किसी भी घर, व्यवसाय, उद्योग या बिल्डिंग में कोशिश करने पर भी कुछ न कुछ वास्तु दोष रह जाता है जिसके कारण कष्ट उठाने पड़ते हैं। यदि पुराना बना हुआ घर हो या फ्लैट हो तो हमें उसे उसी रूप में स्वीकार करना पड़ता है। तोड़कर वास्तु दोष को ठीक कर पाना सदैव मुमकिन नहीं होता। अतः वास्तु दोष को उपाय द्वारा ही ठीक करने की कोशिश की जाती है। इन दोषों के क्या उपयुक्त उपाय किए जा सकते हैं, इसका विवरण पाठकों के लाभ हेतु वर्णित है:
प्रश्न: नैर्ऋत्य कोण नीचा हो या वहां गड्ढा हो
उत्तर: नैर्ऋत्य कोण में दोष हो तो घर में अक्सर बीमारी रहती है, धन की कमी बनी रहती है, कीमती सामान चोरी हो जाता है। यदि व्यवसाय में यह दोष हो तो ऋण बना रहता है। उद्योग में यह दोष चोरी करवाता है। कर्मचारी अपने लिए अधिक चिंता करते हैं। वे कंपनी के कम वफादार होते हैं। सबसे अच्छा उपाय तो यही है कि नैर्ऋत्य को भारी व ऊंचा कर दिया जाय। लेकिन उपाय के रूप में वहां पर एक तिकोना झंडा जिसपर हनुमान जी पर्वत लेकर उड़ रहे हों, लगाना चाहिए। नीचे छोटी सी संगमरमर के गोल पत्थरों से पर्वत बनाकर उस पर शिवजी- बिना जल के स्थापित करना चाहिए। इससे यह दोष पूर्ण समाप्त हो जाता है। ईशान में बोरवेल बना देने से या गड्ढा करने से भी दोष में कमी आती है।
प्रश्न: रसोई घर आग्नेय में न हो
उत्तर: इस कारण घर की मालकिन कष्ट में रहती है। घर में स्वास्थ्य भी बिगड़ा रहता है। ऐसे में आग्नेय में शुक्र यंत्र स्थापित करें। हो सके तो आग्नेय में लाल बल्ब जलायें।
प्रश्न: प्रवेश द्वार दक्षिण या पश्चिम से हो
उत्तर: यदि घर का प्रवेश द्वार दक्षिण या पश्चिम दिशा में हो तो परिवार के मुखिया को शारीरिक कष्ट व मानसिक कष्ट रहता है। यदि आपके घर का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में है तो प्रवेश द्वार की चैखट पर लाल रंग का 3’’ चैड़ा पेंट करना चाहिए या इसके स्थान पर लाल रंग की पट्टीनुमा संगमरमर की टायल भी लगायी जा सकती है। प्रवेश द्वार पर नवरत्न जड़ित स्वास्तिक पिरामिड लगाना चाहिए। यह पिरामिड घर के दरवाजे के बाहरी तरफ लगायें। साथ ही मंगल की दिशा होने के कारण मंगल का यंत्र प्रवेश द्वार के ऊपर अंदर की ओर मंगलवार को लगायें। पश्चिम दिशा में द्वार होने पर घर की प्रगति मंद हो जाती है। अतः द्वार पर अंदर की ओर शनि की दिशा का यंत्र लगायें, साथ ही प्रवेश द्वार पर चैखट पर 3’’चैड़ा नीले रंग का पेंट करवाना चाहिए।
प्रश्न: उत्तर पूर्व में शौचालय हो
उत्तर: उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण कहते हैं, यह स्थान भगवान का स्थान होता है, तथा इस स्थान का शासक ग्रह गुरु होता है। घर में रहने वाले सदस्यों का आध्यात्मिक विकास नहीं होता है। परिवार में बच्चों का बौद्धिक विकास रूक जाता है तथा परिवार की आर्थिक स्थिति भी खराब होने लगती है। टाॅयलेट के अंदर उत्तर-पूर्व दिशा में किसी पत्थर या स्लैब के ऊपर कांच के कटोरे में समुद्री नमक या साबुत नमक भर कर रखें तथा कम से कम तीन महीने में एक बार उसे अवश्य बदलें। टाॅयलेट के प्रवेश द्वार की चैखट पर पीले रंग का पेंट करें तथा प्रवेश द्वार पर दर्पण लगायें तथा टाॅयलेट की उत्तरी दीवार पर छत से मिलाकर कम से कम 6’’ चैड़ा दर्पण लगायें। ध्यान रखें कि दर्पण में स्वयं जातक या टाॅयलेट की सीट दिखाई नहीं देनी चाहिए।
प्रश्न: पानी का स्रोत या कुंड आग्नेय/नैर्ऋत्य में हो
उत्तर: दक्षिण-पूर्व दिशा आग्नेय कोण कहलाता है तथा इस दिशा में अग्नि का स्थान माना जाता है। इस दिशा में जल स्रोत या कुंड होने पर अग्नि तत्व की कमी होती है। घर की स्त्रियों में सजने-संवरने या खूबसूरत दिखने के शौक और शृंगार की रुचि में कमी करता है। घर के मुखिया को स्त्रीसुख में कमी करता है, संभव है कि दोनों का वैवाहिक जीवन भी बाधित हो जायें। यदि पति-पत्नी संतानहीन हो तो संतानोत्पत्ति में भी बाधा आ सकती है। इसके लिए दक्षिण पूर्व दिशा में आग्नेय कोण के स्वामी ग्रह शुक्र का यंत्र लगाया जाना चाहिए तथा उस जल स्रोत या कुंड के चारों ओर 1-1 फीट की दूरी पर विषम संख्या में पिरामिड लगाना चाहिये तथा पिरामिड के आधार पर तांबे के तार लगवाकर परस्पर जोड़ते हुये उस जल स्रोत को शेष घर से अलग-थलग कर देना चाहिए।
