ऐसे सजाएं घर को.....
ऐसे सजाएं घर को.....

ऐसे सजाएं घर को.....  

मनोज कुमार
व्यूस : 7925 | मई 2014

मुख्य द्वार घर के मुख्य द्वार से हर प्रकार के अवरोध जैसे झाड़ियां, वस्तुएं, फर्नीचर इत्यादि हटा दें। मुख्य द्वार प्रकाश से जगमग रहना चाहिए, यहां हमेशा रोशनी का उचित प्रबंध होना चाहिए। फ्यूज बल्ब को तुरंत बदलने की व्यवस्था रखें।

घर के मुख्य द्वार पर मांगलिक चिह्नों जैसे- ऊँ, स्वास्तिक आदि का प्रयोग करना चाहिए तथा ‘ऊँ बेल’ लटकाना चाहिए। घर में मुख्य द्वार जैसे अन्य दूसरे द्वार नहीं बनाने चाहिए तथा मुख्य द्वार को फल, पत्र, लता आदि के चित्रों से अलंकृत करना चाहिए। बृहद्वास्तुमाला में भी कहा गया है- मूलद्वारं नान्यैद्वारैर भिसन्दधीत रूपद्धर्या। घटफलपत्रप्रथमादि भिश्च तन्मंगलैश्चिनुयात्।।

अतः मुख्य द्वार पर कभी भी वीभत्स चित्र इत्यादि नहीं लगाना चाहिए। ड्राइंग रूम यह घर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कक्ष होता है जहां घर के सदस्यों के अलावा आगन्तुक मेहमान भी तशरीफ रखते हैं। अतः इस कक्ष को हर प्रकार से आकर्षक एवं वास्तु दोषों से मुक्त होना आवश्यक है। ड्राइंग रूम में लाल सोफा कदापि न रखें। लाल सोफा रहने से घर के सदस्यों के बीच आपसी मतभेद, अत्यधिक कार्य का भार तथा अन्य प्रकार के अवरोध पैदा होते हैं।

डायनिंग रूम में मार्बल का टेबल नहीं रखें। यदि है तो उसे हटाकर लकड़ी का टेबल रखें। मार्बल का टेबल व्यवसाय एवं कार्य से संबंधित परेशानियां दे सकता है। ड्राइंग रूम में फर्नीचर, शो केस तथा अन्य भारी वस्तुएं दक्षिण-पश्चिम (नैर्ऋत्य) में रखनी चाहिए। फर्नीचर रखते समय इस बात का ध्यान रखें कि घर के मालिक का मुख बैठते समय पूर्व या उŸार की ओर रहे।

यदि ड्राइंग रूम में एक्वेरियम अथवा फाउन्टेन रखना चाहते हैं तो हमेशा इसे उŸार-पूर्व कोने में रखें। टी.वी. दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) कोने में रखें तो उŸाम है। ड्राइंग रूम में ही मृत पूर्वजों के चित्र दक्षिणी दीवार पर लगाएं। ड्राइंग रूम की दीवारों का रंग वैसे तो घर के मालिक के कुआ अंक के अनुरूप होना चाहिए, यदि आप इसका अनुसरण नहीं करना चाहते हैं तो सामान्य रूप से दीवारों पर हल्का नीला, आसमानी, पीला, क्रीम या हरा रंग कराएं।

बेडरूम शयनकक्ष में पलंग दक्षिणी दीवारों से सटा होना चाहिए। पलंग दरवाजे, खिड़की के ठीक सामने नहीं होना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा में होनी चाहिए तथा पैर दरवाजे के ठीक सामने नहीं होना चाहिए। बीम के नीचे कभी नहीं सोएं। ज्ञान प्राप्ति के लिए पूर्व की ओर तथा धन प्राप्ति के लिए दक्षिण की ओर सिर करके सोना वास्तु में प्रशस्त माना गया है।

सोते समय कभी भी वास्तु पद में तिर्यक् रेखा में नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है। शयन कक्ष में दर्पण नहीं होना चाहिए, यदि हो भी तो सोते समय प्रतिबिम्ब नहीं दिखना चाहिए। यदि दर्पण ऐसी स्थिति में हो तो पति-पत्नी तथा घर के सदस्यों में आपसी कलह की स्थिति उत्पन्न होती है। यदि दर्पण हटाना संभव न हो तो रात में उसे ढंक दें।

