गीता सहित सभी धर्म ग्रंथ कहते हैं कि सही निर्णय लेने वाली बुद्धि व्यक्ति को सफलता के ऊंचे सोपानों पर चढ़ा देती है वहीं हठ पूर्वक लिया गया गलत निर्णय आदमी को असमय ही विनाश और अंततः जीवन समाप्ति की सीमा तक ले जाता है।
ऐसा ही कुछ हुआ योगेश गर्ग जैसे नौजवान के जीवन में और एक क्षण के गलत निर्णय ने उसे मौत के आगोश में ढकेल दिया यहां देखें उसका अल्पायु योग और सितारों की जबरदस्त ग्रह चाल आज के वैज्ञानिक युग में जहां विज्ञान ने इतनी उन्नति की है कि मनुष्य चांद तक पहुंच गया है और हजारों कि.मी. की दूरी कुछ मिनटों में ही तय हो जाती है, वहीं जरा-सी तकनीकी भूल मनुष्य की जान लेने में भी नहीं चूकती है।
एक हादसा अभी हाल ही में 12 मई 2012 को हुआ। योगेश गर्ग मात्र 35 वर्ष का नौजवान सिद्धार्थ एन्क्लेव में हमारे पुराने घर के पास ही रहता था। अपना नया घर लेते ही उन्होंने घर में बहुत काम करवाया और डी.डी.ए के पुराने घर को नयी कोठी के रूप में तब्दील कर दिया। उनका घर सभी की नजरों में आकर्षण का केंद्र बन गया था। तभी पता चला था, कि योगेश गर्ग अपनी हवाई पट्टी बनवा रहे हैं और एक प्लेन के भी मालिक हंै।
कहते हैं न कि कोई अचानक उन्नति करे, तो उसे किसी की भी नजर लग जाती है और नजर ऐसी चीज होती है जो पत्थर को भी भेद देती है। शायद ऐसा ही योगेश के साथ हुआ। अभी उन्होंने अपने घर का काम खत्म कराया ही था कि उनके पड़ौसी को उनकी इतनी शानोशौकत पसंद नहीं आई और उनकी शिकायत पर एम.सी.डी. की टीम आकर इनके घर को तोड़-फोड़ कर चली गई और बड़े-बड़े छेद कर गई जिससे कि वे आगे घर न बना सके।
इतना आलीशान घर खंडहर की भांति दिखाई देने लगा और अभी पिछले महीने एक ऐसी घटना हुई कि योगेश सदा के लिए ही इस दुनिया से विदा हो गये। योगेश अपने दो दोस्तों के साथ अपना छोटा प्लेन लेकर मेरठ के पास परतापुर हवाई पट्टी पर गये। तभी उन्होंने उसकी स्पेशल फोटो लेने की सोची और अपने दोस्त अनिल गुप्ता और पूर्वी को कहा कि तुम इसे उड़ाकर नीचे लेकर आओ, मैं स्पेशल इफैक्ट के साथ इसकी छवि उतारूंगा।
वैसे तो सिक्योरिटी के लोग किसी को भी हवाई-पट्टी पर फटकने भी नहीं देते, पर चंूकि यह योगेश की अपनी हवाई पट्टी थी व यह उसका खुद का प्लेन था इसलिए वे सारी सावधानियों को ताक पर रखकर अत्यधिक आत्मविश्वासी होकर, बिल्कुल प्लेन के नीचे आकर, उसकी छवि उतारने में इतना खो गये कि उन्हें आभास ही न हुआ कि प्लेन बिल्कुल उनके ऊपर आ गया है।
अनिल और पूर्वी प्लेन में बैठे होने के कारण उसे देख भी नहीं पाये और मिनटांे में प्लेन के एक ब्लेड ने योगेश के सिर पर वार किया और योगेश तुरंत ही वहां पर ढेर हो गये। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी कि योगेश गर्ग इतनी छोटी आयु में अपने ही प्लेन के द्वारा रन-वे पर अपने ही गलत निर्णय के कारण इतनी जल्दी मृत्यु की गोद में सो गये।
अपने नये प्लेन की बाॅडी की फोटो लेने का जनून योगेश पर इस कदर सवार हुआ कि किसी अनहोनी की कोई शंका भी मन में नहीं आई और स्वयं ही अपने को मौत के मुंह में झांैक दिया। कहते हैं न कि जब मौत आती है, तो बुद्धि को भी भ्रष्ट कर देती है और व्यक्ति खुद ही ऐसे निर्णय ले लेता है, कि पछताने का भी समय नहीं मिलता।
योगेश ने तो सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह मौत का सामना करने जा रहा है और अपनी जिंदगी का आखिरी शाॅट ले रहा है। योगेश की पत्नी को तो यही दुःख जीवन भर रहेगा कि उन्होंने यह गलत निर्णय क्यों लिया, क्यों वहां से फोटो लेने गये, परंतु इस पर किसी का बस नहीं है। हमारी बुद्धि कब और कैसे क्या निर्णय ले ले, किसी के बस की बात नहीं। यह भी तो ग्रहों का खेल है जो हमें ऐसे निर्णय लेने पर मजबूर करते हैं जिन पर हमारा भविष्य पूरी तरह से आश्रित होता है।
