शनि शुभ या अशुभ
शनि शुभ या अशुभ

शनि शुभ या अशुभ  

आभा बंसल
व्यूस : 13508 | जुलाई 2008

शनि के प्रकोप से हर व्यक्ति डरता है। लेकिन क्या शनि प्रत्येक के लिए सर्वदा अहितकर ही है? ऐसा नहीं है। अपितु यह एक ऐसा ग्रह है, जिसके फल पहले से ही मालूम पड़ जाते हैं एवं यदि प्रयास कर इसे शांत किया जाए, तो बहुत हद तक अशुभता दूर हो जाती है। इसके विपरीत यदि अन्य ग्रह, जैसे राहु, गुरु, शुक्र आदि विपरीत फल दे रहे हों, तो इनके असर को मोड़ देना बहुत कठिन है। यह अवश्य है कि शनि की मार बहुत तेज है। लेकिन साथ ही यदि यह शुभ फल देता है, तो रंक से राजा भी बना देता है। क्योंकि शनि की अशुभता को कम किया जा सकता है, यही कारण है कि शनि की सबसे अधिक पूजा-आराधना की जाती है।

यह किसको अच्छे और किसको बुरे फल प्रदान करता है? मेष लग्न के लिए यह बाधाकारक ग्रह है। वृष के लिए भी, नवम, दशम का स्वामी होते हुए भी, बाधाकारक है और बहुत अच्छे फल नहीं देता। मिथुन और कन्या के लिए यह मध्यम फलदायी है। कर्क-सिंह के लिए यह अच्छा नहीं है। लेकिन सिंह में मध्यम फल देता है। तुला के लिए यह पूर्ण योगकारक है एवं अपनी दशा-अंतर्दशा में पूर्ण सुख-शांति एवं समृद्धिदायक है। वृश्चिक एवं धनु के लिए शनि साधारण फलदायी है। मकर के लिए शुभ एवं कुंभ के लिए यह कुछ अशुभता लिए शुभ है। मीन के लिए भी शनि अशुभ नहीं है। उत्तरकालामृत के अनुसार शुक्र में शनि की अंतर्दशा उल्लेखनीय है। जब शनि योगकारक होता है और यह दशा आती है, तो फल उतने ही उल्टे मिलते हैं। यदि यह कमजोर होता है, तो फल अच्छे मिलते हैं।

शनि की साढ़े साती भी बहुत प्रभावशाली होती है। यह दशा से भी अधिक जातक को या तो तंग कर देती है, या ऊपर चढ़ा देती है। जबभी शनि चंद्रमा से बारहवें, चंद्रमा के ऊपर, या चंद्रमा से दूसरे भाव में गोचर करता है, तो शनि की साढ़े साती कहलाती है। इसी प्रकार जब शनि चंद्र से चैथे, या आठवें भाव में गोचर करता है, तो शनि की ढैय्या कहलाती है। आम तौर पर शनि के चैथे भाव की ढैय्या का बहुत अधिक असर महसूस नहीं होता है एवं साढ़े साती का असर सबसे अधिक होता है। यदि चंद्रमा से साढ़े साती, या अष्टम ढैय्या चल रही हो और लग्न से आठवें, या बारहवें भाव में शनि हो, तो शनि का प्रकोप कई गुना बढ़ जाता है; साथ ही वहां पर बाधाकारक ग्रह भी बैठें हों, तो शनि का प्रकोप अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाता है। इसके साथ यदि दशा भी शुक्र में शनि, या शनि में शुक्र की आ जाए, तो शनि मृत्युतुल्य कष्ट देता है।

इसी प्रकार यदि शनि की साढ़े साती तो हो, लेकिन यह योगकारक भी हो और दशा भी योगकारक ग्रह की हो एवं लग्न से केंद्र, या त्रिकोण में विचरण करे, तो शनि अतिशुभ फलदायी हो जाता है। शनि के प्रकोप में जातक को मानहानि सहनी पड़ती है। कारोबार बंद हो जाता है और घाटे बढ़ते जाते हैं। सरकारी पूछताछ शुरू हो जाती है। जेल और कर्ज का भय बहुत सताता है। स्वास्थ्य खराब हो जाता है। खास तौर से रात की नींद उड़ जाती है।

