भारतीय ज्योतिषशास्त्र न केवल जातक के भावी जीवन में होने वाली घटनाओं को सूचित करता है, अपितु अनिष्ट परिहार और ईष्ट प्राप्ति से संबंधित क्रियाओं का भी प्रावधान करता है। अनिष्ट, दुःख, कष्टादि से मुक्ति के उपाय वैदिक काल से ही प्रचलित हैं, और ज्योतिषशास्त्र की प्रत्येक परंपरा यथा-पाराशरी, जैमिनी, भृगु, वशिष्ठ इन सभी में ग्रहदोष तथा अशुभ ग्रहयोग शान्ति के संदर्भ में पर्याप्त चर्चा की गई है। भारतीय ज्योतिषशास्त्र के प्रवत्र्तक आचार्यों में से एक महर्षि पराशर ने अपनी रचना पाराशरी होरा में मंगलदोष की चर्चा की है और कहा है कि स्त्री तथा पुरुष जातक की जन्मपत्रिका के लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में यदि मंगल उपस्थित हो तो जातक कुजदोष से पीड़ित होता है जिसके फलस्वरूप जातक का वैवाहिक जीवन कष्टप्रद हो जाता है।
ज्योतिषशास्त्र की शास्त्रीय परंपरा के ग्रंथों में इस दोष से मुक्ति के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जो श्रमसाध्य और काफी खर्चीले हैं। ज्योतिषशास्त्रीय उपायों की श्रमसाध्यता और व्यय की अधिकता को ध्यान में रखकर ही बीसवीं शताब्दी के मध्य में जालंधर में रहने वाले पंडित रूपचंद जोशी जी ने अद्वितीय ज्योतिष पद्धति का आविष्कार किया जो अपने सरल उपायों के कारण शीघ्र ही जनसामान्य में लोकप्रिय हो गया और ‘लाल किताब’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इस ज्योतिषीय पद्धति में कुंडली के विभिन्न भावों में स्थित ग्रहों के आधार पर फलादेश की पद्धति को विकसित किया गया और काफी सरल, अल्प व्यय और अल्प श्रम से युक्त ज्योतिषीय उपायों को जनसामान्य के लिए बताया गया। जन्मकुंडली के विभिन्न भावों में स्थित मंगल के कारण ही कुजदोष होता है और इन पाँच भावों (लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश) में स्थित मंगल की शान्ति के उपाय अत्यन्त विस्तार से लाल किताब में वर्णित हैं, जिन उपायों को करने से कुजदोष के कुप्रभावों से शीघ्र ही मुक्ति मिलती है- लग्नस्थ मंगल- जातक साधुसंतों की सेवा में निरत रहे, जिद और दुस्साहस का परित्याग करे। भोजन के बाद सौंफ और मिश्री का प्रयोग स्वयं भी करें और आगत अतिथियों को भी कराएँ।
भाइयों, सहोदरों से मिल-जुलकर रहें। सूर्य और चन्द्र की वस्तुओं का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें। चने की दाल-बेसन-हल्दी आदि का मंदिर में दान करें। किसी से दान या मुफ्त में कोई वस्तु न लें। हाथी दाँत का सामान घर पर बिल्कुल न रखें। झूठ बोलने से बचें। शुद्ध चाँदी धारण करें। बरगद की जड़ में दूध की धार दें और उसी गीली मिट्टी से तिलक करें। घर की छत पर देशी खांड रखें। मिट्टी के बरतन में शहद भरकर खाली मैदान में दबाएँ। घर के दरवाजे पर चाँदी की कील ठोकें। चिड़ियों को मीठा भोजन दें।