समय अच्छा है तो एक सही निर्णय वारे-न्यारे कर सकता है और समय खराब है, तो एक गलत निर्णय मृत्यु के कगार पर खड़ा कर सकता है। आईये, देखें, योगेश की कुंडली क्या कहती है क्यों उन्होंने इस तरह का निर्णय लिया। इनकी जन्मकुंडली का लग्नेश शुक्र वक्री होकर क्रूर ग्रह सूर्य के साथ युति बना रहा है तथा क्रूर ग्रह मंगल जो कि तुला लग्न के लिए अशुभ ग्र्रह भी है, उससे पूर्ण दृष्ट है, जिसके प्रभाव से इनके स्वभाव में अधिक रिस्क लेने की क्षमता उत्पन्न हुई तथा जिस वात की इन्होंने एक बार ठान ली उसको प्राप्त करने के लिए जी जान से जुट जाने की आदत बन गई।
स्वराशिगत सूर्य लाभ भाव में होने से यह उच्च महत्वाकांक्षी विचारों के व्यक्ति बने जिसके फलस्वरूप इन्हें अच्छी से अच्छी वस्तुओं की प्राप्ति की चाह इनके मन में थी। चतुर्थेश शनि ग्रह तीव्र गति वाले ग्रह चंद्र की राशि में स्थित होने से यह संकेत है कि इन्हें तीव्र वेग से चलने वाले वाहन आदि का शौक था। चतुर्थ स्थान कारक ग्रह, चंद्रमा, आकाश तत्व ग्रह की राशि पर स्थित है तथा आकाश तत्व ग्रह बृहस्पति की चतुर्थेश वायुतत्व ग्रह शनि पर पूर्ण दृष्टि होने से इनके पास आकाश में विचरण करने वाले वायुयान की निजी सुख-सुविधा प्राप्त हुई।
संपŸिा के स्वामी चतुर्थेश शनि की दसवें स्थान से अपने घर पर पूर्ण दृष्टि है। शनि योगकारक तथा केंद्र में स्थित है इसके प्रभाव से इन्होंने एक सुंदर आलीशान घर भी बनवाया लेकिन षष्ठेश शत्रु घर के स्वामी बृहस्पति की चतुर्थेश शनि पर दृष्टि होने से विरोधी शत्रुओं के षड़यंत्र के द्वारा भी उनकी संपŸिा नष्ट हुई। इनकी आयु के संबंध में ग्रह योग के अनुसार इनका देहांत मध्य आयु योग में हुआ।
लग्नेश, अष्टमेश, लग्न भाव, अष्टम भाव की स्थिति पर विचार करें, तो लग्नेश ग्रह शुक्र जो कि तुला लग्न के लिए अष्टमेश भी है, वह क्रूर ग्रह सूर्य की युति में और क्रूर ग्रह प्रवल मारकेश मंगल से दृष्ट है। लग्न पर किसी भी शुभ एवं पाप ग्रहों की दृष्टि नहीं है। वह तटस्थ है अर्थात् न अधिक शुभ और न ही अधिक अशुभ है। दूसरी ओर अष्टम जो कि मृत्यु का भाव है, वह मारकेश मंगल तथा अशुभ ग्रह केतु से ग्रसित होने के कारण अत्यंत पापपीड़ित है, जिसके कारण इस जातक की मध्य आयु में अचानक आघात होने से मृत्यु हुई। अन्य रीति से भी आयु का अवलोकन करें, तो अष्टम भाव से अष्टम तृतीय भाव भी आयु स्थान है।
वह भी मारकेश मंगल से पूर्ण दृष्ट है एवं आयु कारक शनि भी अकारक ग्रह षष्ठेश बृहस्पति से दृष्ट है तथा चंद्रमा भी अशुभ भाव में मारकेश मंगल से दृष्ट है। इन सभी अशुभ ग्रह योगों के कारण यह जातक लंबी आयु का सुख प्राप्त नहीं कर सका। जब इनकी मृत्यु हुई उस समय चंद्र में शनि की अंतर्दशा तथा बृहस्पति की प्रत्यंतर्दशा में मंगल की सूक्ष्म दशा चल रही थी तथा गोचर में मंगल लग्नेश शुक्र के ऊपर से गोचर कर रहा था, दशानाथ चंद्रमा भी अष्टम से अष्टम स्थान में स्थित है
तथा अंतर्दशानाथ शनि भी ं राहु से दृष्ट है एवं प्रत्यंतर्दशानाथ बृहस्पति भी अशुभ भाव छठे में है तथा उसी भाव का भावेश भी है। सूक्ष्म प्रत्यंतर्दशा का स्वामी मंगल भी प्रबल मारकेश होकर मृत्यु भाव में स्थित है यह इनको मारक सिद्ध हुआ। यही सब तथ्य इनको मारक सिद्ध हुए।