कांवर यात्रा चाहे पूर्ण समर्पण श्री गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक निश्चय ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। तभी तो सामान्यतः श्रावण मास के आरंभ होते ही शिव भक्त अपने कंधे पर कांवर रखकर एक लंबी यात्रा पर निकल जाते हैं और हरिद्वार आदि पावन तीर्थों से गंगाजल लाकर श्रावण मास की शिवरात्री में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। परंतु भगवान शिव की प्रसन्नता व कृपा प्राप्त करने के लिये मीलों पैदल चलकर आने का जीवट ही पर्याप्त नहीं है बल्कि भगवान की प्रसन्नता प्राप्ति के लिये उस के पीछे जो मूल वस्तु छिपी है वह तो है बस हमारा उनके प्रति प्रेम और संपूर्ण समर्पण भाव जिसके बिना शिव भाव व शिवमयता का रंचमात्र भी आभास नहीं होता। अतः यदि वास्तव में हम भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो कांवर यात्रा के दौरान हमें पूर्ण सात्विक भावना और शुद्ध सात्विक विचार रखने चाहिये तथा प्रतिदिन संकल्प करना चाहिये कि मैं क्रोध, अहंकार, असत्य से परे रहूंगा, प्रत्येक प्राण् ाीमात्र का सम्मान करूंगा और सभी में शिवरूप के दर्शन करूंगा और भगवान शिव के प्रति पूर्ण प्रीति और समर्पण के साथ यात्रा पूरी करूंगा। ऐसी भावना के साथ कांवरियां यदि गंगा जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करेंगे तो निश्चित ही भगवान आशुतोष सदैव सर्वविध कल्याण करेंगे।