गोल्डन बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्ड में मनोनीत सबसे छोटी उम्र की संगीतकार प्रांजलि सिन्हा का जन्म संगीतमयी परिवार में हुआ था। उसकी नानी श्रीमती उर्मिला सक्सेना ग्वालियर घराने से थीं तथा संगीत में एम. ए., एम. एड. थीं। लगभग एक साल की उम्र से ही प्रांजलि को सुरों का ज्ञान होना शुरू हो गया था। वह सभी धुनों को बड़े ध्यान से सुनती और खुद भी बोलना न जानते हुए भी उसी सुर से सुर मिलाती।
उसकी इस विलक्षण प्रतिभा को उसकी नानी ने तुरंत पहचान लिया और उसे सुरों की व संगीत की घर ही में ट्रेनिंग देने लगी। प्रांजलि घंटो अपनी नानी के साथ उनके संगीत में गुजार देती उसे और किसी खेल में इतनी दिलचस्पी नही थी जितनी संगीत में। इसी बीच जब वह लगभग पौने चार साल की थी तो बंैगलोर के एक माॅल में एक संगीत प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।
उसमें प्रांजलि को भी भाग लेने के लिए नानी ले गई जहां उसे प्रथम पुरस्कार मिला। उसी दिन उसके माता-पिता ने ठान लिया कि प्रांजलि को वे संगीत की प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिलवाएंगे और उसकी नानी ने ही उसे हिंदुस्तानी क्लासीकल म्यूजिक में ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी। प्रांजलि में संगीत सीखने की गजब की क्षमता है।
वह खुद ही अलग-अलग तरह की आॅडियो सुनकर सीखती रहती है उसने कोई संगीत की पढ़ाई नहीं की लेकिन अपनी लग्न, मेहनत व दक्षता से लगातार संगीत के नये सोपान हासिल कर 7 साल की उम्र में उसे मेगा आॅडिशन, जूनियर इंडियन आइडल सीजन-1 में प्रवेश मिला। अपने गुरु जीतू शंकर के सान्निध्य में उसने तीन साल तक संगीत विद्या का गहन प्रशिक्षण लिया और साढ़े 9 साल की उम्र में कन्नड़ लीटिल चैंप जी टेलीविजन के टाॅप 30 की लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवा लिया।
10 साल की उम्र में प् हमदपने लवनदह ेपदहपदह ेजंत ेमंेवद 2 में प्ेज तनददमत नच रही और मार्च 2016 में ।सपअम प्दकपं बवदबमतज बैंगलोर की प्ेज ूपददमत बनी। मशहूर सिंगर सुनिधि चैहान के लिए उसने बवदबमतज की शुरूआत की। अक्तूबर 2016 में वह ळवचंसंद ैनचमत ेपदहमत रनदपवत ेमंेवद.3 की ूपददमत बनी और उसे यूनिवर्सल म्यूजिक ग्रुप बांबे से एक साल का कन्ट्रैक्ट मिला जिसमें उसने लैला ओ लैला का कवर वर्जन गाया।
साढ़े 9 साल की उम्र से वह म्यूजिक कंपोज भी करने लगी है और उसकी पहली प्राइवेट एलबम जिसमंे उसने सभी गाने स्वयं ही कंपोज किये हैं इस नवंबर 2016 में रिलीज होने जा रही है इसलिए अब प्रांजलि का नाम गोल्डेन बुक आॅफ वल्र्ड रिकार्ड में यंगेस्ट म्यूजिक कंपोजर के रूप में अप्रूव हो गया है और इसी दौरान रोटरी क्लब बैंग्लौर के द्वारा भी उसका नाम यंग एचीवर अवार्ड के लिए मनोनीत किया गया है।
