हर कस्पल कुंडली में सर्वप्रथम बर्थ टाईम रेक्टीफिकेशन (जन्म समय का शुद्धिकरण) करना अनिवार्य है क्योंकि कस्पल कुंडली में जिस भी भाव का प्रोमिस/ पोटेंशियल पढ़ना हो तो उस विशिष्ट भाव के सब सब लाॅर्ड से पढ़ा जाता है। सर्वप्रथम लग्न के सब सब लाॅर्ड को फिक्स किया जाता है और उसी के अनुसार बाकी बचे भावों की रचना होती है। बर्थ टाईम रेक्टीफाई कर हम जन्म के उस क्षण तक पहुंचने का प्रयास करते हैं जब वास्तव में जातक जन्म लेता है। जन्म का क्षण वह माना जाता है जब बच्चा माँ से जुदा होता है या जब वह पहला सांस लेता है। जन्म के इसी क्षण तक पहुंचने के लिए कस्पल ज्योतिष के जनक श्रीमान एस. पी. खुल्लर जी ने कुछ ठोस नियमों की रचना की तथा जो नियम जन्म समय के शुद्धिकरण के लिए बनाए गए हैं, इस लेख के माध्यम से आपके सम्मुख प्रस्तुत हैः पहला विचार - बर्थ टाईम रेक्टीफिकेशन के लिए रुलिंग प्लैनेट्स की मदद ली जाती है। रुलिंग प्लैनेट्स का तात्पर्य है कि जब आप कुंडली की रेक्टीफिकेशन के लिए बैठें उस दिन और उस समय पर चन्द्र और लग्न की क्या पोजीशन है।
चन्द्र किसी राशि में किसी स्टार में किसी सब में और किसी सब सब में होगा और इसी प्रकार उस समय लग्न भी किसी राशि, स्टार, सब या सब-सब में होगा। इस प्रकार आपको चार ग्रह मून के रुलिंग के मिल जाएंगे तथा चार ग्रह लग्न के रुलिंग के मिल जाएंगे जिन्हें हम मून के रुलिंग प्लैनेट्स और लग्न के रुलिंग प्लैनेट्स के रुप में जानते है। अब धारणा यह है कि आप रुलिंग प्लैनेट लग्न की मदद से जातक (नैटल) की चन्द्र की पोजीशन को ठीक (correct) करेंगे और रुलिंग प्लैनेट मून की सहायता से आप जातक के लग्न की पोजीशन को फिक्स करेंगे क्योंकि नक्षत्र तथा नाड़ी ज्योतिष का सिद्धांत है कि गर्भाधान (conception) के समय भचक्र में चन्द्र किसी विशिष्ट पोजीशन में होगा तथा उसी विशिष्ट समय पर एक विशिष्ट लग्न का उदय होना भी निश्चित है। धारणा यह है कि किसी विशिष्ट गर्भाधान के समय जो स्थिति चन्द्र की होती है वह स्थिति जन्म के समय लग्न की बन जाती है तथा गर्भाधान के समय जो पोजीशन लग्न की होती है जन्म के समय लग्न की वही स्थिति जातक की चन्द्र पोजीशन बन जाती है। रुलिंग प्लैनेट्स को बर्थ टाईम रेक्टीफाई करने के लिए इस्तेमाल करने का विचार इसी विधि से लिया गया है।
दूसरा विचार (पहला नियम) लग्न के सब-सब लाॅर्ड का संबंध जातक के मून स्टार (चन्द्र नक्षत्र) से होना अनिवार्य है और यह संबंध तीन प्रकार से स्थापित होता है
1) मून स्टार जो भी ग्रह है वही ग्रह लग्न का सब-सब लाॅर्ड भी हो यानि कि अगर चन्द्र का नक्षत्र शनि है तो आप लग्न का सब-सब लाॅर्ड भी शनि रख सकते हैं।
2) उस विशिष्ट कुंडली में मून स्टार जिस भी नक्षत्र, सब या सब-सब में हो आप उस ग्रह को लग्न का सब-सब लाॅर्ड रख सकते हैं
3) कुंडली में जो भी ग्रह (9 ग्रहों में से) मून स्टार लाॅर्ड से संबंध स्थापित करेगा उसे आप लग्न का सब-सब लाॅर्ड फिक्स कर सकते हैं।
दूसरा नियम- सूर्य के को रुलिंग ग्रह (सह शासक) चन्द्र के को रुलिंग ग्रह और लग्न के को रुलिंग ग्रह यानि की सूर्य, चन्द्र और लग्न के राशि लाॅर्ड, स्टार लाॅर्ड, सब लाॅर्ड और सब-सब लाॅर्ड ये सभी ग्रह पहले भाव या सातवंे भाव या दसवें भाव को सिग्निीफाई करें और अगर ये सभी ग्रह पहले या सातवें या दसवें भाव के सिग्निफिकेटर बन जाएं तो और बेहतर है।
तीसरा नियम- लग्न के सब-सब लाॅर्ड फिक्स करने के साथ साथ आप जेनेटिकल संबंध (कनैक्शन) भी फिक्स कर सकते हैं। कुंडली में तीसरा भाव छोटे भाई या बहन का होता है। चैथा भाव माता का, पांचवां भाव पहली संतान का, सातवां दूसरी संतान का, नवां भाव पिता का और तीसरी संतान का तथा ग्यारवां भाव बड़े भाई या बहन का है। अगर आपके पास इन ऊपरलिखित संबंध का मून स्टार है तो आप क्रमशः तीसरे, चैथे, पांचवें, सातवें, नवें और ग्याहरवें भावों के सब- सब लाॅर्ड भी फिक्स कर सकते हंै। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आपने लग्न के सब-सब लाॅर्ड को फिक्स किया है।
चैथा नियम- इवेंट वेरिफिकेशन है। यदि आपके जीवन काल में कोई विशिष्ट घटना या दुर्घटना घट चुकी है तो आप उस विशिष्ट ईवेंट को कुंडली का बर्थ टाईम रेक्टीफिकेशन करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
पांचवां नियम -हो चुकी घटना के दिन जातक की दशा, भुक्ति, अंतरा, सूक्ष्म और प्राण के अलावा उस दिन का गोचर भी नोट करें तथा अगर जीवनकाल में कोई घटना घटी है या कोई ईवेंट (शुभ या अशुभ) घटित हुआ है तो आपकी कुंडली को यह दिखलाना अनिवार्य है कि उस विशिष्ट दिन और विशिष्ट समय पर यह इवेंट घटित हुआ। अगर आपकी कुंडली यह नहीं दिखलाती है तो निश्चित मानें कि आपकी कंुडली की बर्थ टाईम रेक्टीफिकेशन करने की आवश्यकता है क्योंकि इवेंट तो घटित हुआ है। शादी, बच्चे का जन्म, किसी संबंधी की मृत्यु, यात्रा इत्यादि कई प्रकार के इवेंट बीटीआर के लिए आपको मिल जाएंगे। इसके अलावा उस विशिष्ट इवेंट के दिन का प्रोग्रेशन भी बर्थ टाईम रेक्टीफिकेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।