प्रथम भाव
केतु यदि प्रथम भाव में हो तो व्यक्ति
रोगी, चिन्ताग्रस्त, कमजोर, भयानक
पशुओं से परेशान तथा पीठ के कष्ट
का भागी होता है। वह अपने द्वारा
पैदा की गई समस्याओं से लड़ने
वाला, लोभी, कंजूस तथा गलत लोगों
का चयन करने के कारण... और पढ़ें
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