो जाते हैं आप अनजाने में मौत को आमंत्रण दे रहे होते हैं।

आप जब-जब जीवन की परिस्थितियों या दिक्कतों से भागेंगे धीरे-धीरे निस्तेज हो कर मृत्यु को बुलावा देते हैं क्योंकि मृत्यु उसी पल नहीं आती, वो थोड़ा-थोड़ा करके किश्तों में आती है, तो जब-जब आप जीवन से बचना चाहेंगे-धीरे-धीरे आपके साथ मृत्यु घटित होगी। ज्यादातर लोग जवानी में वास्तव में जीवंत थे, लेकिन कुछेक लोगों को छोड़कर, उम्र बढ़ने पर उनमें पहले जैसी जीवंतता नहीं रहती जबकि वे कामयाब होते हैं और अपना जीवन पैसे, परिवार और बच्चों के साथ अच्छी तरह से जी रहे होते हैं, पर धीरे-धीरे रस रहित, गति रहित हो जाते हैं। लीला का लक्ष्य यही है कि आप हर दिन के 24 घंटे जीवंत बने रहें। आप इस बात का चयन न करें कि क्या अच्छा है और क्या अच्छा नहीं है या फिर इसका कि किसी चीज में भागीदारी करें या न करें।

अगर आप कुछ समय तक ऐसे रहें तो आप मृत्यु को दूर भगा देंगे और जीवन को ऊर्जावान बना लेंगे। जीवन ऊर्जा का नृत्य है। अगर आप खुद को जागरूकता से ऐसा करने देंगे तो आप भी जीवन के साथ नृत्य करेंगे। ये रासलीला हमारे जीवन का एक हिस्सा भी बन सकती है अगर आप चाहें । जीवन तो वैसे ही नृत्य तो कर ही रहा है। कुछ चीजें आपकी मर्जी से हो रही हैं कुछ नहीं। पर यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि आप जीवित हैं और आप जीवन के नृत्य का आनंद ले रहे हैं। यही जीवन की रास लीला है यही जीवन है यही श्री कृष्ण की रास लीला है। निरन्तर आनन्द की गति में रहो, हर समय जीवन की रास लीला का आनन्द लो।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.