कुछ दिन पूर्व पंडित जी पष्चिम विहार के एक व्यापारी के यहां वास्तु परीक्षण करने गये थे। घर देखने पर उन्होंने बताया कि कुछ समय से निर्यात का काम ठीक नहीं चल रहा है। घर की बड़ी महिला अक्सर बीमार रहती है। परिवार में मतभेद रहते हैं तथा घर में छोटे बेटे को उचित सम्मान नहीं दिया जाता।
वास्तु परीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोष:
1- घर के उत्तर-पूर्व में षौचालय था जो कि गंभीर बीमारी, भारी खर्च व मानसिक तनाव का कारण होता है।
2- दक्षिण-पूर्व में षौचालय होने की वजह से यह कोना बंद था जो कि अग्नि भय, चोरी, लड़ाई-झगड़े व मुकदमेबाजी का कारण होता है।
3- उत्तर में सीढ़ियां बनी थीं जो कि धन हानि, व्यापार में रुकावट व आर्थिक हानि का कारण होती हंै।
4- उत्तर में रसोईघर था जो कि वैचारिक मतभेद व तनाव का मुख्य कारण होता है।
सुझाव:
i- उत्तर-पूर्व के षौचालय को हटाने के लिए बोला गया तथा उसे पूर्व में बनाने को कहा।
ii- दक्षिण-पूर्व के षौचालय को भी पूर्व में बनाने को बोला गया।
iii- उत्तर की सीढ़ियां हटाकर दक्षिण में बनाने के लिए कहा गया।
iv रसोई के लिए कहा गया कि यह दक्षिण-पूर्व, दक्षिण या पूर्व या उत्तर-पष्चिम में बनाना ही उत्तम है। परन्तु क्योंकि सीढ़ी या रसोई में से एक को ही अभी वह दक्षिण की ओर कर सकते थे तो उनको रसोई के अंदर गैस को दक्षिण-पूर्व, पूर्व मुखी तथा उत्तर में वाॅषिंग एरिया बनाने की सलाह दी गई।
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