कालसर्प का संबंध पितृ दोष से है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति का जीवन तनावपूर्ण और संघर्षमय रहता है। उसके कार्यों में बाधाएं आती रहती हैं। उसके विवाह और विवाहित होने की स्थिति में संतानोत्पत्ति में विलंब होता है। इसके अतिरिक्त शिक्षा में बाधा, दाम्पत्य जीवन कलह, मानसिक अशांति, रोग, धनाभाव, प्रगति में रुकावट आदि की संभावना रहती है।
कुंडली के जिस भाव से कालसर्प की सृष्टि होती है, उस भाव से संबंधित कष्टों की प्रबल संभावना रहती है। ज्योतिष की अन्य विधाओं की भांति लाल किताब में भी कालसर्प दोष के शमन के कुछ उपाय बताए गए हैं जिनका भावानुसार संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है।
प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु हो तो –
- अपने वजन के बराबर जौ या गेहूं अथवा कोई अन्य खाद्यान्न्ा बहते जल में प्रवाहित करें।
- किसी भी प्रकार का राजकीय कोप होने पर अपने वजन के बराबर कोयला बहते जल मंे में प्रवाहित करें।
- बीमार होने की स्थिति में मसूर की दाल और एक सिक्का 3 दिन तक प्रतिदिन भंगी को दें।
- धन की प्राप्ति के लिए बिल्ली की जेर कपड़े मं बांधकर घर में रखें।
- चांदी की चेन धारण करें। -
- बहते पानी में नारियल प्रवाहित करें।
द्वितीय में राहु और अष्टम में केतु हो तो
- चांदी की डिबिया में सोने या चांदी की ठोस गोली केसर के साथ सदैव अपने पास रखें।
- हाथी के पैरों की मिट्टी कुएं में गिराएं।
- धार्मिक स्थान में केसर और चंदन दान करें। साथ ही प्रत्येक धर्म स्थल में यथासमय यथा योग्य सेवा अर्चना करते रहें।
- कानों में सोना पहनें।
तृतीय भाव में राहु और नवम भाव में केतु हो तो-
- घर में हाथी का दांत और सोने का टुकड़ा रखें।
- बुद्धिजीवी वर्ग का सदैव आदर करें।
- Kutta पालें। यदि वह मर जाए या भाग जाए तो दूसरा ले आएं।
चतुर्थ भाव में राहु और दषम भाव में केतु हो तो-
- घर में चांदी की डिबिया में शहद भरकर रखना चाहिए।
- चांदी धारण करें।
- कोई नया कार्य या रुका पड़ा कार्य संपन्न करने से पहले 400 ग्राम साबुत धनिया एवं 400 ग्राम बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।
- मकान की केवल छत कभी न बदलें। बदलना हो, तो पूरा घर पुनः बनवाएं।
पंचम में राहु और एकादष में केतु हो तो-
- चांदी का हाथी बनाकर घर में रखें।
- शराब और मांस से दूर रहें।
- रात के समय पत्नी के सिराहने में पांच मूलियां रखें और प्रातः उठकर उन्हें मंदिर में दान करें।
- किसी कार्य हेतु घर से निकलने से पूर्व सोने को गर्म कर दूध में बुझाएं और उसमें केसर मिलाकर पीएं।
- केसर का तिलक करें।
षष्ठ में राहु और द्वादष भाव में केतु हो तो-
- मां सरस्वती की मूर्ति घर में रखें और उस पर नित्य नीले रंग के फूल चढ़ाएं (कम से कम छः दिन नियमित)।
- हमेशा Kutta पालें। यदि मर जाए या भाग जाए, तो दूसरा पालें।
- बहते पानी में मूंग प्रवाहित करें।