चतुर्थ भावस्थ मंगल- बरगद के पेड़ की जड़ में मीठा दूध डालें और और उसकी गीली मिट्टी से 43 दिन तक लगातार तिलक लगाएँ। यही उपाय नीम के वृक्ष के साथ करें। चाँदी का चैकोर टुकड़ा अपने पास रखें। मंगलवार को 400 ग्राम चावल, दूध से धोकर बहते जल में प्रवाहित करें। आठ मीठी रोटी तन्दूर से लगवाकर आठ अलग-अलग कुत्तों को दें। त्रिधातु (स्वर्ण-चाँदी-ताँबा) समभाग की अँगूठी पहनें। जातक मृगचर्म का उपयोग करें। 400 ग्राम रेवड़ियाँ बहते पानी में छोड़ें। मामा पक्ष की सेवा करें। स्त्री से कलह न करें, हमेशा प्रसन्न रखने का प्रयास करें। सप्तमस्थ मंगल- बुआ या बहन को लाल कपड़े का दान यथावसर करें। मकान, दीवार आदि बनाएँ। चाँदी की ठोस गोली अपनी जेब में रखें।
पति-पत्नी स्नानादि से निवृत्त होकर लालवस्त्र धारण करें और ताँबे के बत्र्तन में चावल भरकर चंदन का लेप लगाकर हनुमान मंदिर में दान दें। साली, मौसी, नौकरानी, तोता, मैना, बकरी, चैड़े पत्ते वाले पौधों से परहेज करें। छोटी सी दीवार बनाएँ फिर उसे गिरा दें, यह प्रक्रिया दुहराते रहें। घर में आए मेहमानों को विदाई के समय मुँह जरूर मीठा कराएँ। चाँदी की ठोस गोली घर में रखें। नारियल, उड़द, तेल व बादाम का दान करें। घर आई बहन को कुछ न कुछ मीठी वस्तु देकर विदा करें। चारित्रिक पतन के प्रति सतर्क रहें। लाल मसूर की साबुत दाल को जल में प्रवाहित करें।
अष्टमस्थ मंगल- तंदूर की बनी मीठी रोटी कुत्तों को खिलाएँ। गले मंे चाँदी की ठोस चेन पहनें। घर में तंदूर लगाने से बचें। रसोईघर में बैठकर भोजन करें। मिट्टी के बत्र्तन में देसी खांड या गुड़ भरकर उसे श्मशान भूमि में दबा दें। तवे को गर्म कर ठंडे पानी से छींटे मारने के बाद फिर रोटी बनाएँ। आठ किलो या 800 ग्राम रेवड़ियाँ या पताशे को नदी में बहाएँ। त्रिधातु की अँगूठी पहनें। मृगछाला को प्रयोग में लाएँ। लाल मसूर की दाल को जल में प्रवाह दें। 400 ग्राम अजवाइन को बहते जल में प्रवाह दें। दादी से चाँदी की माला दान में लेने का प्रयास करें और आजीवन धारण करें। मकान के आखिरी कोने में अँधेरी कोठरी बनवाएँ। मंदिर में चावल, गुड़ और चने की दाल यथाशक्ति दान करें। द्वादशभावस्थ मंगल- कुत्ते को मीठी तंदूरी रोटी दें। घर में खुले हथियार न रखें।
सोते वक्त सिरहाने में सौंफ रखंे। 12 दिनों तक गुड़ को प्रवाहित करें। मंगलवार को हनुमान मंदिर में लड्डू या पताशे बांटें। बड़े भाई की सेवा करें। सिर पर चोटी रखें। खाकी रंग की टोपी/स्कार्फ धारण करना लाभप्रद है। चावल या चाँदी अपने पास रखें। अतिथियों को मीठा भोजन कराएँ। पानी में गुड़ डालकर सूर्य को अघ्र्य दें। दूध से बना हलवा मित्रों के साथ बैठकर खाएँ। गुरु तथा ब्राह्मण की सेवा करें। उपरोक्त लाल किताब के उपायों को श्रद्धापूर्वक करने से कुजदोष की तीव्रता में काफी कमी आती है।
जातक को चाहिए कि लाल किताब के उपायों के साथ-साथ शिवजी तथा हनुमान जी की भी उपासना करनी चाहिए। लाल किताब के उपरोक्त प्रयोग चमत्कारिक प्रभाव उत्पन्न करते हैं और शीघ्र ही वैवाहिक विलंब, तनाव, कलह, तलाक आदि कष्टों से मुक्ति प्रदान करते ह