ज्योतिष में मंगल की भूमिका
ज्योतिष में मंगल की भूमिका

ज्योतिष में मंगल की भूमिका  

नीरज शर्मा
व्यूस : 9872 | जुलाई 2015

ंगल के कारकत्व हिम्मत, शक्ति, पराक्रम, उत्साह, बल भूमि, भाई, खत, मज्जा, अग्नि, विद्युत, हथियार, वाद-विवाद क्रोध, अहम, तांबा, तरूण अवस्था आदि मंगल के कारकत्व में आते हैं और अपने इन्हीं कारकत्वों के कारण मंगल हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करता है जैसे- हमारा स्वभाव, स्वास्थ्य, करियर, विवाह आदि। मंगल और स्वभाव मंगल को पराक्रम और साहस का कारक माना गया है। यदि कुंडली में मंगल स्वराशि मेष (1) और वृश्चिक (8) या उच्च राशि मकर (10) में हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत साहसी और किसी से दबने वाला नहीं होता है और सदैव मेहनत करने में विश्वास रखता है।

मंगल के नीच राशि कर्क में होने या अन्य प्रकार कमजोर होने से व्यक्ति कुछ डरपोक स्वभाव का होता है। वह लड़ाई-झगड़ों से हमेशा दूर रहता है। यदि मंगल लग्न को प्रभावित करे तो ऐसा व्यक्ति जिद्दी स्वभाव का होता है। मंगल और स्वास्थ्य मंगल हमारे शरीर में रक्त, पित्त की थैली, मांसपेशी आदि को नियंत्रित करता है। यदि कुंडली में मंगल पीड़ित हो तो व्यक्ति को रक्त की कमी या रक्त संबंधी समस्याएं रहती हैं, एसिडिटी, हाई बी. पी. और मांसपेशियों से जुड़ी समस्याएं रहती हंै। मंगल के कुपित होने से ही फोड़े-फंुसी जैसी समस्याएं आती हैं। स्त्रियों की कुंडली में मंगल पीड़ित होना मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं भी देता है।

मंगल और करियर यदि जन्मकुंडली में मंगल बलवान हो तो विभिन्न क्षेत्रों में हम आगे बढ़ सकते हैं जैसे- इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्राॅनिक्स, सिविल इंजीनियरिंग, मेडिकल, सिविल सर्विसेज, फोर्सेज, स्पोर्ट लाइन, विद्युत विभाग से जुड़े, तांबे से संबंधित कार्य आदि मंगल के अंतर्गत आते हैं परंतु यदि कुंडली में मंगल कमजोर हो तो इन क्षेत्रों में करियर नहीं बनाना चाहिये। मंगल और वैवाहिक जीवन वैवाहिक जीवन को लेकर मंगल का महत्व स्त्रियों की कुंडली में अधिक होता है

क्योंकि मंगल को भी स्त्रियों के मांगल्य सुख का कारक माना गया है। अतः यदि स्त्री की कुंडली में मंगल नीचस्थ हो, त्रिकभाव में हो, शनि/राहु से पीड़ित हो तो वैवाहिक जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आते हैं और बलवान मंगल अच्छे मांगल्यसुख को दिखाता है। मंगल और मांगलिक दोष मांगलिक दोष के नाम से हमारे समाज में बहुत भय व्याप्त है और बहुत सी भ्रांतियां भी हैं। जन्मकुंडली के पहले, चैथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में यदि मंगल हो तो जातक मांगलिक होता है

परंतु इसका वैवाहिक जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ेगा यह एक भ्रांति है। दो मांगलिक जातकों के साथ में विवाह करना उनके स्वभाव, विचार व मानसिकता की समानताआंे के लिये होता है। मांगलिक दोष के अनेक परिहार सामने आते हैं परंतु वास्तविक परिहार केवल मंगल या शनि से ही मानना चाहिये। मंगल और कर्ज कुंडली में मंगल का पीड़ित होना भी कर्ज की समस्याओं से पीड़ित रखता है। यदि मंगल आठवें, छठे, बारहवें भाव में हो,नीचस्थ हो, राहु के साथ हो तो ऐसे व्यक्ति को लंबे समय तक कर्ज की समस्या से जूझना पड़ सकता है और आसानी से री-पेमेंट नहीं हो पाती। मंगल की अन्य ग्रहों से युति मंगल $ सूर्य: यदि कुंडली में मंगल और सूर्य साथ में हों तो व्यक्ति क्रोधी व जिद्दी स्वभाव का होता है। ऐसे जातक को हाई- बी. पीकी समस्या भी हो सकती है परंतु पुरूषार्थ करने में आगे होता है।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


2. मंगल $ चंद्रमा: मंगल और चंद्रमा साथ होने से व्यक्ति बहुत जल्दी उत्साहित या अति उत्तेजित हो जाता है जिससे अति उत्साह में बहुत बार वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है।

3. मंगल $ बुध: मंगल और बुध का योग कुंडली में होने से व्यक्ति हमेशा आक्रामक स्वभाव का होता है। छोटी-छोटी बातों पर भी बड़े विवाद कर बैठता है। यह स्वभाव की दृष्टि से अच्छा योग नहीं है।

4. मंगल $ बृहस्पति: मंगल और बृहस्पति का योग भी जातक को कुछ अहंवादी बनाता है परंतु ऐसा व्यक्ति अपने कर्म और मेहनत के साथ कोई समझौता नहीं करता अर्थात बहुत कर्मठ होता है।

मंगल $ शुक्र: मंगल और शुक्र का योग ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत हानिकारक है। जीवन में आर्थिक और वैवाहिक पक्ष को तो बिगाड़ता ही है साथ ही यदि इस योग पर शुभ प्रभाव न हो तो जातक को विपरीत लिंग में अति आकर्षण की ओर ले जाकर चारित्रिक पतन का कारण भी बन सकता है।

मंगल $ शनि: मंगल और शनि का योग होने से जातक को आजीविका के क्षेत्र में अनेक संघर्षशील परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और आजीविका में संतोषजनक स्थिति नहीं बन पाती।

मंगल $ राहु: मंगल और राहु का योग अच्छा नहीं होता। कुंडली के जिस भाव में यह योग बनता है उसे बिगाड़ता है साथ ही ऐसे व्यक्ति के जीवन में शत्रुता और दुर्घटनाएं बहुत होती हैं।

मंगल $ केतु: मंगल और केतु का योग जातक को बीपी. की समस्या दे सकता है, आंतों से जुड़ी समस्याएं भी रहती हैं और यदि यह योग कुंडली के आठवें भाव में हो तो पाइल्स की समस्या भी दे सकता है। यदि मंगल कुंडली में पीड़ित या कमजोर होने से समस्याएं आ रही हैं

तो निम्न उपाय अवश्य करें:

- - ऊँ अं अंगारकाय नमः का नित्य जाप करें।

- प्रत्येक मंगलवार गाय को गुड़ खिलायें।

- हनुमान चालीसा का पाठ करें।

- गुड़ से बनी मिठाइयां गरीबों में बांटें।

- माह में एक बार मजदूरों को भोजन अवश्य करायें।

- प्रातःकाल उठकर सर्वप्रथम धरती माता को स्पर्श करके मस्तक पर लगायें।

- घर की दक्षिण दिशा में दिया जलायें।


क्या आपकी कुंडली में हैं प्रेम के योग ? यदि आप जानना चाहते हैं देश के जाने-माने ज्योतिषाचार्यों से, तो तुरंत लिंक पर क्लिक करें।




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.