अशुभ बुध को कैसे ठीक करें यदि अपने खराब बुध को ठीक करना चाहते हैं तो ‘किन्नर’ को रखें खुश! दोस्तों! अक्सर कई लोग यह पूछते हैं कि यदि बुध ग्रह ठीक न चल रहा हो तो कौन सा उपाय किया जाए! ’किन्नर’ का नाम तो आप सब ने सुन रखा होगा। जी हाँ! बात सुनने में बेशक अटपटी लगे परंतु है सोलह आने सच कि यदि ‘हिजड़ों’ को खुश रखा जाए या बुधवार के दिन किसी ‘हिजड़े’ को हरे रंग की चूड़ियाँ दान दी जाएं तो आपका बुध ग्रह अनुकूल प्रभाव देने लगेगा। ‘हिजड़ों’ के आशीर्वाद को बहुत कारगर माना जाता है। जब भी आपको कोई ‘हिजड़ा’ नजर आए तो उसे भोजन पर आमंत्रित करें। ऐसा संभव न हो सके तो उसे कुछ रुपए आदि भेंट स्वरूप दें। ‘हिजड़े’ आप पर प्रसन्न होकर अपने पास से खुद ही कोई सिक्का या कुछ रूपए आप को दे तो उसे मना न करें बल्कि स्वयं इसे अपने उज्ज्वल भाग्य का संकेत समझें और उसे लेकर अपने गल्ले, कैश बॉक्स या धन स्थान पर रख दें। यदि ऐसा नहीं होता तो ‘हिजड़े’ से खुद एक आध सिक्का मांग कर इन स्थानों पर रखें।
कुछ ही दिनों में आप की सेविंग और इनकम में बढ़ोत्तरी होने लगेगी। बुध के अशुभ होने का संकेत यह होता है कि व्यक्ति की विवेक शक्ति में कमी आ जाती है तथा वह अच्छे-बुरे का निर्णय करने में असमर्थ होता है। उसकी सूँघने की शक्ति में कमी आती है। त्वचा के संक्रामक रोग होते हैं, धन का अपव्यय होता है, शिक्षा में बाधाएं आती हैं, बुद्धि और वाणी को प्रभावित करता है। बुध के अशुभ फल या खराब प्रभाव होने के यह कारण हो सकते हैं जैसे- अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देना एवं बुआ को कष्ट देना, साली एवं मौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ किसी ‘किन्नर’ को भी कष्ट देने पर बुध अशुभ फल देता है। शरीर में फोड़े-फुंसियों का होना, समय पर मित्रों का साथ छूटना, कार्यों में लगातार विघ्न आना, पित्त से संबंधित रोग जैसी समस्याएं हों तो ऐसे जातक का बुध कमजोर होना समझा जाता है। बुध ग्रह से पीड़ित होने पर मस्तिष्क विकार, वाणी दोष, स्मृति ह्रास होता है। इसके लिए अपामार्ग की जड़ धारण करनी चाहिए।
‘ऊँ बुं बुधायः नमः’ मंत्र का नियमित जप करना, घर में जमे कचरे को हटाएं जिससे गंध न रहे। यदि सामने के दांत गिरने लगें तो समझें कि बुध खराब प्रभाव दे रहा है। ऐसी स्थिति में फिटकरी से दांत साफ करें। बुधवार के दिन शुभ मुहूर्त में बुध से संबंधित उपाय जैसे बुधवार का उपवास करें। उबले हुए मूंग गरीब व्यक्ति को खिलाएं। गणेश जी की अभ्यर्थना दूर्वा से करें। हरे वस्त्र, मूंग की दाल का दान बुधवार को करें। अपने वजन के बराबर हरी घास गायों को खिलाएं, बहन व बेटियों का सम्मान करें। बुध खराब होने से व्यापारियों का दिया या लिया गया धन वापस नहीं मिलता है। ऐसे में गायों को पालक खिलाने से रूका हुआ धन फिर से प्राप्त होने लगता है। इसी तरह छत पर जमा कचरा ऋण को बढ़ाता है। इसे हटाने से ऋण कम होता है।
