अधिकांश लोग अंक ज्योतिष को पाश्चात्य देन मानते हैं, परंतु यह उनका भ्रम है। अंक ज्योतिष मूलतः भारतीय विद्या है, परंतु आजकल जिस रूप में यह भारत में प्रसिद्ध और प्रचलित हो रही है, इसका वह स्वरूप अवश्य ही पाश्चात्य है। आधुनिक युग का महान् भविष्यवक्ता कीरो पाश्चात्य विद्वान था। वह भारत में वर्षों रहा और उसने यहां ज्योतिष के साथ-साथ अंक विद्या का भी अध्ययन किया। उसने लिखा- ‘‘मैं ज्ञान-प्राप्ति के प्रारंभिक वर्षों में पूर्व में गया और वहां अनेक ब्राह्मणों के संपर्क में आया।
वे प्रागैतिहासिक काल से इस गूढ़ और रहस्यपूर्ण विद्या को जानते थे। उन्होंने मुझे अन्य विद्याओं के साथ-साथ अंकों के गूढ़ रहस्य का ज्ञान भी दिया और बताया कि उनका क्या महत्व है तथा मानव-जीवन से उनका क्या संबंध है।’’ पाइथागोरस ने भी कहा- ‘‘इस विश्व का निर्माण अंकों की शक्ति से ही हुआ और इस अंकों की शक्ति को भारतीय विद्वान भली-भांति जानते थे।’’ पाइथागोरस को पश्चिमी जगत में अंकशास्त्र का जन्मदाता माना गया है।
तृतीय अंक ज्योतिष ‘सेफेरियल’ अर्थात् हिब्रू यानि यहूदी की पंरपरागत नामांक पद्धति है। चतुर्थ में ‘आधुनिक अंक ज्योतिष’ आता है, ‘पंचम में ‘यूनिट पद्धति’ आती है जो पूर्णतया ‘भारतीय अंक ज्योतिष’ पर आधारित है। इतिहास के प्राचीन ग्रंथों के अध्ययन से पता चलता है कि ‘भारतीय ज्योतिष’ में पारंगत कुछ विद्वानों को अरब देशों में इस ‘इल्मे-गैब’ की जानकारी प्राप्त करने व इसे सीखने के लिए बुलाया गया। वे वहां गये तथा वहां उन्होंने इस विद्या का प्रचार-प्रसार किया। इसी प्रकार उन देशों से भी अनेक जिज्ञासु भारत आकर इस विद्या का अध्ययन करते रहे तथा अपने देश वापस जाने से पहले, भारत के जनसाधारण के साथ अपने संपर्क के कारण अपनी भाषा के बहुत से शब्द यहां छोड़ गये तथा भारतीय भाषाओं के अनेक शब्द अपने साथ ले गये। शायद शब्दों के भ्रम जाल के कारण भी कुछ लोग इस विद्या को विदेशी भाषा मानते हैं,
जबकि यह शब्दों का आदान-प्रदान मात्र है। हम देखते हैं कि अंक सब जगह हमारा पीछा करते हैं। जन्म तिथि, मैरेज डे, मकान खरीदने-बेचने की तारीख, मुकदमे-परीक्षा की तथि-रोल नंबर, जाने की तारीख, खुशी-गम की तारीख और न जाने किन-किन विषयों की तारीखें हमारे जीवन में जुड़ती चली जाती हैं, बिना तारीखों अर्थात अंकों के, हमारे जीवन में कुछ भी शेष नहीं रह जाता है।
हम उन तारीखों के अंकों को पीढ़ी दर पीढ़ी भूला नहीं पाते, उनके पास में उलझे और उलझाये रहते हैं। विश्व के सभी देशों में 13 के अंक को अशुभ माना जाता रहा है। किसी मकान-प्लाॅट, कमरे आदि का नंबर 13 नहीं रखा जाता है, वहां 12 के बाद 12 ए कर दिया जाता है। इसके विपरीत अमेरिका के जीवन में 13 का सर्वाधिक महत्व है। अमेरिकी राष्ट्र ध्वज में 13 धारियां हैं, 13 बाण हैं, ईगल के ऊपर 13 सितारे हैं और झंडे में भी 13 ही पत्तियां हैं।
अमेरिका जब स्वतंत्र हुआ, तो वहां 13 राज्य थे और स्वतंत्रता के घोषणपत्र पर भी 13 व्यक्तियों के ही हस्ताक्षर थे। परंतु यहूदी लोग 13 के अंक को अशुभ मानते हैं, क्योंकि वे कहते हैं कि ईसा के बलिदान से पूर्व भोज हुआ, जिसमें 13 व्यक्ति थे। वे 13 नंबर के बजाय 7 के अंक को अत्यधिक महत्व देते हैं। परंतु फ्रांस में 13 अंक के कारण अनेक अशुभ घटनाएं घटीं। अन्य और भी उदाहरण दिये जा सकते हैं कि एक ही अंक यदि एक ही व्यक्ति के लिए शुभ हो सकता है, तो दूसरे व्यक्ति के लिए वही अंक अशुभ भी हो सकता है।
यदि आप भी अपने जीवन की प्रत्येक घटनाओं की तारीखों, अंकों को नोट करें, तो आपको उनमें एक सिलसिला, एक तारतम्य दिखाई देगा। या तो वे घटनायें किसी अंक विशेष वाली तारीख को घटित हुइ होंगी या सुनिश्चित अंतराल के बाद घटी होंगी। इससे आपको यह ज्ञात हो जायेगा कि कौन-सा अंक आपके लिए शुभ है और आप उसी के अनुसार कार्य करें, तो आपको अनेक लाभ होंगे। यूनानी दार्शनिक एवं महान अंकशास्त्री पाइथागोरस का विश्वास था कि अंकों में महान शक्ति छिपी है। यूनान में यह एक लोकोक्ति ही बन गयी थी कि ‘‘विश्व के रहस्य अंकों में ही छिपे पड़े हैं’’ उसने कहा- ‘‘सभी रचनाओं, स्वरूपों और विचारों का स्वामी अंक है
और यही देवताओं और राक्षसों का जनक है।’’ वस्तुतः अंकों की लीला बहुत ही विचित्र है। इनका आरंभ शून्य से होता है और ये शून्य में ही विलीन हो जाते हैं। इनका प्रतिनिधि अंक 10 है। यदि हम उन्हें उनके क्रम में लिखें और आदि को अंत से जोड़ें, तो 10 का अंक ही प्राप्त होता है- 1-2-3-4-5-6-7-8-9 1 और 9 का जोड़ = 10, 2 और 8 का जोड़ = 10, 3 और 7 को जोड़ = 10, 4 और 6 का जोड़ = 10 शेष रह जाता है 5 का अंक। यह पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।
पंच परमेश्वर, पंचशील, पांच अंगुलियां, पांच आचरण के सिद्धांत, पांच दंड, पांच मुख्य द्रव्य, पांच ग्रह आदि। भारत तथा चीन में 5 के अंक का बहुत ही महत्व है। भारतीय ज्योतिष तथा यंत्र, मंत्र, तंत्र और हस्तरेखा विज्ञान में भी अंकों का महत्व किसी से छिपा नहीं है। ज्योतिष शास्त्र की सभी विधाओं में ‘अंक-ज्योतिष’ सबसे सरल विद्या है।
यदि आप अंक के रहस्य (गहन-अध्ययन) को समझ लें, तो आपके परम मित्र के समान अंक आपकी बहुत सहायता करते हैं, अंक सत्य में हमारे मित्र बन कर हमें सफलता दे सकते हैं।