मेषादि द्वादश राशियों के लग्न में निर्मित होने वाले कालसर्प योगों का विभिन्न रूपों में अलग-अलग प्रभाव होता है। मेष तथा वृश्चिक लग्न मंगल की राशि मेष-वृश्चिक लग्न में जन्मकुंडली में कालसर्प निर्मित हो तो मंगल तथा राहु दोनों से पीड़ा तथा परेशानियां होती हैं।
ऐसी परिस्थितियों में जातक को न तो नौकरी तथा न ही व्यापार-व्यवसाय इत्यादि में सफलता मिल पाती है और न ही वह संतुष्ट रह पाता है। जातक के जीवन में धनागमन के साधन विषमताओं से ग्रस्त रहते हैं। उत्तरोत्तर संघर्ष करते-करते उसका आत्मविश्वास टूट जाता है। जिंदगी भर उसको कमाई का कोई ठोस साधन प्राप्त नहीं हो पाता है। असंतोष तथा बेचैनी बढ़ाने वाले कई कारण स्वयं ही पैदा हो जाते हैं।
सारांशतः जातक का जीवन अशांत, असंतुष्ट, नीरस एवं संघर्षयुक्त रहता है। वृष तथा तुला लग्न शुक्र की वृष-तुला राशि में यदि कालसर्प योग बनता है तो जातक अपने रोजी-रोजगार के संबंध में प्रायः हमेशा चिंतित रहता है। उसे डर रहता है कि रोजगार का जो साधन उसके पास है, वह कब उसके हाथ से छिन जायेगा? इस भयग्रस्त विचार के कारण कि उसकी जीवन नैया कब डूब जायेगी यह विचार उसे भयभीत बनाता है। जातक को विश्वास ही नहीं होता कि वह अपने लक्ष्य तक पहुंच चुका है और उसे अब थोड़ा ही आगे बढ़ना है।
आत्मविश्वास कम होने के कारण वह अशांत और व्यग्रता से ग्रस्त होकर सब काम छोड़कर बैठ जाता है। परिणाम यह होता है कि उसके पास जो कुछ रहता है वह भी समाप्त हो जाता है और वह फिर वहीं आ जाता है जहां से प्रारंभ किया था। इसके परिणामस्वरूप उसके पैरों तले से जमीन खिसक जाता है और आगे का जीवन दल-दल में बदल जाता है। इस प्रकार वह आत्मघात करने वाली घटनाओं का शिकार होकर अपना जीवन समाप्त कर लेता है।
मिथुन तथा कन्या लग्न बुध की राशि मिथुन-कन्या लग्न जन्मकुंडली में कालसर्प निर्मित होता है तो जातक नौकरी में उन्नति पाने का सुनहरा स्वप्न जरूर देखता है। परंतु उसे सफलता प्राप्त नहीं होती है और लौह इत्यादि वस्तुओं का व्यापार या लौहादि निर्मित वस्तुओं का निर्माण इत्यादि करता है तो उसमें भी उसे काफी बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
जीवन का गुजारा होता रहे उतना ही वह कमा पाता है। इसके लिए भी उसे कठिन परिश्रम करना पड़ता है। यदि क्रय-विक्रय, दलाली कमीशन एजेंट का कोई कार्य करता है तो उसे कई बार लाभ तो होता है परंतु अचानक ऐसा अवसर आता है कि सारा का सारा लाभ एक बार में ही चला जाता है।
घरों में उपयोग आने वाली वस्तुएं, कागज, कपड़ा, अनाज, किराना, जनरल मर्चेंट, खान-पान व्यवस्था वाले कार्य तथा होटल रेस्टोरेंट इत्यादि के कार्यों में सफलता नहीं मिलती है। केवल किसी प्रकार गृहस्थी का खर्चा चलता रहे उतना ही लाभ प्राप्त होता है। जीवन में उन्नति नहीं हो पाती है। अपने घर तथा व्यवहार में बड़े लोगों से बार-बार कष्ट उठाना पड़ता है तथा उनके व्यवहार से हानि भी उठानी पड़ती है।
कर्क लग्न चंद्र की राशि कर्क लग्न की कुंडली में यदि यह योग निर्मित होता है तो जातक ठीक प्रकार से न तो नौकरी कर पाता है न ही व्यापार व्यवसाय। ऐसे जातक एक साथ कई कार्य करते हैं जिसके परिण्मस्वरूप हानि ज्यादा कर लेते हैं तथा असफल होकर क्लेश को भोगते हैं। इस प्रकार के जातक यदि अभियन्ता, विचारक, डाक्टर, शिक्षक तथा कला इत्यादि का कार्य करते हैं तो अच्छा धन कमा लेते हैं। उनमें चतुराई, चालाकी और ठीक समय पर अपना कार्य साधने की प्रवृत्ति बहुत होती है जिस कारण वे सदा एक रंग में नहीं रह पाते हैं।
