धन, समृद्धि
धन, समृद्धि

धन, समृद्धि  

संगीता गुप्ता
व्यूस : 14892 | फ़रवरी 2014

क्या आप सोचने मात्र से धनवान बन सकते हैं या पैसा आकर्षित कर सकते हैं। ज्यादातर लोग कहेंगे नहीं। पर पैसा सोचने से ही आता है। ज्यादातर लोग Law of Attraction के बारे में नहीं जानते।

सब जानते हैं कि Low of Gravitation होता है अर्थात् गुरुत्वाकर्षण। हमारी पृथ्वी सब कुछ अपनी तरफ खींचती है। अगर आप छत से कूदोगे तो नीचे पक्का चोट लगेगी ही। इसी प्रकार अस्तित्व में जीवन के नियम हैं। जिसे आप Law of Life कह सकते हैं।

इन नियमों का पालन करने से जीवन ऊर्जा आपको वो देती है जो आप चाहते हैं। इस पल आप धन, पैसे को लेकर क्या सोचते हैं, क्या चाहते हैं वही होता है। डवदमल डंदजतं अर्थात पैसा प्राप्ति के Spiritual Laws-Spiritual Laws of Making Money, Having Money, Enjoying Money.

पहला सिद्धांत

जिस व्यक्ति की धन से पूर्णतः मित्रता, alignment यानि की Synchronization होती है, धन उसके पास स्वतः खिंचता चला आता है।

क्या धन प्राप्ति के लिए किस्मत चाहिए? कोई Skill चाहिए? कोई जादू चाहिए? कोई टोटका? धनवान पिता या पति या पत्नी? जवाब है नहीं। तो क्या? धनवान होने के लिए यह समझना जरूरी है कि एक सिद्धांत है आकर्षण का।

धन, स्वास्थ्य या संबंध, कुछ भी हो हमारे जीवन में सिद्धांत के वजह से है। आप किसी वस्तु, व्यक्ति, घटना अथवा स्थान के बारे में सोचते हैं वह उपस्थित हो जाता है।

आपने कल्पवृक्ष के बारे में सुना होगा। आपका जीवन एक कल्पवृक्ष है आप जो मांगोगे मिल जाएगा। परमात्मा, अस्तित्व, ब्रह्मांड कुछ भी कहो, वह आपके इशारे पर चलता है।

एक कहानी है कल्पवृक्ष की जो ओशो ने सुनाई है। एक व्यक्ति एक जंगल से जा रहा होता है। बहुत चलता है, चलते-चलते थक जाता है। सोचता है विश्राम कर लूं। सुस्ता लूं किसी पेड़ के नीचे।

एक वृक्ष दिखता है, वहां वह लेट जाता है। लेटते ही आंख लग जाती है। एक आधा घंटे के बाद उठता है भूख लगती है।

वह मन में सोचता है काश पकवान मिल जाता खाने को। तभी नाना प्रकार के व्यंजन आ जाते हैं उसके सामने। वह भूखों की तरह टूट पड़ता है उन पर, खूब खाता है। भोजन के बाद फिर नींद आती है- सोचता है काश गद्दे मिल जाते। वह सो जाता है- दिन भर का थका हुआ। रात भर बढ़िया नींद का आनंद लेता हुआ। सुबह भोर होती है, वह उठता है आनंदित और मस्त। अंगड़ाई लेता है और आस-पास परिस्थिति का अवलोकन करता है। सोचता है पूर्व रात्रि के बारे में। सोचता है मेरे साथ क्या हुआ।

खाना मांगा खाना आ गया, गद्दा मांगा गद्दा आ गया। क्या चमत्कार है? कहीं भूत प्रेत तो नहीं इस पेड़ के नीचे? कल्पवृक्ष के नीचे बैठा व्यक्ति-कहता है-भूत प्रेत तो नहीं इस वृक्ष के नीचे। सोचो क्या हुआ तब?

भूत प्रेतों ने उस व्यक्ति को घेर लिया और लगे नाचने। बेचारा डर गया। सोचने लगा- अब यह भूत प्रेत मुझे खा जाएंगे। तो क्या हुआ? भूत उसे खा गए।

कहानी आपको समझ आ गयी होगी। आपका जीवन आकर्षण के सिद्धांत पर काम कर रहा है। जो आप सोचते हैं वह पूर्ण हो जाता है। कल्पवृक्ष आपका जीवन है। यह व्यक्ति आप हैं जो कल्पवृक्ष के नीचे बैठे सोचते रहते हैं - कि ‘‘पड़ोसी के पास ज्यादा पैसा है’’।

आप परमात्मा की सर्वोच्च शक्ति अर्थात तरंग से जुड़ जाते हैं। आनंदित व्यक्ति जो भी परमात्मा से मांगता है- वह जल्दी पूर्ण होता है। बच्चे पूर्ण रूप से आनंदित रहते हैं। इसलिए हम उन्हें भगवान का रूप कहते हैं। पैसा आएगा तब आप खुश होंगे ऐसा नहीं है। आप खुश रहेंगे तो पैसा स्वतः आएगा।

दूसरा सिद्धांत

जिस पर आप थ्वबने करते हैं वहां ऊर्जा जाती है। अर्थात ऊर्जा चाहे वह धन रूपी ऊर्जा ही क्यों न हो जिस सोच पर आप अपना ध्यान केंद्रित करते हैं वह आपके जीवन में प्रयत्न रूप से होने लगती है। अंग्रेजी में Energy Follows Thought'.

आपके मन में जो भी चलता रहता है वही चरितार्थ होता है। जो लोग दिन-रात यह सोचते हैं कि पैसा कमाना मुश्किल है, यह बहुत मेहनत से आता है तो बाबा भोले भंडारी कहते हैं तथास्तु। अर्थात जो तू चाहता है वो मिले।

अगर तू चाहता है जीवन मुश्किल है पैसा मुश्किल है कमाना तो भईया ऐसा ही तो आप अपने पड़ोसी को ऊर्जा दे रहे हैं कि वह ज्यादा कमाएं। कभी आप सोचते हैं कि महंगाई बहुत बढ़ रही है मैं तो कुछ afford नहीं कर पा रहा हूं। यह सोच हर पल आपको अपनी गरीबी के अहसास में जीवन व्यतीत करा देता है।

जब बिजली का बिल आता है तो कहिए शान से मैं एक रईस व्यक्ति हूं। मैं बिजली का बिल दे सकता हूं। मुझे परमात्मा ने रईस बनाया है। बिजली afford वही कर सकता है जिसके पास पैसे हों।

धन को आकर्षित करने के कुछ मूल सिद्धांतों का पालन करना अति आवश्यक है।

ये सिद्धांत हैं-

1. हर पल स्वयं को आनंदित रखना।

2. जो व्यक्ति स्वयं को आनंदित रखता है वह परमात्मा के करीब होता है। परमात्मा अर्थात वैभव, सुख, समृद्धि।

सच्चिदानंद - सत्य ही आनंद है।

जब आप खुश होते हैं तो परमात्मा खुश होता है।



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