व्यापार ठीक चलाने के लिए ऊँ बुं बुधाय नमः‘ मंत्र का जप करें। बुधवार के दिन गणेश जी को बूंदी के लड्डू चढ़ायें। मन्दिर में कांसे का बर्तन दान दें। गणेश मन्दिर में कांसे का दीपक जलाएं और दीप दान करें। 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को भोजन कराएं। मांस का सेवन न करें। कच्ची मिट्टी की सौ गोलियां बनाकर एक गोली प्रतिदिन धर्म स्थल में पहुंचाएं। खांड से भरा मिट्टी का बर्तन भूमि में दबाएं। कान में स्वर्ण धारण करें। काला, सफेद कुत्ता पालें। शुद्ध चांदी का छल्ला भी धारण करंे। गायत्री पाठ करें। हरे तोते पालें। चींटी, चिड़ियों, गिलहरियांे, कबूतर, तोता, कौआ और अन्य पक्षियों के झुंड और गाय, कुत्तों को नियमित दाना-पानी देने से आपको मानसिक शांति प्राप्त होगी। अतः पशु-पक्षियों को दाना-पानी देने से तथा मूंग की दाल से बुध ग्रह से होने वाली परेशानियों से निजात पाई जा सकती है। बुधवार के दिन बुध ग्रह की शांति हेतु हरे पन्ना, मूँग, घी, हरा कपड़ा, चाँदी, फूल, काँसे का बर्तन, कपूर का दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
पथरी, बवासीर, ज्वर, गुर्दा, स्नायुरोग, दंत, विकार बुध की दुर्बलता से होता है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें व पन्ना रत्न धारण करें। बुध से प्रभावित जातक को नशे, सट्टे व जुए की लत लगती है। बेटी व बहन पर सदैव दुख मंडराता रहता है। ऐसा होने पर कनिष्ठा उंगली में पन्ना या ओनेक्स धारण करने से लाभ होगा। नियमित तुलसी में जल देने, अनाथों एवं गरीब छात्रों की सहायता, मौसी, बहन, चाची, बेटी के प्रति अच्छा व्यवहार बुध को शुभ करता है। घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखना चाहिए। अपने घर में कंटीले पौधे, झाड़ियाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है। टोटका: छेद वाला सिक्का पानी में बहायें एवं स्टील का छल्ला छोटी उंगली में पहनें। बुध के अधिकार में नर्म फसल, भिंडी, मूंग दाल और बैंगन आते हैं।
नाक छिदवायें, बकरी दान करें। दाल, बथुआ, लौकी, हरा पेठा, मेथी, मटर, मोठ, अमरूद, हरी सब्जियां खानी चाहिए। इन सब उपायों में से ‘किन्नर’ वाला उपाय ज्यादा कारगर रहता है। K P Singh Nurmahal 9814699599 - पढाई लिखाई में कोई न कोई रुकावट आना या फिर पढ़ाई पूरी होने के बाद उसका कोई लाभ न मिलना। - बार-बार मान-सम्मान खराब होना। - घर का सोना चोरी हो जाना, गुम हो जाना या बिक जाना। - घर मंे आए दिन लड़ाई-झगड़े होना। - घर मंे पैसे की तंगी या खराबी होना और घर मंे बरकत बिल्कुल भी न होना। - अपनी मर्जी के मालिक होना। उपाय - - हमेशा बड़ों का सम्मान करें। - केसर का तिलक हर-रोज नाभी, जुबान और माथे पर लगायें। Sukhvinder 9467021675 शिक्षा प्राप्ति शिक्षा के महत्त्व के बारे में किसी को कुछ बताने की आवश्यकता नहीं है। समय जिस तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है, विकास की ऊँची छलांग लगाई जा रही है, उसमें शिक्षा का महत्त्व अत्यंत बढ़ा है। इसके स्वरूप और उपयोगिता में भी भारी अंतर आया है।
