नींबू के घरेलू नुस्खे (गुण में मीठा, स्वाद में खट्टा)
- सुबह-शाम एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर पीने से मोटापा दूर होता है।
- बवासीर (पाइल्स) में रक्त आता हो तो नींबू की फांक में सेंधा नमक भरकर चूसने से रक्तस्राव बंद हो जाता है।
- आधे नींबू का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तेज खाँसी, श्वांस व जुकाम में लाभ होता है।
- नींबू ज्ञान तंतुओं की उत्तेजना को शांत करता है। इससे हृदय की अधिक धड़कन सामान्य हो जाती है। उच्च रक्तचाप के रोगियों की रक्त वाहिनियों को यह शक्ति देता है।
- एक नींबू के रस में तीन चम्मच शक्कर, दो चम्मच पानी मिलाकर, घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद अच्छी तरह से सिर धोने से रूसी दूर हो जाती है व बाल गिरना बंद हो जाते हैं।
- एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम दो बार नित्य एक महीना पीने से पथरी पिघलकर निकल जाती है।
- नींबू को तवे पर रखकर सेंक लें (दो भाग करके)। उस पर सेंधा नमक डालकर चूसें। इससे पित्त की दिक्कत खत्म होती है।
Kamal Sehgal 9873295495 भरोसा
- केवल भगवान पर हनुमान जी जब पर्वत लेकर लौटते हैं तो भगवान से कहते हैं
- प्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था। आपने तो मुझे मेरी मूर्छा दूर करने के लिए भेजा था। ‘सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपने बस करि राखे रामू’ हनुमानजी ने पवित्र नाम का स्मरण करके श्री रामजी को अपने वश में कर रखा है, प्रभु आज मेरा ये भ्रम टूट गया कि मैं ही सबसे बड़ा भक्त, राम नाम का जप करने वाला हूँ। भगवान बोले कैसे ?
हनुमान जी बोले - वास्तव में तो भरत जी संत हंै और उन्होंने ही राम नाम जपा है। आपको पता है जब लक्ष्मण जी को शक्ति लगी तो मैं संजीवनी लेने गया पर जब मुझे भरत जी ने बाण मारा और मैं गिरा, तो भरत जी ने, न तो संजीवनी मंगाई, न वैद्य बुलाया। कितना भरोसा है
उन्हें आपके नाम पर, आपको पता है उन्होंने क्या किया। ‘‘जौ मोरे मन बच अरू काया, प्रीति राम पद कमल अमाया’’ तौ कपि होउ बिगत श्रम सूला, जौ मो पर रघुपति अनुकूला सुनत बचन उठि बैठ कपीसा, कहि जय जयति कोसलाधीसा’’ यदि मन वचन और शरीर से श्री राम जी के चरण कमलों में मेरा निष्कपट प्रेम हो तो यदि रघुनाथ जी मुझ पर प्रसन्न हांे तो यह वानर थकावट और पीड़ा से रहित हो जाए। यह वचन सुनते हुए मैं श्री राम, जय राम, जय-जय राम कहता हुआ उठ बैठा। मैं नाम तो लेता हूँ पर भरोसा भरत जी जैसा नहीं किया, वरना मैं संजीवनी लेने क्यों जाता, बस ऐसा ही हम करते हैं। हम नाम तो भगवान का लेते हैं पर भरोसा नहीं करते, बुढ़ापे में बेटा ही सेवा करेगा, बेटे ने नहीं की तो क्या होगा? उस समय हम भूल जाते हैं कि जिस भगवान का नाम हम जप रहे हैं वे हैं न, पर हम भरोसा नहीं करते। बेटा सेवा करे न करे पर भरोसा हम उसी पर करते हैं।
2. दूसरी बात प्रभु! बाण लगते ही मैं गिरा, पर्वत नहीं गिरा, क्योंकि पर्वत तो आप उठाये हुए थे और मंै अभिमान कर रहा था कि मंै उठाये हुए हूँ। मेरा दूसरा अभिमान टूट गया, इसी तरह हम भी यही सोच लेते हैं कि गृहस्थी के बोझ को मंै उठाये हुए हूँ।
3. फिर हनुमान जी कहते हंै - और एक बात प्रभु ! आपके तरकस में भी ऐसा बाण नहीं है जैसे बाण भरत जी के पास हैं। आपने सुबाहु मारीच को बाण से बहुत दूर गिरा दिया, आपका बाण तो आपसे दूर गिरा देता है, पर भरत जी का बाण तो आपके चरणों में ला देता है। मुझे बाण पर बैठाकर आपके पास भेज दिया।
