पिछले अंक में महत्वपूर्ण विशिष्ट अंकों की गणना की विधि की चर्चा की गई तथा उनकी व्याख्या किस प्रकार की जाती है, उदाहरण के द्वारा समझाया गया। इसी कड़ी में इस अंक में एक और महत्वपूर्ण विशिष्ट अंक परिघटना अंक की गणना की विधि तथा उनकी व्याख्या आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। परिघटना अंक हमारे वर्तमान को इंगित करते हैं तथा आने वाले कुछ समय में जीवन में घटने वाली अच्छी-बुरी घटनाओं की रूप-रेखा तय करते हैं, आपके समक्ष क्या चुनौतियां उपस्थित होने वाली हैं
अथवा जीवन में किस प्रकार के महत्वपूर्ण अवसर आपको प्राप्त होने वाले हैं, इस ओर भी संकेत करते हैं ताकि आप अंक ज्योतिषी का सही मार्गदर्शन लेकर आवश्यक कदम उठा सकें। परिघटना अंकों की गणना नाम पर आधारित होती है तथा नाम के प्रत्येक भाग के अक्षरों का योग वर्ष दर वर्ष जीवन की घटनाओं का संकेत करते हैं।
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नाम के हर अक्षर के भी अपने सन्निहित अर्थ होते हैं। इसकी व्याख्या बाद के अंकों में की जाएगी। कलश तथा चुनौती अंकों की गणना जन्म तिथि पर आधारित होती है, अतः इसे बदला नहीं जा सकता। परिघटना अंक यदि लगातार बुरे घटनाक्रम को प्रदर्शित कर रहे होते हैं तो, कुशल अंकज्योतिषी के मार्गदर्शन में नाम की स्पेलिंग में थोड़ा परिवर्तन करके लगातार चल रहे अथवा आने वाले बुरे दौर के क्रम को बदला जा सकता है। किसी भी व्यक्ति के नाम के दो, तीन, चार अथवा अधिक हिस्से हो सकते हैं।
नाम का प्रत्येक हिस्सा अथवा प्रत्येक नाम व्यक्ति के जीवन पर स्वतंत्र प्रभाव डालते हैं। किंतु सभी नाम मिलकर माला के मनके की भांति एक साथ कार्य करते हैं तथा संचयी प्रभाव पैदा कर घटनाएं उत्पन्न करते हैं। प्रत्येक नाम के अक्षरों का आंकिक मूल्य जोड़ा जाता है फिर उसे एकल अंक में परिवर्तित किया जाता है। ये अंक अलग-अलग नामों के समय को दर्शाते हैं। उदाहरण के रूप में हम यहां विराट कोहली का जन्म विवरण ले रहे हैं।
उदाहरण: Virat Kohli का जन्म Nov. 5, 1988 को हुआ था। हम यहां पहले Virat Kohli के परिघटना अंकों की गणना करेंगे। VIRAT KOHLI 49912 26839 25 28 इनका प्रथम नाम Virat जन्म से लेकर 25 वर्ष की उम्र तक प्रभावी रहेगा। एक बार समाप्त होने के बाद, इसकी शुरूआत पुनः 25 वर्ष की उम्र में होगी और दूसरी बार यह 50 वर्ष की उम्र तक चलेगा। दूसरा नाम Kohli 28 वर्ष के चक्र के रूप में चलेगा। इनके दोनों नामों का संचयी प्रभाव प्रत्येक वर्ष के लिए ज्ञात करना पड़ेगा। यही बताएगा कि उस वर्ष किस प्रकार की घटनाएं होंगी।
एक अक्षर का आंकिक मूल्य ‘घटनाओं के स्वरूप एवं प्रकृति’ तथा यह कब समाप्त होगा, इसकी अवधि (वर्षों में) दर्शाता है। उदाहरण के लिए, A का मान 1 है, तो इस का तात्पर्य यह है कि 1 के गुण वाले कार्य 1 वर्ष की अवधि के लिए किए जाएंगे, जब कभी भी अक्षर A जीवन में प्रकट होगा। V का मान 4 है, अतः इसका तात्पर्य यह है कि 4 में समाविष्ट गुणों के अनुरूप ही कार्य होंगे तथा इसकी अवधि 4 वर्षों की होगी, जब कभी अक्षर V जीवन में प्रकट होगा। इस प्रकार Virat Kohli अक्षर V के प्रभाव में जन्म से लेकर 4 वर्ष तक की उम्र तक थे।
