काल सर्प दोष एवं उसके उपाय
काल सर्प दोष एवं उसके उपाय

काल सर्प दोष एवं उसके उपाय  

आभा बंसल
व्यूस : 4020 | जुलाई 2004

प्रश्न: काल सर्प दोष क्या है?

उत्तर: राहु और केतु के मध्य यदि अन्य सभी 7 ग्रह आ जाएं, तो काल सर्प दोष होता है। यदि राहु सभी ग्रहों को ग्रसित करे, तो उदित रूप से एवं यदि केतु ग्रसित करे, तो अनुदित रूप से योग बनता है। यदि सातों ग्रहों में से एक बाहर निकल जाए, तो यह योग आंशिक कहलाता है।

प्रश्न: इसका फल क्या है?

उत्तर: जिस जातक की कुंडली में काल सर्प दोष होता है, उसे सफलता प्राप्त करने के लिए बार-बार प्रयत्न करने पड़ते हैं। कई बार सफलता सामने रहते हुए भी प्राप्त नहीं हो पाती। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि जिस जातक की कुंडली में यह दोष हो, वह ऊपर नहीं उठ सकता। ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनके जातकों ने सर्वोच्च पद प्राप्त किया और प्रतिष्ठित व्यक्ति बने, जैसे स्व. जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी आदि।

प्रश्न: क्या काल सर्प दोष के फल हर जातक को अलग-अलग रूप में मिलते हैं?

उत्तर: राहु जिस भाव में स्थित होता है, उसी के अनुरूप मुख्यतः12 प्रकार के काल सर्प दोष कहे गये हैं। जातक को फल भी उसी के अनुसार भिन्न-भिन्न मिलते हैं। किसी को इस दोष के कारण पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ता है, तो किसी को व्यवसाय में स्थिरता, या अवनति का, किसी को हानि का, तो किसी को रोग का।

प्रश्न: परिवार में यह दोष एक को हो, तो क्या सबको होता है?

उत्तर: ऐसा आवश्यक नहीं है कि परिवार में काल सर्प दोष पिता की कुंडली में हो, तो संतान को भी होगा। लेकिन अक्सर ऐसा देखने में आता है कि एक परिवार के कई सदस्यों को यह दोष एक साथ होता है। आगे संतान को यह दोष न हो, इसके लिए काल सर्प दोष की शांति अवश्य करा लेनी चाहिए।

प्रश्न: काल सर्प दोष क्या हमेशा रहता है या किसी विशेष अवधि तक?

उत्तर: ज्योतिष में दोष 2 प्रकार के होते हैं- कुछ दोष कुछ अवधि के लिए, किसी गोचर, या दशा के कारण और कुछ जन्मकुंडली में दोष के कारण। दूसरे दोष का असर पूरी उम्र सहना पड़ता है। काल सर्प दोष भी एक इसी प्रकार का दोष है, जो जातक को जिंदगी भर कुछ न कुछ कष्ट देता रहता है। लेकिन फिर भी जब-जब राहु की दशा, या अंतर्दशा आती है, या राहु एवं केतु के ऊपर कोई ग्रह गोचर करता है, तब-तब इसका प्रभाव अधिक हो जाता है।

प्रश्न: काल सर्प दोष के मुख्य उपाय क्या हैं?

उत्तर:

  • भगवान शिव की आराधना एवं रुद्राभिषेक करें।
  • शिव लिंग पर सोने, या चांदी का सर्प, विधिपूर्वक, चढ़ाएं।
  • अपने वजन के बराबर अन्न दान करें।
  • काल सर्प योग यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा कर प्रतिदिन पूजन और दर्शन करें।
  • महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख जाप कराएं।
  • बटुक भैरव मंत्र का सवा लाख जप करें।

उपर्युक्त सभी उपाय यदि किसी ज्योतिर्लिंग पर किये जाएं, तो उनकी अधिक महत्ता है। त्र्यंबकेश्वर में इसका विशेष उपाय किया जाता है। यदि महाशिव रात्रि, नाग पंचमी, श्रावण मास में सोमवार, या सोमवारी अमावस्या को किया जाए, तो उत्तम है।

प्रश्न: काल सर्प दोष के सरल उपाय क्या हैं?

उत्तर:

  • भिखारी को राहु की वस्तुओं, जैसे काले तिल, राई, काले कपड़े आदि का दान दें।
  • महामंत्र ‘ऊँ नमः शिवाय’ का जाप करें।
  • चांदी, सोना, या अष्ट धातु निर्मित काल सर्प अंगूठी धारण करें।
  • नाग पंचमी, महाशिव रात्रि आदि को व्रत रखें।
  • काल सर्प यंत्र गले में धारण करें।
  • शिव के प्रतीक एकमुखी रुद्राक्ष सहित रुद्राक्ष की माला धारण करें।

प्रश्न: क्या एक बार उपाय करने से काल सर्प दोष सदा के लिए दूर हो जाता है?

उत्तर: ज्योतिष में किसी भी दोष को दूर करने के लिए किये गये उपायों का असर अधिकतम एक वर्ष तक ही रहता है। अतः काल सर्प दोष के उपायों को प्रतिवर्ष, या वर्ष में 2 बार तक अवश्य करना चाहिए। यदि दोष अधिक हो, तो कुछ सरल उपाय प्रतिमाह, या प्रतिसप्ताह करने चाहिए।

प्रश्न: काल सर्प योग पूर्व में कब-कब बना और भविष्य में कब-कब बनेगा?

उत्तर: काल सर्प दोष कभी-कभी ही, कुछ वर्षों के अंतराल पर, बनता है - 10 वर्षों में 2, या 3 बार। उसमें भी कभी-कभी ही यह योग, उदित रूप में, पूर्ण रूप से बनता है। पूर्व में यह योग 8 जुलाई 2002 से 25 नबंवर 2002 तक घटित हुआ था। आजकल यह योग पूर्ण रूप से 24 मई से अस्तित्व में है एवं 15 अक्तूबर तक प्रभावी रहेगा। इसके बाद अगले वर्ष, 2005 में, जुलाई-अगस्त में यह योग पुनः घटित होगा। तदुपरांत केवल 2008 में और फिर 2012 में, केवल अनुदित रूप में, घटित होगा।

प्रश्न: काल सर्प दोष पहले कभी सुनने में नहीं आया, तो क्या यह अभी शुरू हुआ है?

उत्तर: अनेक योग पत्री में विद्यमान होते हैं, जिनकी चर्चा विशेष रूप से नहीं हो पाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि वे दोष, या योग पहले नहीं थे। प्राचीन शास्त्रों में इस योग का उल्लेख विभिन्न रूपों में आया है। लेकिन कभी किसी योग की चर्चा, किसी काल विशेष में अधिक होने के कारण, सभी ज्योतिर्विदों एवं जनसाधारण तक पहुंच जाती है। ऐसा ही काल सर्प योग के साथ हुआ है। आजकल यह योग, अंतरिक्ष में बनने के कारण, अधिक चर्चित है।


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