2 अगस्त (भौमवती अमावस्या): श्रावण कृष्ण अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहते हैं। इस वर्ष अमावस्या के साथ मंगलवार का संयोग होने से इस अमावस्या का महत्व बढ़ गया है। इस दिन किसी नदी या जलाशय में जाकर अपने पितरों के निमित्त तर्पण करने से तथा ब्राह्मणों को भोजन कराने से पितृजन शीघ्र प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त गंगा नदी में स्नान करने से सहस्र गोदान के समान फल प्राप्त होता है।
7 अगस्त (नागपंचमी): श्रावण शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। विशेष रूप से घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से दोनों ओर सर्पाकृति बनाकर उनका गंध, अक्षत, पंचामृत, पत्र, पुष्प से श्रद्धा पूर्वक पूजन करने एवं अन्त में खीर तथा मालपूए का भोग लगाने से वर्षभर तक सर्प आदि विषैले जीव-जंतुओं के भय से रक्षा होती है।
14 अगस्त (पवित्रा एकादशी व्रत): श्रावण एकादशी को पवित्रा एकादशी कहते हैं। विशेष रूप से इस दिन किसी सौभाग्यवती स्त्री से सूत कतवा कर त्रिगुणित बनाकर पवित्रक की लंबाई जंघा नाभि पर्यन्त रखें, उसमें यथा सामथ्र्य 360, 270, 180, 54 अथवा 27 गांठ लगाएं। उस पवित्रक को पंचगव्य से प्रोक्षण करके शंख के पानी के छींटे दें, उसे रातभर रखकर व्रत के दूसरे दिन भगवान को धारण करवाएं। विधि-पूर्वक व्रत उपवास करने से भगवान नारायण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
15 अगस्त (सोमप्रदोष व्रत): सोमवार के दिन प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि का संयोग होने से सोम प्रदोष व्रत होता है। वैसे तो सोम प्रदोष व्रत का विशेष माहात्म्य होता है लेकिन इस वर्ष श्रावण मास के सोमवार को यह संयोग होने से इस व्रत का अधिक गुणा शुभ फल होगा, इस दिन किसी पुष्प उद्यान में भगवान शंकर का पूजन करने से तथा रात्रि के दो घटी व्यतीत होने तक एक समय भोजन करने से भगवान शंकर बहुत प्रसन्न होते हैं तथा श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती है।