पिछले माह कलकत्ते के एक व्यापारी के घर का वास्तु निरीक्षण किया गया। उनसे बातचीत के दौरान मालूम हुआ कि उनकी पत्नी का कैंसर के कारण स्वर्गवास हो गया था और उन्हंे भी एक बार हार्टअटैक हो चुका था। एक बेटा है जिसके तलाक की नौबत आ गई है, और बेटी शादी के बाद काफी समय तक मायके में रहकर ससुराल गई थी। वह काफी परेशान थे और किसी रिश्तेदार द्वारा घर के वास्तु परीक्षण के लिए बहुत इच्छुक थे।
वास्तु निरीक्षण करने पर निम्नलिखित दोष पाए गए:
1. उनके घर का दक्षिण-पूर्व का कोना बंद था। यह दोष घर की वरिष्ठ स्त्रियों की स्वास्थ्य हानि एवं लड़ाई झगड़ों का कारण होता है।
2. उनके घर का उत्तर-पश्चिम कोना भी बंद था। यह दोष घर की बेटी या बहू के जीवन में परेशानी का कारण होता है। साथ ही अपने भी पराए हो जाते हैं और घर में मनमुटाव बना रहता है।
3. दक्षिण-पश्चिम में द्वार बना था जो घर के पीछे की तरफ खुलता था। दक्षिण-पश्चिम में द्वार होने के फलस्वरूप मालिक का स्वास्थ्य प्रतिकूल होता है एवं आर्थिक परेशानियां होती हैं। साथ ही अनचाहे खर्चे होते रहते हैं।
4. दक्षिण-पश्चिम में टी-पाॅइंट (वीथिशूल) भी बन रहा था। इस दिशा में टी-पाॅइंट होने से भी घर में मानसिक तनाव, स्थास्थ्य हानि एवं दुर्घटना तक होने की संभावना बनी रहती है।
5. उत्तर-पूर्व का कोना भी कटा हुआ था। यह दोष वंश वृद्धि में और घर की समृद्धि में बाधक होता है।
6. उनके पुत्र का शयनकक्ष प्रथम मंजिल के दक्षिण-पूर्व में था। अग्नि कोण में युवा दंपति का शयनकक्ष होने से आपस में प्रायः लड़ाई झगड़े होते रहते हैं।
सुझाव:
1. दक्षिण-पूर्व का कोना खोलने की सलाह दी गई।
2. पश्चिम, दक्षिण- पश्चिम को सफेद शीट या लोहे के जाल से कवर करने को कहा गया ताकि उत्तर-पश्चिम के कोने के बंद होने का दोष खत्म या कम हो सके।
3. दक्षिण पश्चिम के द्वार को बंद करने को कहा गया और पश्चिम में वीथिशूल के बाद द्वार बनाने की सलाह दी गई।
4. दक्षिण पश्चिम की दीवार पर बाहर की तरफ उन्नतोदर तथा अंदर बड़े पौधे लगाने को कहा गया ताकि टी-पाॅइंट का असर कम हो सके।
5. उत्तर-पूर्व के कोने को बढ़ा कर ठीक करने को कहा गया ताकि उनका बैठक का कमरा भी आयताकार हो जाए।
6. उनके बेटे को पहली मंजिल में उत्तर पश्चिम-पश्चिम में बने कमरे में स्थानांतरित करने को कहा गया।
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