इसने उन्हें पहले 4 वर्षों में प्रभावित किया। इसके उपरांत वे 4 से 13 वर्षो तक अक्षर I के प्रभाव में रहे। इसने उन्हें सृजनशील, आशावादी तथा सहयोगात्मक बनाया होगा। इसी प्रकार से पहले नाम के प्रत्येक अक्षर का प्रभाव 25 वर्ष की उम्र पूरा होने तक चलता रहेगा। उनके दूसरे नाम Kohli के प्रथम अक्षर K का प्रभाव जन्म से 2 वर्ष की उम्र तक रहेगा, O का 2 से 8 वर्ष तक की उम्र तक तथा क्रमशः प्रत्येक अक्षर अपने गुण के अनुरूप उनके जीवन को 28 वर्ष की उम्र तक प्रभावित करते रहेंगे।
अब यदि हम इनके दोनों नामों का संचयी प्रभाव देखें तो प्रथम नाम Virat का पहला अक्षर V 4 वर्षों तक चलेगा, वहीं दूसरे नाम Kohli का पहला अक्षर K 2 वर्षों तक चलेगा। अर्थात उनके जीवन पर V एवं K का सम्मिलित प्रभाव पहले दो वर्षों तक रहेगा। पहले दो वर्षों के लिए V एवं K के आंकिक मूल्यों का योग ही इनके जीवन के प्रथम वर्षों के लिए परिघटना अंक होगा। तीसरे वर्ष से इनके दूसरे नाम का दूसरा अक्षर O शुरू हो जाता है
जो कि अगले 6 वर्षों तक चलेगा जबकि पहले नाम का पहला अक्षर V अभी भी चल रहा है तथा यह 4 वर्ष की उम्र तक चलेगा, यानि अब अगले दो वर्षों के लिए परिघटना अंक अक्षर V एवं O के आंकिक मानों का योग होगा। अतः तीसरे एवं चैथे वर्ष के लिए परिघटना अंक = V+O= 4+6= 10/1 इसी प्रकार से परिघटना अंकों की गणना अंक कुंडली में, जिस अवधि के लिए कुंडली बनानी हो उस अवधि तक के लिए करते हैं।
अब मान लीजिए कि हमें Virat Kohli के लिए उनके जन्म से वर्ष 1997 तक की अवधि का परिघटना अंक ज्ञात करना है। इसके लिए पहले एक सारणी बनाकर उसमें लगातार उनका उम्र दर्शाते हैं तथा हर उम्र के लिए चलने वाले प्रथम एवं द्वितीय नाम के अक्षरों को एक-दूसरे के नीचे लिखते हैं। इसके उपरांत उनके दोनों नामों के अक्षरों का योग करके नीचे लिखते हैं।
यही विभिन्न वर्षों के लिए उनका परिघटना अंक होगा। परिघटना अंक को संक्षिप्त रूप में E.No. लिखकर संबोधित करेंगे। Step I: सारणी के ऊपर में वर्ष दर्शाएंगे। Step II: वर्ष के नीचे उम्र लिखेंगे। Step III: उम्र के नीचे पहले नाम का वह अक्षर लिखेंगे जो उस समय क्रियाशील है। Step IV: पहले नाम के नीचे दूसरे नाम का वह अक्षर लिखेंगे जो उस समय क्रियाशील है।
इसी प्रकार यह क्रम चलता रहेगा यदि तीन, चार अथवा अधिक नाम हैं। Step V: नाम के प्रत्येक अक्षरों का योग करके नीचे लिखेंगे। यही परिघटना अंक कहा जाएगा। Virat Kohli का 1988 से 1997 तक का परिघटना अंक ज्ञात करके निम्नांकित विधि से लिखा जाएगा: अतः Virat Kohli 1988 से 1990 तक परिघटना अंक 6 के प्रभाव में रहे जिसमें अक्षर V तथा K का संचयी प्रभाव शामिल था।
इसी प्रकार अगले दो वर्षों तक वे परिघटना अंक 10/1 के प्रभाव में रहे तथा यह क्रम चलता रहा। परिघटना अंक तथा इनके पीछे छिपे अक्षरों का भी बड़ा ही व्यापक अर्थ होता है जिसे समझना किसी भी अंक ज्योतिषी के लिए अथवा पाइथागोरियन अंक ज्योतिष के आधार पर भविष्यवाणी करने वाले हर व्यक्ति के लिए अच्छी प्रकार से समझना आवश्यक है। इसी प्रकार से किसी भी अवधि के लिए परिघटना अंकों की गणना की जाती है।
ये परिघटना अंक अपने स्वभाव के अनुसार अच्छे या बुरे परिणामों से जातक को प्रभावित करते रहते हैं। यदि लगातार बुरी घटनाओं से जातक आक्रांत रहता है तो इसी कारण से अंक ज्योतिषी नाम की स्पेलिंग में थोड़ा परिवर्तन करने की सलाह देते हैं ताकि परेशानियों से छुटकारा पाया जा सके।