प्रश्न: ईशान कटा/दबा हुआ हो- ईशान कोण बंद हो
उत्तर: ऐसा होने पर गुरु से संबंधित तथ्य जैसे संतान संबंधी सुख, आर्थिक प्रगति में बाधा, आध्यात्मिक विकास में बाधा जैसे फलों की प्राप्ति होती है। यदि घर या प्लाॅट का ईशान कोण कट रहा हो या दब रहा हो तो उस दिशा में ‘स्’ आकृति में लगभग 1 फीट से 1 मीटर की दूरी के बीच पिरामिड लगाये जाने चाहिए। इस प्रकार ईशान कोण के कटने से जो ऊर्जा कम हो रही होती है उसकी कमी पूरी हो जायेगी। यदि ईशान कोण बंद है या दबा हुआ है तो उस दिशा में तथा उत्तर दिशा में बड़ा सा दर्पण लगायें जिससे ईशान कोण बंद नजर न आये बल्कि खुला हुआ नजर आना चाहिये। ईशान कोण में श्रीयंत्र या गुरु यंत्र भी स्थापित करें।
प्रश्न: ब्रह्म स्थान पर गड्ढा हो या टाॅयलेट हो
उत्तर: ब्रह्म स्थान पर ब्रह्माजी का वास होता है। ब्रह्म स्थान को ऊंचा रखा जा सकता है या समान स्तर पर रखा जाना चाहिए। यह स्थान नीचा नहीं होना चाहिए और न ही यहां टाॅयलेट होना चाहिए। यह स्थान सामूहिक रूप से घर परिवार में पूजा करने का स्थान होता है। इसका दोष संतानोत्पत्ति में बाधक बनेगा तथा परिवार में सुख-शांति व समृद्धि समाप्त हो जायेगी तथा घर की स्त्री को गर्भाशय की समस्या हो सकती है। यदि घर में यह दोष है तो ब्रह्मस्थान में 9 या 81 का पिरामिड सेट जमीन के नीचे दबाकर स्थित किया जाना चाहिए। साथ ही नवरत्नों को इस पिरामिड के नीचे रख देना चाहिए।
प्रश्न: घर के ऊपर मंदिर/पेड़/ बड़ी बिल्डिंग की छाया हो
उत्तर: घर के ऊपर इनकी छाया का होना, वास्तु वेध माना जाता है। ऐसी स्थिति होने से घर का विकास तथा परिवार के मुखिया के विकास में बाधा आती है तथा अनावश्यक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके लिए घर की बाउन्ड्री पर सामने की ओर पाकुआ दर्पण लगाना चाहिये तथा बाउन्ड्री पर अंदर की ओर तथा मुख्य बिल्डिंग की दीवार पर बाहर की ओर अर्थात आमने-सामने की ओर मुंह करके पिरामिड लगाना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा परावर्तित होकर वापिस चली जाती है और घर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाती है।
प्रश्न: बेड का सिर उत्तर में है
उत्तर: सिर उत्तरी दिशा में रखे जाने के कारण उस व्यक्ति का रक्त संचार सुचारू रूप से नहीं चलेगा, और स्वास्थ्य खराब हो जायेगा। ऐसी स्थिति में पलंग को ऐसे ही पड़े रहने देना चाहिए। परंतु सोते समय पलंग के पैरों की तरफ सिर रखकर सोना चाहिए और यदि पूर्व-पश्चिम में सिर रखकर भी सोना पड़े तो सो सकते हैं। परंतु उत्तर दिशा में सिर बिल्कुल नहीं रखा जाना चाहिए।
प्रश्न: सीढ़ियां वामवर्ती हैं
उत्तर: सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद पहला मोड़ सीधे हाथ की ओर होना चाहिए जिससे परिवार में आर्थिक स्तर बढ़ता जायेगा तथा पारिवारिक उन्नति हमेशा होती रहेगी। इस दोष को दूर करने के लिये सीढ़ियों की शुरूआत में 90॰ ़पर एक छोटा पतला सा स्टेप और जोड़ दें और यह स्टेप इस प्रकार जोड़ें कि पहला कदम रखने के बाद दूसरा कदम सीधे हाथ की तरफ मुड़कर चढ़ना पड़े। इसके अलावा प्रत्येक मोड़ पर पीछे की ओर दर्पण लगायें। जिससे सीढ़ी शीशे में सीधी दिखाई दे।
प्रश्न: कमरे में उत्तर-पूर्व में खंभा है
उत्तर: कमरे में खंभा होना दोष है, इसके दोष को दूर करने के लिये इसके चारों ओर शीशा लगा दें जिससे उस कमरे में खंभा प्रतीत नहीं होगा या उसके चारों ओर 2-2 पिरामिड लगा दें। कमरे में खंभा होने पर जातक को अनावश्यक तनाव की स्थिति से गुजरना पड़ता है।
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