लालकिताब ज्योतिष पद्धति, ज्योतिष जगत को अविभाजित भारत के पंजाब के जिला जालंधर के गांव फरवाला में रहने वाले पं. रूपचंद जोशी जी द्वारा दी गई एक अनुपम भेंट हैं। इस पुस्तक को पांच संस्करणों में लिखा गया। पांचवां सबसे विस्तृत और आखिरी संस्करण ईस्वी सन् 1952 में प्रकाशित किया गया। पुस्तक की भाषा उर्दु में होने के कारण लोगों में इसका ज्यादा प्रचार नहीं हो पाया तथा इस पर लेखक का नाम न होने से भी इसके साथ कई किंवदंतियां जुड़ गई साथ ही साथ इस पद्धति में ग्रहों के दोष दूर करने के लिए सरल उपाय करने के तरीकों को भी सुझाये जाने के कारण इसे टोने-टोटकों की किताब के रूप में जाना जाने लगा लेकिन वास्तविक स्थिति इससे भिन्न है।
वास्तव में यह एक पद्धति है, जिसके कुछ अपने सिद्धांत एवं नियम हैं जिनके अनुसार कुंडली विश्लेषण करने के पश्चात शुभ व अशुभ ग्रहों का निर्णय करके अशुभ ग्रहों के प्रभावों का निवारण करते हैं।
उपाय के कुछ सिद्धांतों को यहां स्पष्ट करना चाहुंगा।
- उपाय के समय ध्यान रखें कि जिस ग्रह का उपाय कर रहे हैं वो जिस खाना नं. में बैठा है वह खाना नं. किस ग्रह का पक्का ग्रह है, कौन सा ग्रह वहां उच्च है तथा उस खाना नं. का मालिक ग्रह कौन है।
- उपाय करने में इन तीनों स्थितियों से सहायता ली जाती है।
- कुंडली में अगर मंगल खाना नं. 12 में बैठा हो तो राहु का उपाय नहीं करते।
- सूर्य$बुध खाना नं. 3 में हो और राहु खाना नं. 11 में हो तो भी उसका कोई उपाय नहीं होता।
- खाना नं. 3 में कोई अशुभ ग्रह बैठा हो और खाना नं. 9 व 11 में कोई ग्रह न हो तो खाना नं. 3 में बैठे ग्रह का कोई उपाय नहीं होता।
- राहु अगर बंद मुट्ठी के खानों में अर्थात केंद्र में हो तो जिस घर में राहु हो उस खाना में जो ग्रह उच्च के होते हैं उनका उपाय किया जाता है। चुंकि लालकिताब में नैसर्गिक कुंडली जो मेष लग्न से शुरु मानी जाती है, का प्रयोग किया जाता है। जैसे लग्न अर्थात खाना नं. 1 जो कि मेष राशि है में सूर्य को उच्च माना जाता है अतः राहु के लग्न में होने पर सूर्य से संबंधित उपाय होता है। खाना नं. 4 में राहु के होने पर बृहस्पति का, खाना नं. 7 में शनि का व खाना नं. 10 में राहु के होने पर मंगल से संबंधित उपाय किया जाता है।
इस प्रकार अन्य कई बातों का ध्यान रख कर उपायों को किया जाता है।
लाल किताब के कुछ उपाय
अगर व्यापार अच्छा न चल रहा हो तो हर बुधवार को अपने व्यापारिक स्थल पर चुटकी भर राई बिखेरें।
हर सोमवार को किसी फूल से फर्श कच्चे दूध से का छींटा मारें और सुर्यास्त के बाद 7 बर्फी के टुकड़े पार्क में किसी कोने में रखंे। यह क्रिया कम से कम 7 बार करें तो व्यापार में लाभ अवश्य होगा।
गृहस्थ जीवन में तनाव हो तो अशोक के पेड़ की जड़ को लाकर साफ आदि करके अपने घर में रखें।
अगर किसी जातक या जातिका की शादी में रुकावट हो तो -
भंगड़ घास (वह घास जो सेब आदि या क्राकरी की पेटी से निकलती है) के 3 झाड़ु बना कर जल प्रवाह करें।
शुक्रवार को 1 कच्ची ईंट जल प्रवाह करें तथा शनिवार को एक जलेबी का टुकड़ा जल प्रवाह करें। ये क्रिया 4 बार करें। लाभ अवश्य होगा।