2012 के वर्षमान में एक सैकेंड की वृद्धि इस वर्ष 30 जून 2012 के दिन के समयामान में खगोल वैज्ञानिकों द्वारा एक सैकेंड की वृद्धि दर्ज की गई है। इसका प्रमुख कारण हे कि इस दिन पृथ्वी ने साधारण दिनों की अपेक्षा अपनी धूरी पर एक चक्कर पूरा करने में एक सैकेंड अधिक लिया। इस कारण 30 जून 2012 के मध्य रात्रि 23.59.60 घंटे के पश्चात एक सैकेंड और जोड़ा गया। वैज्ञानिक इसे ‘‘लीप सैकेंड’’ कहते हैं। पृथ्वी की गति में इस अनियमितता का प्रमुख कारण है पृथ्वी पर अपनी कक्षा में तथा अपनी धुरी पर घूमते समय सूर्य व चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण एवं समुद्र में उठने वाले ज्वार भाटा का प्रभाव। यह प्रभाव अनेक बार पृथ्वी की नियमित गति में कुछ सैकेंड्स का फर्क उत्पन्न कर देता है। 30 जून 2012 को पृथ्वीने इन्हीं प्रभावों के कारण अपनी धुरी पर एक चक्कर पूरा करने में एक सैंकेंड अधिक लिया। इस कारण खगोल वैज्ञानिकों ने यह निर्णय लिया है कि इस वर्ष की समयावधि में एक अतिरिक्त सैकेंड जोड़ा जाएगा जिससे दुनिया के समय एवं पृथ्वी की गति में होने वाले परिवर्तन में तालमेल हो सके। ऐसा नहीं है कि विश्व के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है। 1972 में दो बार लीप सैकेंड जोड़ा गया था। उसके पश्चात सात वर्ष तक प्रत्येक वर्ष एक सैकेंड जोड़ा गया। इस प्रकार 1972 से 1979 के मध्य 9 लीप सैकेंड जोड़े गए। पिछली बार यह लीप सैकेंड 1999, 2005 एवं 2008 में जोड़ा गया था।