2016 में प्रांजलि ने अनेक कीर्तिमान स्थापित किए और न केवल अपना अपितु अपनी नानीजी व अपने पूरे परिवार का नाम रोशन किया। इसी वर्ष जनवरी 2016 में प्रांजलि ने अपनी प्रिय नानी को खो दिया। यदि उनकी नानी जीवित होती तो अपनी पोती की उपलब्धियों से अत्यधिक प्रसन्न होती। प्रांजलि सिन्हा बंगलौर में पांचवी कक्षा की छात्रा है
वह विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेती हंै तथा संगीत के अलावा पाठ्यक्रम के विषयों से संबंधित प्रतियोगिताओं में भी अधिकतर प्रथम स्थान प्राप्त करती हंै। जब प्रांजलि सिन्हा 7 वर्ष की थी तो उसके माता-पिता ने ज्योतिषी को उनकी कुंडली दिखाई। ज्योतिषी ने यह भविष्यवाणी की कि प्रांजलि कला क्षेत्र में अपना नाम ऊंचा करेगी। यह सुनकर उसके माता-पिता की खुशी का ठिकाना न रहा। प्रांजलि सिन्हा की जन्मकुंडली का विश्लेषण:-
प्रांजलि की जन्मपत्री में कला का कारक शुक्र लग्नेश व आत्मा कारक होकर द्वादश भाव में अमात्य कारक (व्यवसाय) गुरु के साथ स्थित है। चतुर्थेश व पंचमेश योगकारक शनि जन्मकुंडली में कल्पना के कारक चंद्रमा की राशि में स्थित है तथा नवांश में शुक्र की राशि में स्थित है। होरा शतक के अनुसार यदि शुक्र द्वादश भाव में, द्वादश राशि अर्थात मीन में अथवा अपनी राशियांे वृष व तुला से 12वीं राशि अर्थात् मेष या कन्या राशि में स्थित हो तो ऐसे शुक्र को बली समझा जाना चाहिए। प्रांजलि की कुंडली में शुक्र की ऐसी ही उत्तम स्थिति है। साथ ही 2007 से 2027 तक शुक्र की ही महादशा चल रही है।
इसकी ऐसी श्रेष्ठ स्थिति के चलते ही संभवतः ज्योतिषी ने प्रांजलि के लिए कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्ति की सफल भविष्यवाणी की। पराशरी पद्धति के अनुसार पंचम भाव संगीत, कला व मनोरंजन जगत का प्रतिनिधित्व करता है। प्रांजलि की कुंडली में पंचमेश शनि योगकारक व उच्च नवांशस्थ होकर दशम भाव में स्थित है। दशम भाव से विद्या, जनित यश का विचार किया जाता है। इसलिए प्रांजलि अपनी विद्या, बुद्धि व अपने कला कौशल से छोटी अवस्था में ही ऊंचा नाम कमा रही है।
नवांश कुंडली में चंद्रमा व मंगल स्वगृही हैं तथा शनि उच्च राशिस्थ है जिसके चलते जन्मकुंडली को अतिरिक्त बल प्राप्त हो रहा है। वर्ष 2016 के पूर्वार्द्ध में 12 अगस्त से पहले तक गुरु व शनि का संयुक्त गोचरीय प्रभाव दशमेश चंद्रमा व कीर्ति के कारक स्वगृही सूर्य पर हो रहा था। जिसके चलते उन्होंने इस वर्ष खूब नाम कमाया। अभी वर्तमान समय में लग्नेश, आत्माकारक व दशा नाथ शुक्र पर गुरु का गोचर अधिक शुभ फलदायी हो रहा है। 26 जनवरी 2017 के बाद शुक्र पर शनि व गुरु का दोहरा गोचरीय प्रभाव होने के समय इन्हें और अधिक सफलता व लोकप्रियता हासिल होगी।
2007 से 2016 आते-आते विगत 9 वर्षों में प्रांजलि ने संगीत की दुनिया में महज 11 वर्ष की आयु में एक श्रेष्ठ मुकाम हासिल कर लिया है और अगले 11 वर्षों तक शुक्र की शेष दशा के पूरा होते-होते इनकी आयु 22 वर्ष हो जाने से पूर्व ही ये संगीत के क्षेत्र में अवश्य ही नयी बुलंदियों को छू लेंगी।