भगवान बोले - हनुमान जब मैंने ताड़का को मारा और भी राक्षसों को मारा तो वे सब मरकर मुक्त होकर मेरे ही पास तो आये, इस पर हनुमान जी बोले प्रभु आपका बाण तो मारने के बाद सबको आपके पास लाता है पर भरत जी का बाण तो जिन्दा ही भगवान के पास ले आता है। भरत जी संत हैं और संत का बाण क्या है? संत का बाण है उसकी वाणी लेकिन हम करते क्या हैं, हम संत वाणी को समझते तो हैं पर सटकते नहीं हैं, और औषधि सटकने पर ही फायदा करती है।
4. हनुमान जी को भरत जी ने पर्वत सहित अपने बाण पर बैठाया तो उस समय हनुमान जी को थोड़ा अभिमान हो गया कि मेरे बोझ से बाण कैसे चलेगा ? परन्तु जब उन्होंने रामचंद्र जी के प्रभाव पर विचार किया तो वे भरत जी के चरणों की वंदना करके चले हैं। इसी तरह हम भी कभी-कभी संतांे पर संदेह करते हैं, कि ये हमें कैसे भगवान तक पहुँचा दंेगे, संत ही तो हंै जो हमें सोते से जगाते हंै जैसे हनुमान जी को जगाया, क्योंकि उनका मन, वचन, कर्म सब भगवान में लगा है। अरे उन पर भरोसा तो करो तुम्हंे तुम्हारे बोझ सहित भगवान के चरणों तक पहुँचा दंेगे।
Asha Rani Ludhiana 9569548133 मोर के पंख प्रयोग से विभिन्न प्रकार के लाभ घर के दक्षिण-पूर्व कोण में लगाने से बरकत बढ़ती है व अचानक कष्ट नहीं आता है। यदि मोर का एक पंख किसी मंदिर में श्री राधा-कृष्ण की मूर्ति के मुकुट में ४० दिन के लिए स्थापित कर प्रतिदिन मक्खन-मिश्री का भोग सांयकाल को लगाएं, ४१वें दिन उसी मोर के पंख को मंदिर से दक्षिणा-भोग दे कर घर लाकर अपने खजाने या लाॅकर्स में स्थापित करें तो आप स्वयं ही अनुभव करेंगे कि धन,सुख-शान्ति की वृद्धि हो रही है।
सभी रुके कार्य भी इस प्रयोग के कारण बनते जा रहे हैं। काल-सर्प के दोष को भी दूर करने की इस मोर के पंख में अद्भुत क्षमता है। काल-सर्प वाले व्यक्ति अपने तकिये के खोल के अंदर 7 मोर के पंख सोमवार रात्रि काल में डालें तथा प्रतिदिन इसी तकिये का प्रयोग करें और अपने बेड रूम की पश्चिम दीवार पर मोर के पंख का पंखा जिसमंे कम से कम 11 मोर के पंख हों लगा देने से काल सर्प दोष के कारण आयी बाधा दूर होती है। बच्चा जिद्दी हो तो इसे छत के पंखे के पंखों पर लगा दें ताकि पंखा चलने पर मोर के पंखों की भी हवा बच्चे को लगे धीरे-धीरे हठ व जिद्द कम होती जायेगी। मोर व सर्प में शत्रुता है अर्थात सर्प, शनि तथा राहु के संयोग से बनता है।
यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो तो राहु का दोष कभी भी नहीं परेशान करता है। तथा घर में सर्प, मच्छर, बिच्छू आदि विषैले जंतुओं का भय नहीं रहता है। नवजात बालक के सिर की तरफ दिन-रात एक मोर का पंख चांदी के ताबीज में डाल कर रखने से बालक डरता नहीं है तथा कोई भी नजर दोष और अला-बला से बचा रहता है।
यदि शत्रु अधिक तंग कर रहे हांे तो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिन्दूर से मंगलवार या शनिवार रात्रि में उसका नाम लिख कर अपने घर के मंदिर में रात भर रखें। प्रातःकाल उठकर बिना नहाये-धोए चलते पानी में बहा देने से शत्रु, शत्रुता छोड़ कर मित्रता का व्यवहार करने लगता है Rajjan Prasad Damoh 9300694736 कुछ न कुछ जरूर कहता है आपके शरीर पर तिल लगभग हर पुरूष व स्त्री के किसी न किसी अंग पर तिल अवश्य पाया जाता है। उस तिल का महत्व क्या है? शरीर के किस हिस्से पर तिल का क्या फल मिलता है।
ज्योतिष के अभिन्न अंग सामुद्रिकशास्त्र के अनुसार शरीर के किसी भी अंग पर तिल होना एक अलग संकेत देता है। यदि तिल चेहरे पर कहीं भी हो, तो आप व्यक्ति के स्वभाव को भी समझ सकते हैं। खास बात यह है कि पुरुष के दाहिने एवं स्त्री के बायें अंग पर तिल के फल को शुभ माना जाता है। वहीं अगर बायें अंगों पर हो तो मिले जुले परिणाम मिलते हैं। इससे पहले कि हम आपको बतायें कि शरीर के किस अंग पर तिल होने के क्या प्रभाव होते हैं, हम आपको बतायेंगे कुछ अंगों के नाम और वो इंसान के व्यक्तित्व को किस तरह उल्लेखित करते हैं।