उच्च शिक्षा प्राप्त छात्र इस श्रेणी के हंै तो निम्न प्रयोग का इस्तेमाल करें ’जो विद्यार्थी विद्या - बुद्धि में पूर्ण प्रगति करना चाहते हैं, वे प्रातःकाल स्नान से पवित्र होकर, स्कूल जाने वाला या कॉलेज जाने वाला वस्त्र धारण कर, ‘सरस्वती माता की तस्वीर’ के समक्ष एक अगरबत्ती जलाएं। तत्पश्चात हाथ जोड़कर ‘ऊँ ऐं शारदाय नमः’ मंत्र का 11 बार जप करें। इसके बाद माता सरस्वती की तस्वीर को प्रणाम कर, भोजन आदि ग्रहण कर स्कूल या कॉलेज जाएं। - माघ मास ‘वसंत पंचमी’ के दिन सरस्वती के सामने धूप और दीप जलाएं। फल व मिठाई का प्रसाद चढ़ाएं। इसके बाद सादे कागज पर १०८ बार लाल स्याही वाली कलम से ‘ऊँ ऐं शारदा देव्यै नमः’ लिखें। उस कागज को लाल कपड़े में लपेटकर पॉकेट में रख लें। स्कूल से आकर माता सरस्वती की तस्वीर के सामने तांबे की प्लेट में रख दिया करंे।
इस विधि से स्मरण शक्ति तीव्र होती है और विद्यार्थी को अपना पाठ शीघ्र याद होता है। परीक्षा पास करने हेतु अद्भुत उपाय जिस विद्यार्थी का पढ़ाई में मन नहीं लगता, बार - बार परीक्षा में फेल हो जाते हंै, जिसकी बुद्धि तीव्र नहीं है वे निम्नलिखित टोटके अपनाकर जीवन को सफल बनाएं - - शुक्ल पक्ष के मंगलवार के दिन लाल रंग के झंडे में लाल रंग के सिंदूर की स्याही और अनार की कलम से लिखें - बल, बुद्धि, विद्या देहु मोहि, हरहु क्लेश विकार। ऊपर के श्लोक लिखने के बाद वह झंडा हनुमान जी के मंदिर में लगा दें। - जब परीक्षा देने जायंे तो उन दिनों रोज ही दही व गुड़ खाकर जाया करें। पढ़ाई से जी चुराने वाले विद्यार्थियांे के लिए अति अनमोल उपाय - जो बालक पढ़ाई से जी चुराता है उस बालक को 41 दिन लगातार जल में थोड़ा - सा ’गोमूत्र’ डालकर स्नान कराएं। - जो बालक पढ़ने में, बोलने में ‘हकलाते’ हैं मंत्र पढ़ते हुए 21 बार दूध में ‘ऊँ ऐ वाण्यै नमः स्वाहा’ मंत्र पढ़ते हुए 21 बार दूध में फूंक मारकर पिला दिया करें। यह क्रिया लगातार 6 महीने तक करें।
ज्ञान बढ़ाने वाले उपाय कार्तिक मास में शुक्लपक्ष चतुर्दशी के दिन ‘शंखाहुली बूटी’ को एक पान, सुपारी और एक सिक्का लेकर न्योता दे आएं तथा ‘हस्त नक्षत्र’ में इस बूटी को उखाड़कर अपने घर ले आयें और कूट-पीसकर गोली बनाकर रख लें। जिस व्यक्ति को यह गोली खिलाई जायेगी, उसे अधिक बुद्धि व ज्ञान प्राप्त होता है। Sheenu Jain 9216907471 विवाह एवं वैवाहिक जीवन विवाह में जन्म कुण्डली की भांति नवांश वर्ग कुंडली की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नवांश जिसे क्-9 भी कहा जाता है, का उपयोग विवाह समय, वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी के व्यवहार, उसके चरित्र, मानसिक तथा दैहिक स्वरुप को समझने के लिए किया जाता है।
