दक्षिण-पूर्व में तरणताल महिलाओं के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है
दक्षिण-पूर्व में तरणताल महिलाओं के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है

दक्षिण-पूर्व में तरणताल महिलाओं के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है  

गोपाल शर्मा
व्यूस : 5566 | सितम्बर 2014

पिछले माह पंडित जी स्वीडन में विभिन्न जगहों स्टाॅकहोम, गोटबर्ग तथा बोरस वास्तु/आध्यात्मिकता की विभिन्न संगोष्ठियों में सम्मिलित होने गए थे। वहां भाग लेने आए एक प्रमुख व्यवसायी ने वास्तु के प्रभाव को जानने के लिए उन्हें अपने घर का निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया। पंडित जी ने उनके घर का वास्तु परीक्षण करने के बाद उनसे कुछ प्रश्न किए जैसे:

- क्या उन्हें कोई आर्थिक नुकसान हुआ है?

- क्या बच्चों के विवाह में विलम्ब हो रहा है?

- क्या हाल में परिवार में किसी बुजुर्ग महिला को कोई गंभीर शारीरिक समस्या हुई?

- बच्चों के विकास में अप्रत्याशित विशेष अड़चन?

- क्या मालकिन के कंधे में दर्द या सरवाइकिल है?

सभी प्रश्नों का उत्तर हां में था। कुछ सप्ताह पहले ही व्यवसायी की माताजी का दुर्घटना में देहांत हो गया था। उनकी पत्नी के कन्धों में दर्द तथा सरवाइकिल था। वह आजकल कोई काम नहीं कर रहे थे। बड़ी लड़की के विवाह में विलम्ब हो रहा था तथा छोटी लड़की ने अचानक लन्दन से पढ़ाई बीच में छोड़कर दूसरे विषय में स्थानीय विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया था।

- उनके घर की सीढ़ियां उत्तर-पूर्व में बनी थीं जो कि आर्थिक एवं मानसिक समस्याओं का मुख्य कारण होती हैं।

- दक्षिण-पूर्व में स्वीमिंग पूल (तरणताल) बना था जो कि एक गंभीर वास्तु दोष है। घर की महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है तथा लड़ाई-झगडों, यहां तक कि मुकदमेबाजी तक होने की नौबत आ जाती है।

- उनके प्लाॅट की उत्तर तथा उत्तर-पूर्व की भूमि की ऊंचाई बाकी दिशाओं से ऊंची थी इससे पैसा फंस जाता है और सभी ओर से विकास में अवरोध उत्पन्न हो जाते हैं।

- बिल्डिंग का पश्चिम बढ़ा हुआ जिससे सभी कार्यों की गति धीमी हो जाती है। घर में सुस्ती एवं आलस्य बना रहता है।

- रसोई में गैस दक्षिण की ओर थी दक्षिण में मुख करके खाना बनाने से स्वास्थ्य हानि होती है।

- उनक े घर की पहली म ंजिल म े ं दक्षिण-पश्चिम म े ं शौचालय था जो कि परिवार में मुखिया के स्वास्थ्य एवं आर्थिक परेशानी का कारण होता है।

सुझाव:

- सीढ़ियों को दक्षिण-पश्चिम में बनाने की सलाह दी गई।

- दक्षिण-पर्व म बन स्वीमिग पल का पर्व की आ स्थानांतरित करने को कहा गया।

- प्लाॅट में उत्तर-पूर्व का फ्लोर लेवल ठीक करके बाकी लेवल के बराबर करने की सलाह दी गई।

- उत्तर-पश्चिम की ओर मेटल का परगोला बनाने को कहा जिससे बिल्डिंग आयताकार हो जाए।

- रसोई में गैस को पूर्व में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया गया।

- पहली मंजिल में बने शौचालय में वाल माउन्टेड डब्ल्यू सी लगाने को कहा गया। कांच की कटोरी में समुद्री नमक रखकर उसे हर सप्ताह बदलने को कहा गया। पंडित जी ने आते हुए उन्हें कहा कि सभी सुझावों को कार्यान्वित करने से उनको अत्यधिक लाभ मिलेगा एवं वास्तु विज्ञान के प्रति उनका विश्वास सुदृढ हो जाएगा।

प्रश्न: हम जबसे अपने नए घर में आए हैं, एक के बाद दूसरी समस्या आन खड़ी हो जाती है। अपनी आर्थिक, मानसिक एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मैं काफी परेशान हूँ, कृपया नक्शा देखकर वास्तु परामर्श दें। -रामकिशन झा, पटना, बिहार

उत्तर: आपके घर के ब्रह्मस्थान में रसोईघर, उत्तर-पूर्व कोण का कटना एवं दक्षिण-पश्चिम का बढ़ना आपकी सभी समस्याओं का कारण है।दक्षिण-पश्चिम के बढ़ने से घर के मालिक को आर्थिक एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है एवं उत्तर-पूर्व का कटना सभी ओर से विकास में बाधा उत्पन्न करता है। उत्तर-पूर्व के कटे हुए भाग में परगोला बनाकर बिल्डिंग को आयताकार करें।

इसी प्रकार दक्षिण-पश्चिम में बढ़े भाग को दक्षिण-पूर्व की सीध तक कवर्ड करना (परगोला बनाकर) लाभदायक सिद्ध होगा। ब्रह्मस्थान में रसोईघर होने से भारी खर्च एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्या बनी रहती है। इसे पूर्व की तरफ स्थानान्तरित किया जा सकता है और पूर्व में बने चंेंहम को बीच में बनाया जा सकता है।

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