पंच पक्षी की गतिविधिया
पंच पक्षी की गतिविधिया

पंच पक्षी की गतिविधिया  

मनोज कुमार
व्यूस : 11130 | जून 2014

पंच पक्षी की क्रियाविधि के विषय में पूर्व के आलेखों में काफी चर्चा की जा चुकी है। पंच पक्षी शास्त्र काफी सटीक एवं वैज्ञानिक है तथा प्राचीन समय से ही दक्षिण भारत में अति प्रचलित रहा है। पंच पक्षी की गतिविधियों को दृष्टिगत रखकर यदि किसी कार्य के लिए उचित समय का निर्धारण किया जाय तथा कार्य संपादित किये जायें तो वह कार्य निश्चित रूप से सफल होता है ऐसा अनुभव सिद्ध है। पूर्व के आलेखों में हर व्यक्ति के पंच पक्षी के निर्धारण की पद्धति का सरल एवं विस्तृत विवेचन किया जा चुका है। पंच पक्षी दिन एवं रात्रि के विभिन्न यम काल में अन्यान्य गतिविधियां संपन्न करते हैं। शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष में उनकी गतिविधियों के क्रम में परिवर्तन आता रहता है। यदि दिन एवं रात की अवधि को औसत रूप से 12 घंटे का मान लिया जाय तो इस प्रकार 2 घंटे 24 मिनट की अवधि का एक यम होगा तथा इस प्रकार दिन के 5 यम तथा रात्रि के 5 यम होंगे। दिन तथा रात के इन 5-5 यमों की अवधि में प्रत्येक पक्षी तात्विक स्पंदन के आधार पर अपनी अलग-अलग गतिविधियों में संलग्न रहेंगे।

इनकी गतिविधियों में सबसे शक्तिशाली गतिविधि है- शासन करना। इसके उपरांत घटती हुई शक्ति के क्रम में अन्य गतिविधियां हैं- खाना, घूमना, सोना एवं मरना। जिस काल में आपका जन्म पक्षी शासन करने की गतिविधि में संलग्न हो तथा इसके मित्र पक्षी की गतिविधि भी शासन करने की ही हो तो ऐसे काल में किए गए हर कार्य की सफलता निश्चित समझनी चाहिए। इसी प्रकार क्रम से सफलता का स्तर कम होता चला जाएगा। जिस काल में जन्मपक्षी ‘मरना’ गतिविधि में संलग्न हो उस काल में कार्य संपादित करना असफलता का सूचक है, अतः पूर्णतः त्याज्य है। एक काल में कोई भी दो पक्षी समान गतिविधियों में संलग्न नहीं रहते। एक पक्षी जो कार्य उस समय कर रहा होता है बाकि के पक्षी क्रम से चार अन्य गतिविधियों में व्यस्त होते हैं। किसी व्यक्ति का जन्म पक्षी यदि सर्वाधिक शक्तिशाली गतिविधि में संलग्न हो तो उस समयावधि में किए गए हर कार्य में उसे सफलता हासिल होगी तथा वह अपने प्रतिद्वंद्वी पर विजयी होगा।

उसे इस समयावधि में नौकरी के लिए दिए गए इन्टरव्यू में सफलता मिलेगी, वह अपने प्रेमी/प्रेमिका का दिल जीतने में सक्षम होगा, यदि बीमार है तो इस समयावधि में इलाज शुरू करने से जल्दी ठीक हो जाएगा। अर्थात् यह समयावधि चहुंमुखी सफलता का द्योतक है। इस काल में यदि किसी कन्या को प्रथम रजोदर्शन होते हैं तो वह पूरे जीवन भर सुखी रहती है तथा उच्च जीवन शैली कायम रखती है। इसे जीवन की हर परिस्थिति एवं हर क्षेत्र में लागू किया जा सकता है जैसे खेलकूद, उद्योग, शेयर मार्केट इत्यादि। इसी प्रकार से यात्रा का प्रारंभ करने, अपने बाॅस से मिलने जाने, विवाह करने, शिक्षारंभ करने, नौकरी आरंभ करने, शपथ ग्रहण करने आदि के लिए भी अपने जन्मपक्षी के आधार पर शक्तिशाली समय का निर्धारण किया जा सकता है क्योंकि इसमें सफलता शत प्रतिशत निश्चित है। अतः यह पूर्णरूपेण सफलता की कुंजी है यदि इसका बुद्धिमत्तापूर्वक एवं सावधानी पूर्वक प्रयोग किया जाय।

