कार्मिक अंक तथा कार्मिक ऋण
कार्मिक अंक तथा कार्मिक ऋण

कार्मिक अंक तथा कार्मिक ऋण  

मनोज कुमार
व्यूस : 11498 | मार्च 2013

11/2, 19/1, 13/4, 22/4, 14/5 एवं 16/7 जन्म तिथि के अनुसार उपर्युक्त अंक यदि विशिष्ट अंक के रूप में प्रकट होते हैं तो ये कार्मिक ऋृण प्रदर्शित करते हैं तथा इन्हें कार्मिक अंकों की संज्ञा दी जाती है। इन अंकों का हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव होता है तथा ये जीवन के हर क्षेत्र में उतार-चढ़ाव एवं परेशानियां दर्शाते हैं। यदि ये योग्यता अंक अथवा भाग्यांक के रूप में परिलक्षित होते हैं तो जीवन भर ये किसी न किसी रूप में पीड़ा एवं अवसाद का कारण बनते हैं। परिघटना अंक के रूप में यदि ये कुछ समय के लिये आते हैं तो वह समय कष्टकारी एवं पीड़ादायक साबित होता है। चुकानी पड़ती है। पूर्व जन्मों में किए गए अच्छे कार्य का ईनाम सफलता, पदोन्नति, आर्थिक लाभ, सम्मान आदि के रूप में इस जन्म में प्राप्त होता है। कोई व्यक्ति सफल होता है और कोई असफल, यह विचित्र स्थिति हमें अहसास दिलाती है कि इस ब्रह्मांड में कोई नियामक है जो हर चीज को गुण-दोष के आधार पर संचालित करती है। कार्मिक अंक का अवतरण यदि किसी विशिष्ट अंक के रूप में होता है तो व्यक्ति को ‘कर्म’ शब्द का बड़ा ही गहरा आध्यात्मिक, दार्शनिक एवं मार्मिक भाव है।

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हमारे द्वारा संपादित हर सकारात्मक एवं नकारात्मक कार्य ‘कर्म’ के अंतर्गत आता है तथा पूर्व के जन्मों में किए गए अच्छे-बुरे कार्यों का परिणाम ‘कर्म’ में समाविष्ट है। हर व्यक्ति को वर्तमान जीवन में अपने पूर्व जन्मों में किए गए नकारात्मक कार्यों की कीमत असफलता, पीड़ा, निराशा, दुर्घटना आदि रूपों में चुकानी पड़ती है। पूर्व जन्मों में किए गए अच्छे कार्य का ईनाम सफलता, पदोन्नति, आर्थिक लाभ, सम्मान आदि के रूप में इस जन्म में प्राप्त होता है। कोई व्यक्ति सफल होता है और कोई असफल, यह विचित्र स्थिति हमें अहसास दिलाती है कि इस ब्रह्मांड में कोई नियामक है जो हर चीज को गुण-दोष के आधार पर संचालित करती है। कार्मिक अंक का अवतरण यदि किसी विशिष्ट अंक के रूप में होता है तो व्यक्ति को जीवन में बार-बार असफलता का सामना करना पड़ता है। यदि यह परिघटना अंक (Event No.) के रूप में आता है तो इसका प्रभाव कुछ समय के लिए ही होता है। विभिन्न पुनर्जन्मों में हमारे संचित नकारात्मक कर्म हमारे कार्मिक अंकों के रूप में परिलक्षित होते हैं जिसके फलस्वरूप हमें वर्तमान जीवन में अतिरिक्त भार अपने कंधे पर लेकर एक खास प्रकार के सबक सीखने होते हैं तथा वे कार्य पूरे करने पड़ते हैं जो हमारे पूर्व जन्मों में संभव नहीं हो पाए थे। अंक ज्योतिष में इसी अतिरिक्त भार अथवा अत्यधिक पीड़ा झेलकर अपने कर्तव्यों तथा दायित्वों के निर्वहन को ही कार्मिक ऋण की संज्ञा दी गई है।