बेडरूम की दीवारों का रंग वहां सोने वाले मुख्य व्यक्ति के कुआ अंक के अनुरूप कराएं अथवा हल्का रंग कराएं। रसोई घर यथासंभव रसोईघर दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) हिस्से में निर्मित होना चाहिए। विकल्प के तौर पर उŸार-पश्चिम (वायव्य) में भी रसोईघर का निर्माण किया जा सकता है। गैस चूल्हा रसोईघर के दक्षिण-पूर्व हिस्से में इस प्रकार रखना चाहिए कि भोजन बनाते समय गृहिणी का मुख पूर्व या उŸार दिशा की ओर हो। बर्तन, मसाले, राशन इत्यादि पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।

बिजली के उपकरण, गीजर आदि दक्षिण-पूर्व में रखना चाहिए। फ्रीज दक्षिण-पश्चिम (नैर्ऋत्य) कोने में रखना चाहिए। जल की व्यवस्था तथा सिंक उत्तर-पूर्व (ईशान) कोने में व्यवस्थित होना चाहिए। जूठे बर्तन तथा चूल्हे की स्लैब अलग होनी चाहिए। गैस चूल्हा तथा सिंक के बीच की दूरी अधिकतम होनी चाहिए। रसोईघर में दवाइयां नहीं रखनी चाहिए। रसोईघर में हरा, क्रीम या गुलाबी रंग करवाया जा सकता है। काला रंग बिल्कुल न करवाएं।

पूजाघर घर में पूजा का स्थान उŸार, पूर्व या उŸार-पूर्व में होना चाहिए। वैसे उŸार-पूर्व (ईशान) सर्वोŸाम है। पूजा करते वक्त मुंह पूर्व/उŸार दिशा में होना चाहिए। वैसे तो पूजा घर में मूर्तियों की बजाय फोटो रखें किंतु यदि मूर्तियां रखें तो इस बात का ध्यान रखें कि उनकी ऊँचाई 9’’ से अधिक अथवा 2’’ से कम न हो। मूर्तियां या फोटो इस तरह से रखनी चाहिए कि वे आमने-सामने न हों।

घर में सार्वजनिक मंदिर की तरह पूजा कक्ष में गुम्बद, ध्वज, कलश, त्रिशूल या शिवलिंग इत्यादि नहीं रखना चाहिए। पूजा स्थल बेडरूम में नहीं होना चाहिए। यदि बेडरूम में ही पूजा का स्थान बनाना मजबूरी हो तो वहां पर्दे की व्यवस्था करनी चाहिए। पूजा घर में सफेद, हल्का पीला, गुलाबी अथवा हल्का नीला रंग करवाना चाहिए। बाथरूम एवं टाॅयलेट घर की आंतरिक साज-सज्जा में बाथरूम एवं टाॅयलेट का भी भलीभांति ध्यान रखना आवश्यक है।

आजकल बाथरूम एवं टाॅयलेट साथ बनाने की परिपाटी है। नल को यथासंभव पूर्व या उŸार की दीवार पर लगाना चाहिए जिससे स्नान के समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में हो। बाथरूम घर में अध्ययन कक्ष उŸार-पूर्व या में वाॅश बेसिन ईशान या पूर्व में रखना चाहिए। गीजर, स्विच बोर्ड आदि दक्षिण-पूर्व (आग्नेय कोण) दिशा में होना चाहिए। बाथ टब इस प्रकार व्यवस्थित हो कि नहाते समय पैर दक्षिण दिशा में न हो।

बाथरूम की दीवारों या टाइल्स का रंग हल्का नीला, आसमानी, सफेद या गुलाबी होना चाहिए। टाॅयलेट में व्यवस्था इस प्रकार हो कि शौच में बैठते समय मुख दक्षिण या पश्चिम में हो। अन्य व्यवस्थाएं बाथरूम के ही समान रखनी चाहिए यदि टाॅयलेट अलग हो। अध्ययन कक्ष पश्चिम मध्य में होना चाहिए। स्टडी टेबल इस प्रकार व्यवस्थित होना चाहिए कि पढ़ते समय मुख उŸार या पूर्व दिशा में हो।

पीठ के पीछे दीवार हो किंतु खिड़की या दरवाजा न हो तथा सिर के ऊपर बीम न हो। अध्ययन कक्ष में किताब रखने की आलमारी दक्षिणी दीवार पर या पश्चिम दीवार पर होनी चाहिए। आलमारी कभी भी नैर्ऋत्य या वायव्य कोण में नहीं होनी चाहिए। अध्ययन कक्ष का रंग हल्का हरा, बादामी, हल्का आसमानी या सफेद रखना चाहिए।

जीवन में जरूरत है ज्योतिषीय मार्गदर्शन की? अभी बात करें फ्यूचर पॉइंट ज्योतिषियों से!



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.