कालसर्प दोष के निवारण के अनेक शास्त्रसम्मत विधान ज्योतिर्विदों एवं विद्वानों ने बताए हैं जिनके अपनाने से अभीष्ट लाभ प्राप्त होता है। इन उपायों में त्रिविध साधन यानि तंत्र-मंत्र-यंत्र सर्वोपरि हैं। तंत्र साधना आमजनों के वश की बात नहीं है। अतः इसीलिए, विद्वानों ने कालसर्प दोष निवारण यंत्र की स्थापना करके विधिवत् उसके पूजन तथा कालसर्प मंत्र के उच्चारण को श्रेष्ठ एवं सर्वसाधारण के लिए सर्वथा उपयुक्त माना है। कालसर्प दोष का नाम सुनते ही लोग सहम जाते हैं तथा भावी खतरे की आशंका से चिंतातुर हो जाते हैं। कालसर्प योग एक भयानक, दुखदायी व पीड़ाकारक योग माना जाता है। आज भारत के ज्योतिष जगत में कालसर्प योग हर आम एवं खास व्यक्ति की जुबान पर है।
इस योग के पक्षधर विद्वानों के अनुसार यह योग जिस जातक की कुंडली में होता है, उसके जीवन में पग-पग पर बाधाएं आती हैं। विशेषकर राहु एवं केतु की दशा/अंतर्दशा के समय में जातक आर्थिक, व्यावसायिक एवं मानसिक उलझनों से निकल नहीं पाता तथा बहुधा दीनता या हीनता का शिकार हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि अन्य ग्रह योग बलवान न हों तो कालसर्प योग में जन्मे शिशु की मृत्यु तत्काल हो जाती है। जन्मकुंडली में जब सारे ग्रह राहु-केतु के एक ही ओर अवस्थित हों तो कालसर्प योग का निर्माण होता है। अतः कालसर्प योग जिस किसी भी जातक/जातिका के जन्मांग में है, ऐसे व्यक्ति को अपने जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ता है।
इच्छाओं की पूर्ति नहीं हो पाती, यश नहीं मिल पाता, सुख-समृद्धि एवं पारिवारिक जीवन में निरंतर बाधा उपस्थित होती है। कुछ भी काफी विलंब एवं मशक्कत के उपरांत प्राप्त होता है। कालसर्प दोष के निवारण के अनेक शास्त्रसम्मत विधान ज्योतिर्विदों एवं विद्वानों ने बताए हैं जिनके अपनाने से अभीष्ट लाभ प्राप्त होता है। इन उपायों में त्रिविध साधन यानि तंत्र-मंत्र-यंत्र सर्वोपरि हैं। तंत्र साधना आमजनों के वश की बात नहीं है। अतः इसीलिए, विद्वानों ने कालसर्प दोष निवारण यंत्र की स्थापना करके विधिवत् उसके पूजन तथा कालसर्प मंत्र के उच्चारण को श्रेष्ठ एवं सर्वसाधारण के लिए सर्वथा उपयुक्त माना है।
व्यवहार में ऐसा देखा गया है कि यदि कालसर्प दोष निवारण यंत्र की विधिवत् पूजा एवं मंत्रोच्चार किए जाते हैं तो कालसर्प योग से उत्पन्न दोष का निवारण एवं शमन हो जाता है तथा जातक अपनी मनोवांछित कामनाएं पूर्ण करने में सफल हो पाता है, उसकी पीड़ा एवं हर प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं। व्यवहार में ऐसा देखा गया है कि कालसर्प दोष निवारण यंत्र की विधि सम्मत पूजा-अर्चना न सिर्फ दोष का निवारण करने में सक्षम है अपितु यह हर प्रकार के लाभ एवं धन-धान्य से व्यक्ति को भर देता है तथा व्यक्ति हर प्रकार की सुख, शांति का अनुभव करने लगता है तथा पूर्ण रूप से संतुष्ट हो जाता है।
जीवन की हर कामना तृप्त हो जाती है। जातक में दृढ़ ईच्छाशक्ति का संचार होना प्रारंभ हो जाता है तथा वह स्वयं को भाग्यशाली एवं असाधारण व्यक्तित्व का धनी समझने लगता है। उसका व्यवहार भी दयालु, परोपकारी एवं कर्तव्यनिष्ठ हो जाता है। उसमें जीवटता का समावेश हो जाता है तथा सामाजिक न्याय के प्रति अपना यथेष्ट योगदान देने के लिए वह तत्पर हो जाता है। उसके इस असाधारण व्यक्तित्व से समाज में उसकी गरिमा एवं प्रतिष्ठा बढ़ती है तथा सब उसे काफी सम्मान की निगाह से देखते हैं।