पेट में दर्द रहने लगता है। कोई रास्ता नहीं सूझता। दोस्त दुश्मन हो जाते हैं। साथ उठने-बैठने वाले लोग गायब हो जाते हैं। घर में बच्चे, पत्नी, भाई-बहन, मां-बाप सब सीख देते हैं। लेकिन उसके दुःख को कोई नहीं बांटता। कोई काम करने में मन नहीं लगता। ऐसी हालत हो जाती है कि जीवन बोझ बन जाता है।

ऐसी हालत में शनि के उपाय शांति प्रदान करते हैं, थोड़ा-थोड़ा कार्य करने की शक्ति देते हैं और आत्मबल बढ़ाते हैं। निम्न उपाय अत्यंत सरल हैं, जो कोई भी कर सकता है:


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  • शनि के मंत्र का जप करें। - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः, या ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
  • हर शनिवार छाया दान करें। एक स्टील की कटोरी में सरसों का तेल ले कर, उसमें एक सिक्का डाल कर, अपनी शक्ल देख कर, शनि पर चढ़ाएं, या डकौत को दान दें।
  • सुंदर कांड का नित्य, या हर शनिवार पाठ करें।
  • काले चने, उड़द, काले तिल, काला कपड़ा एवं लोहा शनिवार को गरीबों को दान दें।
  • सातमुखी और चैदहमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
  • नीलम रत्न धारण करें; अन्यथा नीली, या लाजवर्त, पंच धातु में, धारण करें।
  • काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी, मिष्टान्न सहित, खिलाएं।
  • शनि के सिद्ध मंदिर में शनिवार को सरसों के तेल से शनि देव का अभिषेक करें।
  • घोड़े की नाल का छल्ला दाहिने हाथ की मध्यमा में, शनिवार की शाम को, धारण करें।
  • पीपल के पेड़ के नीचे, शाम को, तेल का दीपक जलाएं।
  • हनुमान जी को शनिवार को चमेली का तेल तथा चोला चढ़ाएं।
  • हनुमानाष्टक, अथवा बजरंग बाण का शुद्धता से पाठ करें।
  • अधिक कष्ट होने पर 1, 5, या 8 बार निम्न टोटका करें ।

शुक्रवार को सवा पाव काले चने पानी में भिगो दें। शनिवार को पानी से निकाल कर उन्हें काले कपड़े में बांध लें। साथ में एक टुकड़ा कच्चा कोयला, एक रुपये का सिक्का, कुछ काले तिल डाल दें। बांध कर इसे, सिर पर से 7 बार वार कर, चलते पानी में बहा आएं (बहाने कोई भी जा सकता है)

उपर्युक्त उपायों में से 3-4, या अधिक उपाय, अपनी शक्ति अनुसार, करें, तो अवश्य ही शनि के प्रकोप से राहत मिलेगी।

 

शनि के लिए तेल का दान सबसे बड़ा दान माना गया है। कहते हैं कि शनि एक बार हनुमान जी से हठ करने लगा कि मैं बड़ा हूं। हनुमान जी ने उसे अपनी पूंछ में बांध लिया और अपना काम करते रहे। शनि पूंछ में बंधा जमीन से तथा पत्थर की रगड़ खा कर लहूलुहान हो गया। बाद में शनि ने हनुमान जी से माफी मांगी। हनुमान जी ने शनि से वचन लिया कि वह उनके भक्तों को कभी दुःख नहीं पहुंचाएगा। शरीर की पीड़ा को दूर करने के लिए शनि देव उसी दिन से तेल मांगने लगे एवं तेलदाता पर प्रसन्न हो कर आशीर्वाद देने लगे।

शनि के उपायों के लिए किसी एक सिद्ध मंदिर में आप शनि का दान या अभिषेक कर सकते हैं जैसे- वृंदावन के पास कोकिला वन, महाराष्ट्र में शिंगणापुर, तमिलनाडु में कराइकल के पास तिरुनल्लरू, ग्वालियर में शनि देव मंदिर, दिल्ली में कनाॅट प्लेस में हनुमान मंदिर के पास शनि मंदिर, चांदनी चैक में फव्वारे के पास शनि मंदिर एवं महरौली से 8 कि.मी. दूर असोला-फतेहपुर बेरी में शनि धाम।


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