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जब तक कार्मिक ऋण का पूर्ण भुगतान नहीं हो जाता, पीड़ा एवं असफलता का दौर चलता रहता है। अंक 11/2: अंक 11/2 महानता एवं आत्म-विध्वंस (अपना विनाश) के बीच की कड़ी है। यदि व्यक्ति इसमें अंतर्निहित अंतज्र्ञान एवं आध्यात्मिक शक्ति को पहचान लेता है तो यह स्थायित्व, उन्नति एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है अन्यथा आत्मघाती साबित होता है। अधिकतर मामलों में यह आत्मघाती ही साबित होता है, हालांकि अनेक बड़े संतों के योग्यता अंक 11/2 थे जिन्होंने आध्यात्मिक चरमोत्कर्ष प्राप्त किए। आर्थिक एवं पारिवारिक कष्ट, असफलता, व्यवसाय में निरंतर नुकसान आदि इस अंक के घातक परिणाम हैं। ऐसा अनुभव में देखा गया है कि जिस किसी भी जातक के किसी विशिष्ट अंक के रूप में खासकर योग्यता अंक के रूप में 11/2 आता है तो, उसकी या तो शादी नहीं होती, यदि होती भी है तो दांपत्य संबंध अच्छे नहीं होते अथवा तलाक हो जाता है। यदि यह अंक किसी अन्य प्रमुख अंक के रूप में भी उपस्थित होता है तो चहुंमुखी कष्ट का कारण बनता है। खासकर यदि यह परिघटना अंक के रूप में आए तो व्यक्ति को तलाक, व्यवसाय नष्ट हो जाना, पद एवं शक्ति में ह्रास आदि का सामना करना पड़ सकता है। किंतु यदि व्यक्ति आध्यात्मिक है, दूसरों के प्रति चिंतनशील, क्षमाशील एवं सहनशील है तो यह समय आत्म बोध एवं आंतरिक जागृति के लिए अति उत्तम है। अंक 19/1: कार्मिक अंक 19/1 नकारात्मक 1 एवं नकारात्मक 9 के एक साथ मिलने का परिणाम है जो स्वार्थपरता एवं अहं को अभिव्यक्त करता है तथा योग्यता के गलत प्रयोग एवं अत्यधिक महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।

जिस जातक के विशिष्ट अंक के रूप में खासकर योग्यता अंक के रूप में यह अंक प्रकट होता है, उसे जीवन में सफल होने के अनेक अवसर प्राप्त होते हैं किंतु वह उन अवसरों का उचित लाभ नहीं ले पाता है। ऐसे व्यक्ति अपनी योग्यता का समुचित उपयोग कर पाने में कठिनाई का अनुभव करते हैं तथा योग्यता का उपयोग सही दिशा में अवसरों को भुनाने में नहीं कर पाते। ऐसे लोग हमेशा अपने करीबी लोगों के षड्यंत्र एवं धोखे का शिकार बनते हैं। ये दूसरों की न तो सुनना पसंद करते हैं और न ही दूसरों की सलाह अथवा सहायता लेते हैं। 13/4: (1 = स्वार्थपरता एवं अहंकार $3 = तुच्छ क्रिया-कलाप) । अंक 13/4 भी नकारात्मक 1 एवं 3 की अभिव्यक्ति है। यदि यह अंक किसी भी व्यक्ति के विशिष्ट अंक खासतौर पर योग्यता अंक के रूप में प्रकट होता है तो अथक एवं कठिन परिश्रम के बावजूद भी व्यक्ति को अभीष्ट परिणाम प्राप्त नहीं होते। कठिनाइयां एवं बाधा हमेशा इनके मार्ग में उपस्थित होते हैं जिससे इनमें निराशा की भावना घर कर जाती है तथा ये अत्यधिक बोझ तले दबा हुआ महसूस करते हैं। प्रायः ऐसा देखने में आता है कि 13/4 अंक वाले जातक अपनी ऊर्जा को किसी एक दिशा अथवा कार्य में संकेन्द्रित अथवा निर्देशित नहीं कर पाते तथा एक साथ अनेक कार्यों अथवा उद्यमों में अपनी ऊर्जा को निर्दिष्ट कर देते हैं जिसके परिणाम स्वरूप कोई भी कार्य ठीक प्रकार से पूर्ण नहीं हो पाता तथा उन्हें असफलता का मुंह देखना पड़ता है। सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद भी व्यक्ति सकारात्मक परिणाम पाने में सक्षम नहीं होता। हर कार्य में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, सीमित अवसर मिलते हैं और यह भी हाथ से निकल जाता है। 14/5: (1 = स्वार्थपरता एवं अहंकार 4 = गंभीरता का अभाव एवं गैर जिम्मेवार)। इस जन्म में 14/5 का योग्यता अंक के रूप में प्रकट होना अथवा अंक 14/5 का किसी अन्य विशिष्ट अंक के रूप में प्रकट होना पूर्व जन्म में शक्ति के दुरूपयोग एवं अत्यधिक विलासिता का प्रतिफल है। इस जन्म में भी यह नकारात्मकता पीछा नहीं छोड़ती तथा व्यक्ति की तीव्र ईच्छा शारीरिक सुख प्राप्त करने एवं उच्च जीवन जीने की होती है।


