पांव तले छिपा भविष्य पं. आर के. शर्मा बृहत्संहिता के रचनाकार आचार्य वराहमिहिर ने पावं के तलवुे की रेखाओं के बारे में काफी कुछ लिखा है। मानव की हथेली में भाग्य रेखा अति महत्वपूर्ण मानी जाती है, उसी प्रकार पैर के तलवे में स्थिति भाग्य रेखा का नाम - 'उर्ध्व रेखा' है। यह 'उर्ध्व रेखा' पैर की एड़ी से पैर की मध्यमा अंगुली (अगंठूे से दूसरी) तक गहराई में स्पष्ट और दोष रहित पहुंच रही हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली, भौतिक सुखों से युक्त तथा समाज में प्रितष्ठावान होता है। सामुिद्रक शास्त्रों के अनुसार -'एकाऽे पि ऊर्घ्व रेखा सह जनपोषिणी' यह ऊर्ध्वरेखा यदि ब्राह्मण के तलुवे में हो तो वह ब्राह्मण वेद तथा शास्त्रज्ञ होता है।
यदि यही रेखा क्षत्रियों के पादतल में पायी जाये तो वह राज्य प्रदान करती है, वणिकों व्यापारियों के हो तो बहुत धन-धान्य तथा उन्नत व्यापार-कारोबार प्रदान करती है। यदि शदूा्रें -महे नतकश मजदरू वर्ग के पैर में हो तो यह ऊर्घ्व रेखा उस व्यक्ति को सभी प्रकार के भौतिक-सुख प्रदान कर उसे उच्च स्थिति में पहुंचाती है। गृहस्थियों के पैर की यह रेखा उन्हें लक्ष्मीवान बना कर सभी ऐश्वर्य प्रदान करती है। संत तुलसीदास के अनुसार यह ऊर्ध्व रेखा उस व्यक्ति की अधोगति नहीं होने देती, साधु-संतो- महात्माओं - गुरुओं -योगियों के पैर की यह रेखा ईश्वरीय कृपा, भक्ति द्वारा महान तपस्वी और तेजस्वी बना देती है। यदि यही रेखा किसी स्त्री जातक के पैरों में हो तो वह अखडं साभ्ैााग्यशालिनी होती है।
यह रेखा - अनुसुइया - सीता - सावित्री आदि सतियों स्त्री-रत्नों के पैरों में थी। यह ऊर्ध्व रेखा जिस व्यक्ति के पैरों में हो और हाथ की भाग्य रेखा कमजोर और क्षतविक्षत हो तो भी वह व्यक्ति मध्यायु में धनवान, प्रतिष्ठित और ऐश्वर्ययुक्त हो जाता है। अगर यह 'ऊर्ध्व रेखा' दोनों सिरों पर दो भागों में विभाजित (सर्प की जिह्वा की तरह) होकर टेड़ी-मेढ़ी हो जाये तो वह रेखा सर्प रेखा कहलाती है। इस सर्परेखा वाले व्यक्ति कपटयुक्त व्यवहार वाले, क्राधेी और बदले की भावना वाले होते हैं। पांव में स्वस्तिक रेखा वाले व्यक्ति महान धार्मिक और पूजित होते हैं अर्थात् महान गुरु-संत, महात्मा आदि गज रेखा वाले व्यक्ति के पास सदैव उच्च और श्रेष्ठ वाहन रहते हैं।
बाय ें पैर के अगंठूे के नीचे समृद्धि रखाो हो तो एसो व्यक्ति धनवान, धर्मपरायण तथा प्रसिद्ध होता है। पावं के अगंठूे से एक अगुंल दरू कुछ तिरछी तथा आकार में छोटी 'कर्मठ-रखाो' हातेी है। इन व्यक्तियों में अधिक क्रियाशीलता पायी जाती है। ये व्यक्ति महत्त्वाकांक्षी होते हैं। ये निरंतर कार्य करते हुए जीवन में उन्नति प्राप्त करते हैं। एडी़ में एक अगंलु लबंी स्वतत्रं रखाो- -'सुखी गृहस्थ रखाो' कहलाती है। इन व्यक्तियों का वैवाहिक जीवन सुखमय बीतता है। भौंरा- रथ- यव-मोर-कलश-कमल-सूर्य-चंद्र-छत्र, ध्वजा- गदा-मीन-धनुष-शंख आदि चिह्न बहुत शुभ माने जाते हैं एसे चिह्न वाले व्यक्ति प्रसिद्ध एवं सौभाग्यशाली होते हैं। दीपक के चिह्न से युक्त व्यक्ति अपने परिवार तथा वशं को प्रसिद्ध करते हैं। गाय के खुर के चिह्न वाले व्यक्ति धन-वैभव से युक्त तथा कृपालु व दयालु होते हैं। स्त्रियों के पैरों में चक्र, ध्वजा, छत्र, कमल चिह्न उन्हें सौभाग्य तथा ऐश्वर्य प्रदान करता है। इनका विवाह उच्च स्थिति वाले व्यक्ति से होता है।