लाल किताब पाठ-4
लाल किताब	पाठ-4

लाल किताब पाठ-4  

उमेश शर्मा
व्यूस : 8917 | अप्रैल 2011

नाबालिग ग्रहों वाली कुंडली : लाल-किताब पद्धति के अनुसार अगर कुंडलीे में केन्द्रस्थान यानि भाव नं0 1-7, 4-10 रिक्त हों या इन भावों में सिर्फ पापी (शनि, राहु या केतु के साथ हो या दृष्टि द्वारा मिल रहा हो) हों, या

1. शुक्र के साथ बृहस्पति या सूर्य या चंद्र या राहु हो,

2. शनि के साथ सूर्य या चंद्र या मंगल हो,

3. राहु के साथ सूर्य या चंद्र या मंगल या बृहस्पति हो,

4. केतु के साथ सूर्य या चंद्र या मंगल हो,

या

1-7-4-10 भावों में अकेला बुध हो। तो ऐसी कुण्डली को नाबालिग कुण्डली माना जाता है। इसके साथ साथ जातक की 12 वर्ष की उम्र तक की कुण्डलीे को भी नाबालिग माना जाता है। ऐसी स्थिति में एक से बारह वर्ष की आयु तक फलित देखने का एक अलग नियम है जो निम्न प्रकार से है :-

  • प्रथम वर्ष के लिए सप्तम भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • दूसरे वर्ष में चतुर्थ भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • तीसरे वर्ष में नवम भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • चतुर्थ वर्ष में दशम भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • पंचम वर्ष में एकादश भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • छठे वर्ष में तीसरे भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • सप्तम वर्ष में द्वितीय भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • अष्टम वर्ष में पंचम भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • नवम वर्ष में छठे भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • दशम वर्ष में द्वादश भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • एकादश वर्ष में प्रथम भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा।
  • द्वादश वर्ष में अष्टम भाव और उसमें स्थित ग्रहों का प्रभाव होगा। अगर विचारणीय भाव में कोई ग्रह न हो तो उस भाव में स्थित राशि का स्वामी जहां पर स्थित हो वहां से विचार करेगें। लेकिन

1. सूर्य अगर भाव नं. 1-5 या 11 में या बुध भाव नं0 6 में हो तो कुंडली बालिग होगी।

2. वर्षफल में सूर्य के लग्न में आने से पहले जो जो ग्रह वर्षफल में लग्न में आयेंगे वह ग्रह बालिग माने जायेगें।

3. वर्षफल के अनुसार सूर्य के लग्न में आने के बाद सारे ग्रह यानि कि कुंडली बालिग मानी जायेगी। जिसप्रकार नाबालिग कुंडली पर विचार करने का एक अलग नियम है उसी प्रकार उस कुंडली में धोखा देने वाले ग्रहों को भी देखने का अलग नियम है। कौनसा ग्रह कौन से वर्ष में धोखे का ग्रह होगा यह तालिका द्वारा जाना जा सकता है।

नोटः- मौत, पितृ और जन्मराशि के खानों में कोई ग्रह न होने पर राशि का मालिक जिस भाव में स्थित हो उस भाव के राशि के मालिक ग्रह को लेगें।

व्याखयाः-नाबालिग हालत में 12 साला धोखे के चक्कर का अवश्य ध्यान रखें क्योकिं धोखे का ग्रह अचानक अपना फल प्रदर्शित करता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा। उपरोक्त तालिका के अनुसार जो ग्रह साल नं. के हिसाब से धोखे का होगा उसको लग्न में स्थित एवं ग्रहफल का मानें तथा कुंडली में जिस भाव में बैठा हो उस भाव के स्वामी को राशिफल का मानें जिसका उपाय हो सकता है। नीचे दिये गये उदाहरण में कुंडली नं. 2 में, प्रथम वर्ष पर विचार करने पर धोखे का ग्रह सूर्य होगा जो कि सूत्र के अनुसार ग्रहफल का होगा और जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव में कन्या राशि में स्थित होने से चतुर्थ भाव का स्वामी चन्द्र राशिफल का होगा अर्थात इसकी सहायता से उस वर्ष के अशुभ फलों के (जो कि अगर धोखे के ग्रह द्वारा दिये जा रहें है) प्रभाव को कम किया जा सके।

यदि एक ही ग्रह ग्रहफल एवं राशिफल दोनों का ही फल दे रहा है तो उस कुंडली वाले का बुरा नहीं करेगा। माना कि धोखे का ग्रह सूर्य है और वह पंचम भाव में स्थित है तो ऐसा ग्रह कुंडली वाले पर बुरा असर ना देगा। अगर ध् ाोखा हुआ भी तो शुभ अर्थों में होगा अर्थात अच्छा फल ही देगा।

उदाहरण : नाबालिग ग्रहों वाली कुंडली

कुंडली नं0 1 में केंद्र में सिर्फ शनि, राहु और केतु के होने से यह कुंडली नाबालिग ग्रहों वाली मानी जायेगी। कुंडली नं0 2 में जातक की आयु 12 वर्ष से छोटी है अतः इस कुंडली पर 12 वर्ष तक नाबालिग कुंडली के नियम लागू रहेगें। देखें नं. 2 के जातक का जन्म 15 अक्तूबर 1998 को हुआ। प्रथम वर्ष के फलित को देखने के लिए हमने सूत्र के अनुसार सातवें भाव को देखा। उसमें कोई ग्रह नहीे होने से शुक्र (लाल किताब पद्धति के अनुसार कुंडली के सप्तम भाव में तुला राशि होती है) पर विचार किया जो कि जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव में सूर्य के साथ स्थित है, साथ ही धोखे का ग्रह देखने पर प्रथम वर्ष में धोखे का ग्रह सूर्य है जो कि चतुर्थ भाव में स्थित है। चतुर्थ भाव का स्वामी चन्द्र है तृतीय भाव में मंगल एवं राहु के साथ स्थित है परिणाम स्वरुप जातक जन्म के तीसरे दिवस से अचानक अस्वस्थ हुआ और वर्षपर्यन्त अस्वस्थ रहा।

नोटः अगर जातक की कुंडली में नाबालिग ग्रहों का प्रभाव है जिस प्रकार कुंडली नं0 1 में है, तो उस जातक को हमेशा किसी से सलाह लेकर काम करना चाहिए। चाहे कुंडली के ग्रह बालिग ही क्यों न हो जायें या जातक स्वयं 21 वर्ष का क्यों न हो जाये। यह सलाह वह अपने घर की दीवार से भी कर सकता हैं। -क्रमशः अगले अंक मे



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.