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अच्छा भोजन, मदिरा, वासना तथा दूसरी बुरी आदतें इनका पीछा नहीं छोड़तीं। व्यक्ति बेचैन रहता है, एक कार्य छोड़कर दूसरा कार्य करता है किंतु किसी में उसे सफलता प्राप्त नहीं होती। ये हमेशा परिवर्तन पसंद करते हैं तथा नए साथी की तलाश में रहते हैं। अतः इस कारण इनका वैवाहिक जीवन भी खतरे में रहता है। ये समय-समय पर ठोकर खाते रहते हैं किंतु फिर भी अपने हठ के कारण किसी भी कीमत पर सुधरने को तैयार नहीं होते। 16/7 (1 = स्वार्थपरता एवं अहंकार+6 = अवैध प्रणय संबंध) अंक 16/7 का किसी भी प्रकार से अवतरण चाहे विशिष्ट अंक के रूप में अथवा परिघटना अंक (Event No.) के रूप में, कष्ट एवं संकट का द्योतक है। ऐसे व्यक्ति अपने असामान्य व्यवहार तथा अंतर्मुखी होने के कारण लोगों से तथा समाज से अलग-थलग पड़ जाते हैं। इस कारण इनका व्यवसाय तथा दांपत्य संबंध दोनों बर्बादी के कगार पर पहुंच जाते हैं तथा लाख कोशिशों के बावजूद भी बचाए नहीं जा पाते। अचानक से शक्ति, सत्ता, प्रतिष्ठा, सम्मान में ह्रास होने लगता है तथा जमापूंजी भी खत्म होने लगती है। कार्मिक अंक 16/7 आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त कर सकता है यदि इसे अभीष्ट दिशा में निर्दिष्ट किया जाय। अनुभव में ऐसा देखा गया है कि यदि किसी व्यक्ति के विशिष्ट अंक के रूप में अंक 16/7 उपस्थित होता है तो यह जीवन के हर क्षेत्र में उम्र के विभिन्न पड़ाव पर भारी उतार-चढ़ाव उत्पन्न करता है। ऐसे व्यक्ति का वैवाहिक जीवन विशेष रूप से, सुखी नहीं रहता तथा उसके अनेक अवैध संबंध बनते हैं। 22/4: अंक 22/4 भी एक कार्मिक अंक है तथा यह अत्यधिक संवेदनशीलता (दो बार 2) तथा भौतिक व्यवहार में कठिनाई (कुल 4) को प्रदर्शित करता है।

यह अंक यदि योग्यता अंक अथवा अन्य विशिष्ट अंक के रूप में प्रकट होता है तो जीवन के हर मोड़ पर उतार-चढ़ाव के दर्शन कराता है। ऐसे व्यक्ति को अनेक महत्वपूर्ण अवसर मिलते हैं किंतु एक साथ कई कार्य अपने हाथ में ले लेने के कारण तथा उनको योग्यतापूर्वक संपादित कर पाने में अपनी असमर्थता के कारण हर कार्य में असफल हो जाते हं। परिणामस्वरूप उसे अपमान झेलना पड़ता है और वह स्वयं को हारा हुआ महसूस करता है। उदाहरण : राजकुमारी डायना, July 1, 1961 ब्रिटेन के भावी राजा प्रिन्स चाल्र्स की परित्यक्ता पत्नी राजकुमारी डायना का जन्म 1 जुलाई 1961 को हुआ था। राजकुमारी डायना का योग्यता अंक भी July 1, 1961 = 7+1+17/8= 16/7 था जो कि अति कार्मिक अंक है। संपूर्ण विश्व इनसे संबंधित विवादों, इनके विवादित अनैतिक प्रेम संबंधों एवं समय-समय पर प्रिन्स चाल्र्स से इनके झगड़ों से वाकिफ है जिसने अंततः इनके तलाक का मार्ग प्रशस्त किया। बाद में इनका प्रेम संबंध प्रिन्स डोडी फयद के साथ हुआ और इन्हीं के साथ पेरिस की यात्रा के दौरान कार दुर्घटना में दोनों की मृत्यु हो गई। कार्मिक अंक 16/7 के कारण ही ये हमेशा गलत कारणों से खबरों में रहीं चाहे अपने घुड़सवारी के प्रशिक्षक के साथ प्रेम संबंध की अफवाह हो अथवा किसी और के साथ। इस प्रकार का विध्वंसकारी प्रभाव होता है कार्मिक अंकों का। ऐसा व्यवहार में देखा गया है कि जब कभी भी जीवन में कार्मिक अंक विशिष्ट अंक के रूप में प्रकट होते हैं, ये हमेशा ही बाधा, गतिरोध, पीड़ा एवं संकट उपस्थित कर जीवन को नारकीय बना देते हैं।


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