42 वर्षों की मृत्यु शैय्या
42 वर्षों की मृत्यु शैय्या

42 वर्षों की मृत्यु शैय्या  

आभा बंसल
व्यूस : 4467 | जुलाई 2015

एक थी अरुणा, हंसमुख, चुलबुली, अपने नौ भाई बहनों में आठवीं। उसके जन्म के समय जब उसके पिता ने वहां के ज्योतिषी को कुंडली दिखाई तो उसने कहा कि उसकी पत्री तो हजारों में एक है और वह बहुत प्रसिद्ध होगी और उसका खूब नाम होगा। वह सभी से ज्यादा पढ़ी-लिखी थी इसलिए बारहवीं कक्षा पास करने के पश्चात कर्नाटक के छोटे से गांव हल्दीपुर से अपनी बड़ी बहन के पास मुंबई आ गई और वहां के किंग एडवर्ग मेमोरियल अस्पताल में जूनियर नर्स की हैसियत से काम करने लगी।

अपने काम के प्रति वह बहुत गंभीर थी। उसी वार्ड में सोहनलाल बाल्मिकी भी सफाई का काम करता था। यह एक कुत्तों का वार्ड था जहां कुत्तों के लिए खाने का सामान भी आता था। सोहन लाल वह सामान अक्सर चुरा लिया करता था। इसके लिए उसने कई बार उसे डांटा पर उसने एक न सुनी और एक दिन जब अरूणा ने उसकी शिकायत लिखित में की तो वह उससे बदला लेने की योजना बनाने लगा। 27 नवंबर 1973 का दिन था।

अरूणा शानबाग का विवाह वहीं के डाॅक्टर संदीप सरदेसाई से पक्का हो चुका था और वह अपनी सभी स्टाफ के दोस्तों को पार्टी देने की तैयारी कर रही थी। वह कपड़े बदलने हाॅस्पीटल के बेसमेंट में गई कि वहां ताक लगा कर बैठे सोहन लाल ने उस पर हमला बोल दिया। उसने कुत्ते की चेन को अरूणा के गले में बांध दिया ताकि वह चिल्ला न सके और उसका अप्राकृतिक रूप से बलात्कार किया।

भारी चेन से गला घोंटने के कारण अरूणा के ब्रेन में आॅक्सीजन की सप्लाई रूक गई और तभी से वह कोमा में चली गई। चूंकि अरूणा का विवाह होने वाला था इसलिए के. ई. एमहाॅस्पीटल की तरफ से सोहन लाल पर हमले व लूटपाट का केस ही दर्ज किया गया और उसके पकड़े जाने पर भी उसे केवल सात साल की सजा सुनाई गई। इधर अरुणा उसी दिन से कोमा में चली गई। जिन आंखों में शादी के सपने संजोये थे शायद उनसे वह अपना और औरों का दुख दर्द नहीं देखना चाहती थी।


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उसके मंगेतर दस वर्ष तक उसके पास आकर बैठते, बातें करते पर अरुणा ठीक नहीं हो पाई और दस वर्ष के पश्चात् संदीप विदेश चले गये और वहां पर उन्होंने विवाह किया। कुछ वर्ष तक तो अरुणा शानबाग के भाई-बहन व उनके बच्चों ने इनकी सुधी ली पर बाद में सबने किनारा कर लिया और अपनी-अपनी जिंदगी में मस्त हो गये। अरुणा को लेकिन के. ई. एमहाॅस्पीटल की नर्सों ने नहीं छोड़ा। अब वही उसका घर और उसके अपने थे।

सभी नर्स बारी-बारी से उसकी देखभाल करतीं, खाना खिलातीं और उसे बिल्कुल साफ रखतीं, इसी तरह 35 वर्ष बीत गये। 18 दिसंबर 2009 को अरुणा की अच्छी दोस्त व वरिष्ठ पत्रकार पिंकी विरानी ने सुप्रीम कोर्ट में अरुणा को दया मृत्यु देने के लिए याचिका दायर की। कोर्ट ने अरूणा की जांच करने के लिए चिकित्सकों की एक कमेटी गठित की और उसकी मानसिक व शारीरिक हालत पर रिपोर्ट देने को कहा और साथ ही इच्छा मृत्यु पर उनकी राय भी मांगी।