इस प्रकार के जातक अपनी विचारधारा में हमेशा परिवर्तन लाते रहते हैं तथा मौका परस्त होते हैं। वे अपने चातुर्य बल पर प्रतिष्ठा भी प्राप्त कर लेते हैं। अपनी बुराइयों को छिपाने के लिए धर्म-कर्म-दान-पुण्य के कार्यों का दिखावा करते हैं जिससे उन्हें ख्याति मिलती रहती है। आत्मश्लाघा करने में हमेशा प्रवृत्त रहते हैं, सदैव अपनी ही बड़ाई करते रहते हैं। सिंह लग्न सूर्य की राशि सिंह में लग्न कुंडली में कालसर्प योग होने से जातक अपनी जीविका व परिवार के लिए हमेशा तत्पर व चिंतित रहता है।
अपने कार्य से इनको अच्छा लाभ भी होता है परंतु एक ही झटके में सब समाप्त हो जाता है। धन का धीरे-धीरे बढ़ना केवल भ्रम ही होता है। नौकरी करने की प्रवृत्ति का अभाव होता है। लेकिन परिस्थितियां पराधीन रहने के लिए बाध्य कर देती हैं। अनिच्छा से ही लेकिन पराधीन जीवन व्यतीत करना पड़ता है। पारिवारिक एकता के पक्षधर होते हैं। इसमें ही अपनी प्रतिष्ठा समझते हैं। ऐसे जातक दृढ़प्रतिज्ञ, कठोर तथा जिद्दी भी होते हैं। धनु तथा मीन लग्न बृहस्पति की राशि धनु-मीन लग्न की कुंडली में कालसर्प योग बनता है, तो जातक पराधीन कार्य या नौकरी में सफल नहीं हो पाता है।
अन्य स्त्री के सहयोग से स्वतंत्र कार्य क्षेत्र में अच्छी उन्नति करते हैं तथा घर की किसी स्त्री के षड्यंत्र का शिकार होकर अपना सब कुछ समाप्त कर देते हैं। दलाली जैसे कार्य या राजनीति में सफलता प्राप्त करते हैं तथा यश-प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। समाज में सबकी चर्चा का विषय बने रहते हैं। परंतु संकोची स्वभाव के कारण धन का अभाव ही बना रहता है। कमाया हुआ धन भी समाप्त हो जाता है। पारिवारिक जीवन बहुत ज्यादा संघर्षमय रहता है। दिल में दर्द मुख पर मुस्कान लिए रहते हैं।
दूसरों का उपकार करने के लिए हमेशा बेचैन रहते हैं। परोपकारी होते हैं। लेकिन परोपकार से इन्हें अपयश ही प्राप्त होता है। मकर तथा कुंभ लग्न शनि की राशि मकर तथा कुंभ लग्न की कुंडली में कालसर्प योग निर्मित होता है तो जातक को विदेश में रहने का अवसर प्राप्त होता है। अवसर मिलने पर वे देश से अधिक परदेश में सफलता प्राप्त करते हैं। जीवन साथी एवं बच्चों से अशांत व अतृप्त रहते हैं।
पैतृक संपत्ति का उन्हें उचित लाभ प्राप्त नहीं होता। स्वयं संपत्ति इक्ट्ठा करने में हमेशा लगे रहते हैं परंतु उससे न स्वयं और न ही परिवार को संतुष्ट कर पाते हैं। खनिज, पेट्रोलियम, एसिड, कोयला, केमिस्ट्स लाइन में नौकरी अथवा व्यापार करके अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं पर जीवन में विकट परिस्थिति आने पर एक ही बार में समस्त कमाई चली जाती है। शेयर बाजार, सट्टा, लाटरी इत्यादि से अच्छी कमाई करते हैं।
अन्य उच्चादि योगों के कारण जातक कितना भी आगे विकास कर ले, लेकिन कालसर्प योग से संबंधित पूर्ण कालसर्प योग, छाया योग अथवा ग्रहण योग इत्यादि जनित समस्त योगों को तदुपयुक्त समय आने पर अवश्य भोगना पड़ता है। इस योगों के दुष्परिणाम से मुक्ति बिना कालसर्प की शांति के नहीं होती है।
इसमें सर्वप्रथम नागबलि कार्य किया जाता है। द्वितीय दिवस में यदि कोई स्वकुलादि दोष हो तो नारायण बलि तथा श्राद्ध करके त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है। तृतीय दिवस में कालसर्प का शांति कार्य अनुष्ठान विधि-विधान से करना ही उपयुक्त है।