वैवाहिक जीवन का सुख नवांश में नवांश लग्न और राशि चक्र के सप्तमेश स्वामी का बहुत महत्व होता है। विवाह के पश्चात जीवन में सुख एवं शांति कैसी रहेगी इस बात को यहां से समझा जा सकता है। यदि नवांश लग्न उच्च का हो, स्वराशि युक्त हो अथवा शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो वैवाहिक जीवन खुशहाल रह सकता है। इसमें नवांश के सप्तमेश का भी अध्ययन करना आवश्यक होता है जिससे फल की शुभता की मजबूती देखी जा सकती है। यदि यहां सूर्य और चंद्रमा प्रथम एवं सप्तम भाव में अक्षांश रुप में स्थित हों तो दांपत्य जीवन में कलह का भाव रह सकता है। इसी प्रकार यदि शनि द्वादश में स्थित हो तो यह वैवाहिक जीवन के लिए अच्छी स्थिति नहीं मानी जाती है। जीवनसाथी का स्वरुप नवांश लग्न एवं लग्नेश तथा जिन ग्रहों से युक्त हैं उनका अध्ययन करना अति आवश्यक होता है।
यदि यह चंद्रमा से युक्त है तो साथी सुंदर और सौम्य स्वभाव वाला हो सकता है। इसी प्रकार शुक्र से युक्त होने पर कलावान एवं सौंदर्य का प्रेमी हो सकता है। बुध से युक्त होने पर बुद्धिमान एवं जिंदादिल हो सकता है। इसी प्रकार सूर्य से संबंधित होने पर साथी गुस्से वाला और उग्र स्वभाव का हो सकता है, इसके विपरीत यदि गुरू से युक्त है तो धार्मिक स्वभाव तथा शुद्ध विचारों वाला हो सकता है। यहीं शनि, मंगल और राहु/ केतु के होने पर स्वभाव में शुभता की कमी हो सकती है या क्रोध एवं चालबाजी अधिक हो सकती है। नवांश से कुण्डली मिलान नवांश के द्वारा कुंडली मिलान भी किया जाता है। जीवनसाथी का लग्न अथवा चंद्र राशि जातक के नवांश के चंद्र और लग्न से मिलती हो। नवांश में चंद्र नवांश में चंद्र यदि मेष राशि में स्थित हो तो व्यक्ति धनी एवं अधिपति हो सकता है, चंद्रमा यदि वृष राशि में हो तो शारीरिक रुप से बलिष्ठ होता है, मिथुन राशि में होने पर लेखक या ज्ञानी हो सकता है, कर्क राशि में होने पर रंग रुप में कमी, सिंह में बलिष्ठ एवं क्रोधी हो सकता है।
इसी प्रकार सभी राशियां, उस पर अपना प्रभाव छोड़ती दिखाई देती हैं। मेष नवांश होने पर व्यक्ति चंचल, व्याकुल हो सकता है, वृष नवांश होने पर खुशहाल तथा विद्याओं से युक्त, मिथुन नवांश में सौम्य, कर्क में यात्राओं का शौकीन, सिंह नवांश में अभिमानी, अकेला रहने वाला, कन्या में स्वतंत्र, सहायक, तुला में दुबला-पतला, सामान्य जीवन, वृश्चिक नवांश में विद्वान एवं दुष्ट कर्म की प्रवृत्ति रखने वाला, धनु नवांश में सादा विचारों से युक्त, मकर नवांश में अस्थिर एवं खर्चीला, कुंभ नवांश में चालाक, दयाहीन और मीन नवांश में जल से लाभ कमाने वाला हो सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि नवांश की विवाह में एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है जो दांपत्य जीवन के सुख एवं दुखों को दर्शाने में सहायक बन सकती है। Devendra Dayare 9689061101