लेकिन मार्च 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने नर्स अरूणा मामले में दिये फैसले में कहा कि एक्टिव यूथनेशिया (मर्सी कीलिंग) अवैध है लेकिन पैसीव यूथनेशिया को स्वीकार किया जा सकता है लेकिन इसके लिए अत्यंत विशेष परिस्थिति होनी चाहिए। जैसे पहला जब मरीज की ब्रेन डेथ हो गई हो, दूसरा जब मरीज न जीने की हालत में हो और न ही मरने की और तीसरा जब मरीज काफी दिनों तक वेंटिलेटर पर हो।

इस तरह से पिंकी विरानी की अपील खारिज होने के बाद के. ई. एमहाॅस्पीटल में नर्सों ने मिठाई बांटी और उन्होंने अरुणा का दूसरा जन्म माना, वे उसकी बारी-बारी से बच्चे की तरह देखभाल करती रहीं। 14 मई 2015 को अरुणा को जब सांस लेने में दिक्कत हो रही थी तो उसे वेन्टिलेटर पर रखा गया और 18 मई 2015 को अरुणा ने अंतिम संास ली। अपने जीवन के चार दशक (42 साल) अरुणा ने बिस्तर पर कोमा में काटे। कहते हंै मांगने से तो मौत भी नहीं मिलती ऐसा ही हुआ अरुणा के साथ। न सरकार पसीजी न कोर्ट।

सबने कानून की दुहाई देकर पल्ला झाड़ लिया और भगवान ने 42 साल बाद ही उसे अपने पास बुलाया लेकिन अरुणा की वजह से ही देश को (पैसिव यूथनेशिया) का कानून मिल गया जिसमें पीड़ित के परिवार वाले हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकते हैं और हाई कोर्ट डाॅक्टरों का ओपिनयन लेकर फैसला ले सकती है। अरुणा की संभावित कुंडली का विश्लेषण लग्न कुंडली के अनुसार मीन राशि और कर्क लग्न होने से अरुणा हंसमुख और आकर्षक व्यक्तित्व की युवती थी।


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इसी से उसने के. ई. एमहाॅस्पीटल में सबका दिल जीत लिया था और डाॅक्टर संदीप भी उसके आकर्षक व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उसे दिल दे बैठे थे। पंचमेश व कर्मेश मंगल पर गुरु की दृष्टि होने से अरुणा ने अपने सभी भाई-बहनों से अधिक शिक्षा ग्रहण की और नर्स जैसे सेवा के प्रोफेशन को अपनाया और पूरी संवेदनशीलता से वह अपने कार्य में जुटी थी और अपने कर्तव्यों के प्रति पूर्णतया सजग थी।

नवम भाव में चंद्रमा स्थित होने से वह कुशाग्र बुद्धि तथा अपने सामाजिक व व्यावसायिक जीवन में विशेष सम्मानित भी थी। जन्मकुंडली के केंद्र भावों में सभी पाप ग्रह हैं तथा कोई भी शुभ ग्रह नहीं है। इसलिए उसे अपने जीवन में इतने संघर्ष और दुख झेलने पड़े। केंद्र में केवल पाप ग्रहों की स्थिति तथा शुभ ग्रहों की छठे व बारहवें भाव में होने से उन्हें उचित समय पर वांछित सुरक्षा नहीं मिल पाई तथा इनका जीवन खतरे में पड़ गया।

ये बच तो गईं परंतु मस्तिष्क में आॅक्सीजन न जाने के कारण वह कोमा में चली गई और नीच श्रेणी के व्यक्ति द्वारा उन पर हमला किया गया। केंद्र में केवल पाप ग्रहों के प्रभाव तथा शुभ ग्रहों के प्रभाव का अभाव होने की स्थिति में जीवन में नीच श्रेणी के लोगों का दखल, नकारात्मक ऊर्जाएं जातक के आस-पास होना, मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाली दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति होते रहना व दुखांत होना आदि घटित होना आश्चर्य की बात नहीं होती यदि जीवन व सुरक्षा देने वाले शुभ ग्रह गुरु, शुक्र और बुध अशुभ भावों में स्थित होते हैं।

लग्न में शनि व नवम में चंद्रमा होने से सरकार व के. ई. एम. हाॅस्पीटल के द्वारा ही उनके पूरा ईलाज का खर्चा उठाया गया और उनको पूरे मान-सम्मान से एक कमरे में रखा गया जहां उनका पूरा ध्यान रखा जाता था तथा इलाज होता था। अरुणा की वजह से ही आज ‘पैसिव यूथनेशिया’ को कानूनन मान्यता प्रदान की गई तथा इसे अविलंब लागू कर दिया गया।



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