प्रत्येक पक्षी को विभिन्न कारकत्व भी प्रदान किए गए हैं जैसे- दिशा, रंग, ग्रह, संख्या, मानव शरीर के अंग इत्यादि। इनका अनुप्रयोग खास परिस्थितियों में लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता है। हर प्रकार की गतिविधि की समयावधि को ‘यम’ कहा जाता है जिसका काल 2 घंटे एवं 24 मिनट होते हैं। पांच यम काल दिन के 12 घंटे एवं इसी प्रकार पांच यम काल रात के 12 घंटे का प्रतिनिधित्व करते हैं। हर मुख्य गतिविधि के अंतर्गत 5 उपगतिविधियां छोेटे अंतराल के लिए आती हैं। उदाहरण के लिए मान लें कि आपका जन्मपक्षी शासन करने की गतिविधि में संलग्न है तो विभिन्न पक्षियों की उपगतिविधियों का क्रम इस प्रकार होगा- शासन में शासन, शासन में खाना, शासन में घूमना, शासन में सोना तथा शासन में मरना। इसी प्रकार का क्रम चार अन्य मुख्य गतिविधियों के लिए भी होगा। इस प्रकार ‘शासन में शासन’ सर्वाधिक शक्तिशाली तथा सफलता का द्योतक तो दूसरी ओर ‘मरना में मरना’ सर्वाधिक कमजोर तथा असफलता का सूचक है।

इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है कि ‘शासन में शासन’, ‘शासन में खाना’ ‘खाना में शासन’ एवं ‘खाना में खाना’ गतिविधियां सदैव अनुकूल एवं शक्तिशाली अवरोही क्रम से साबित होंगे तथा इन समयान्तरालों का लाभप्रद उपयोग जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के निहितार्थ किया जा सकता है। जब एक पक्षी किसी मुख्य गतिविधि में संलग्न हेाता है तो दूसरे चार पक्षी क्रम से अन्य चार उपगतिविधियों में संलग्न रहते हैं। इन चार पक्षियों का मुख्य गतिविधि में संलग्न पक्षी के साथ मित्रता अथवा शत्रुता का संबंध होता है। अतः उपगतिविधिं जो स्वयं ही गतिविधि के स्वभावगत लक्षण से शुभ अथवा अशुभ होता है, वह पक्षियों के आपसी संबंध से और भी बेहतर अथवा और भी खराब हो सकता है।

उदाहरण स्वरूप मान लें कि आपका जन्म पक्षी ‘कौआ’ मुख्य गतिविधि ‘शासन’ में संलग्न है तथा इसका कट्टर शत्रु ‘मयूर’ उपगतिविधि ‘खाना’ संपादित कर रहा है तो सामान्य रूप में इसका फल अच्छा ही माना जाएगा क्योंकि ‘शासन में खाना’ अच्छी समयावधि है। किंतु उपगतिविधि संपन्न करने वाला पक्षी ‘मयूर’ मुख्य गतिविधि में संलग्न पक्षी ‘कौआ’ का कट्टर शत्रु है अतः यह समयावधि बहुत अच्छा तो साबित नहीं होगा यह औसत फलदायी होगा। इसी तरह का क्रम एवं क्रियाविधि दोनों पक्षों में चलते हैं। हर दिन/रात के लिए एवं शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष के लिए पांचों पक्षियों की गतिविधिं हर यम काल के लिए निश्चित की गई हैं। अगले आलेख में इनका विवरण प्रस्तुत कर इनकी व्याख्या की जाएगी।



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