यह भी सामुद्रिक शास्त्र की एक विधा है, जिसमें इंसान के व्यक्तित्व को उसके अंगों को देख पहचान सकते हैं। उदाहरण के तौर पर- जैसे जिन पुरुषों के कंधे झुके हुए होते हैं, वो शालीन स्वभाव के और गंभीर होते हैं। वहीं चैड़ी छाती वाले पुरुष धनवान होते हैं तो लाल होंठ वाले पुरुष साहसी होते हैं। वहीं महिलाओं का पेट, वक्ष और होंठ से लेकर लगभग सभी प्रमुख अंग कुछ न कुछ कहते हैं। माथे पर दायीं ओर/माथे के दायें हिस्से पर तिल हो तो- धन हमेशा बना रहता है।
माथे पर बायीं ओर / माथे के बायें हिस्से पर तिल हो तो- जीवन भर कोई न कोई परेशानी बनी रहती है। ललाट पर तिल/ललाट पर तिल होने से धन-संपदा व ऐश्वर्य का भोग करता है। ठुड्डी पर तिल होने से- जीवन साथी से मतभेद रहता है। दायीं आंख के ऊपर तिल हो तो-जीवनसाथी से हमेशा और बहुत ज्यादा प्रेम मिलता है। बायीं आंख पर तिल हो तो- जीवन में संघर्ष व चिन्ता बनी रहेगी। दाहिने गाल पर तिल हो तो- धन से परिपूर्ण रहेंगे। बायें गाल पर तिल हो तो- धन की कमी के कारण परेशान रहेंगे। होंठ पर तिल होने से- काम चेतना की अधिकता रहेगी।
होंठ के नीचे तिल हो तो- धन की कमी रहेगी। होंठ के ऊपर तिल हो तो- व्यक्ति धनी होता है, किन्तु जिद्दी स्वभाव का होता है। बायें कान पर तिल हो तो- दुर्घटना से हमेशा बच कर रहना चाहिये। दाहिने कान पर तिल होने से- अल्पायु योग किन्तु उपाय से लाभ होगा। गर्दन पर तिल हो तो- जीवन आराम से व्यतीत होगा, व्यक्ति दीर्घायु, सुविधा सम्पन्न तथा अधिकारयुक्त होता है। दायीं भुजा पर तिल हो तो- साहस एवं सम्मान प्राप्त होगा।
बायीं भुजा पर तिल होने से- पुत्र सन्तान होने की संभावना होती है और पुत्र से सुख की प्राप्ति होती है। छाती पर दाहिनी ओर तिल होने से- जीवनसाथी से प्रेम रहेगा। छाती पर बायीं ओर तिल होने से- जीवन में भय अधिक रहेगा। नाक पर तिल हो तो- आप जीवन भर यात्रा करते रहेंगे। दायीं हथेली पर तिल हो तो- धन लाभ अधिक होगा। बायीं हथेली पर पर तिल हो तो- धन की हानि होगी। पांव पर तिल होने से- यात्रायें अधिक करता है। भौहों के मध्य तिल हो तो- विदेश यात्रा से लाभ मिलता है।
जांघ पर तिल होने से- ऐश्वर्यशाली होने के साथ अपने धन का व्यय भोग-विलास में करता है। उसके पास नौकरों की कमी नहीं रहती है। स्त्री के भौंहो के मध्य तिल हो तो- उस स्त्री का विवाह उच्चाधिकारी से होता है। कमर पर तिल होने से- भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। पीठ पर तिल हो तो- जीवन दूसरे के सहयोग से चलता है एवं पीठ पीछे बुराई होगी। नाभि पर तिल होने से- कामुक प्रकृति एव सन्तान का सुख मिलता है। बायें कंधे पर तिल हो तो- मन में संकोच व भय रहेगा। दायें कंधें पर तिल हो तो- साहस व कार्य क्षमता अधिक होती है।
Gajanan Krishna Hyderabad 8985195822 राहु काल याद रखने की सरलतम विधि निम्न वाक्य को याद कर लें - Mother Saw Father wearing the Turban Suddenly - Mother = Monday (7:30 -9.00 A.M) - Saw = Saturday (9:00-10.30 A.M) - Father = Friday (10:30-12.00 Noon) - Wearing = Wednesday (12:00-1.30 P.M) - The = Thursday (1:30-3.00 P.M) - Turban = Tuesday (3:00-4.30 P.M) - Suddenly = Sunday (4:30-6.00 P.M) उपर्युक्त राहु काल गणना हेतु सूर्योदय 6.00 बजे प्रातः का माना गया है। यह राहु काल विभिन्न स्थानों के लिए अलग-अलग होता है। यह एक अनुमान मात्र है। शुद्ध राहु काल जानने के लिए पंचांग की सहायता लें।