मधुमेह रोग और ज्योतिषीय दृष्टिकोण
मधुमेह रोग और ज्योतिषीय दृष्टिकोण

मधुमेह रोग और ज्योतिषीय दृष्टिकोण  

राजेंद्र शर्मा ‘राजेश्वर’
व्यूस : 4287 | जून 2017

वैदिक ज्योतिष में मेडिकल ज्योतिष का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। इसके द्वारा व्यक्ति की जन्म कुंडली से उसके स्वास्थ्य का आकलन बेहतर तरीके से किया जा सकता है। कई बार चिकित्सक जातक की बीमारी को ढूंढ़ ही नहीं पाते हैं। ऐसे में एक कुशल ज्योतिषी जन्मकुंडली का भली-भांति निरीक्षण करके बीमारी का अंदाजा लगा सकता है कि शरीर के किस भाग में पीड़ा नजर आती है, आज के इस लेख के माध्यम से हम मधुमेह के संबंध में बात करेंगे कि जन्मकुंडली के वे कौन से योग हैं जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी हो सकती है। सर्वप्रथम यह जानते हैं


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कि मधुमेह क्या है? आज के श्रम विहीन समाज का यह जाना-पहचाना रोग है। यह रोग श्रम न करने वाले समाज में अधिकतम पाया जाता है जबकि श्रम करने वालों को यह न्यूनतम संख्या में होता है। मधुमेह रोग अकेला ही नहीं होता, अपितु इसके दुष्प्रभाव स्वरूप आंखों, किडनी, हृदय तथा अन्य अंगों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 85 प्रतिशत को यह रोग आनुवांशिकता के कारण होता है। तनाव, क्रोध, ईष्र्या, प्रतिस्पर्धा व हमेशा तनाव व दबाव बने रहना और अंतःस्रावी गं्रथियों में विकृति आ जाना इस रोग के वाहक हैं। मधुमेह के प्रमुख ज्योतिषीय योग

- सूर्य, चंद्र, बुध और शुक्र पंचम स्थान में स्थित हों तो मधुमेह रोग होता है। अगर एक, दो या तीन ग्रह भी पंचम स्थान में स्थित हों तो मधुमेह की आशंका बढ़ जाती है। अगर ये ग्रह खराब ग्रहों से युति करते हैं तो मधुमेह रोग के संबंध में स्पष्टता से कहा जा सकता है। ऐसा भी देखा गया है कि पंचम स्थान में शुक्र शनि से पीड़ित हो तो व्यक्ति को मधुमेह होता ही है।

- लग्न स्थान में शनि के साथ सूर्य या मंगल हो तो व्यक्ति को मधुमेह होता है। अगर लग्न स्थान में तीनों ग्रह हों तो परिणाम अधिक तीव्रता से प्रकट होता है। केवल मंगल और शनि भी हो तो रोग उभरकर सामने आ जाता है।

- शनि अष्टम स्थान में पीड़ित हो तो दीर्घावधि वाले रोग उत्पन्न होते हैं। कई बार यही रोग मृत्यु का भी कारण बन जाता है।

- शनि और मंगल की युति हो या एक दूसरे को दृष्टि संबंध से प्रभावित कर रहें तो मधुमेह होता है। करीब 65 प्रतिशत मामलों में शनि और मंगल की युति मधुमेह रोग उत्पन्न करती है।

- लग्न स्थान पीड़ित हो, लग्न स्थान का स्वामी नीच का हो और अष्टम स्थान में शुक्र हो या शुक्र से प्रभावित हो तो मधुमेह की आशंका बढ़ जाती है। इसके बहुत अधिक परिणाम देखने में नहीं आए हैं।

- बुध धनु या मीन राशि में हो और सूर्य की युति हो तो मधुमेह होने की आशंका बढ़ जाती है।

- लग्नस्थ सूर्य, सप्तमस्थ मंगल हो तो मधुमेह रोग होता है। इसमें तथ्य यह है कि अगर वर्ग जल तत्वीय राशियों में हो तो रोग होने की आशंका बढ़ जाती है।

- अष्टम स्थान को मंगल प्रभावित करे तो मधुमेह रोग होने की आशंका अधिक होती है। मधुमेह के कई रोगियों में ऐसा देखा गया है।

- नवमांश में चंद्र कर्क या वृश्चिक राशि में हो और चंद्र पीड़ित हो तो इसी प्रकार का रोग होने की आशंका बढ़ जाती है।

- शुक्र और चंद्र जैसे ग्रह सप्तम स्थान, सप्तमेश के साथ हों तो मूत्र संबंधी रोग होते हैं।

- पंचम स्थान में सूर्य, चंद्र और शुक्र हों तो मधुमेह रोग होता है। वर्गों में अगर जलतत्वीय राशियों की प्रमुखता हो तो इसके परिणाम तीव्रता से आते हैं।

- सप्तमस्थ राहु के कारण कमर से संबंधित रोग उभरते हैं। राहु के होने से रोग गुह्य होता है ऐसे में मधुमेह की शंका की जा सकती है।

- पंचम स्थान में पीड़ादायी ग्रह मधुमेह का कारण बन सकता है।

- सप्तम स्थान का स्वामी प्रतिकूल स्थान में हो और पीड़ित हो तो मधुमेह होता है।

- लग्न शनि से प्रभावित हो और अष्टम स्थान का स्वामी पीड़ित हो तो अपच से मधुमेह की समस्या की शुरूआत होती है। डाॅ. चरक के अनुसार

- जन्मकुंडली में गुरु ग्रह षष्ठ, अष्टम या द्वादश स्थान में स्थित हो या अपनी नीच राशि में स्थित हो तो मधुमेह रोग होता है।

- शुक्र षष्ठस्थ और गुरु द्वादशस्थ हो तब भी मधुमेह रोग होता है।

- पंचम स्थान या पंचमेश का संबंध षष्ठ, षष्ठेश, अष्टम या द्वादश स्थान से बन रहा हो तो मधुमेह होता है।

- षष्ठेश/द्वादश स्थान में हो और द्वादशेश का संबंध गुरु से बन रहा हो।

- षष्ठेश व द्वादशेश का आपस में राशि परिवर्तन हो रहा हो।

- गुरु जन्म कुंडली में शनि व राहु के प्रभाव में हो।

- जन्मकुंडली में गुरु व शनि की युति बहुत नजदीकी अंशों पर हो रही हो अर्थात दोनों एक ही नवांश में स्थित हों।

- गुरु षष्ठ, अष्टम या द्वादश स्थान में पीड़ित हो। डाॅ. बी. वी. रमण के अनुसार

- जन्मकुंडली में बली पाप ग्रह लग्न या अष्टम स्थान में हो तथा शुक्र गुरु या चंद्र गुरु पीड़ित अवस्था में स्थित हों तो मधुमेह की संभावना बनती है।

- शुक्र अष्टम स्थान में पापग्रहों से दृष्ट हो।

- गुरु शनि की राशि मकर या कुंभ में स्थित हो और अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो।

- गुरु का संबंध अगर शनि से बन रहा हो।

- राहु का संबंध अष्टमेश से बन रहा हो और यह संबंध अष्टम स्थान या त्रिकोण में बन रहा हो क्योंकि कुंडली में जब भी अष्टमेश का संबंध राहु से बनता है तब बीमारी की संभावना बढ़ जाती है।

- शनि का संबंध चंद्र से हो या कर्क राशि से हो।

- मंगल, शनि, राहु या केतु जल राशि (चतुर्थ, अष्टम व द्वादश) में स्थित हो विशेषकर षष्ठ, अष्टम व द्वादश स्थान में हो तब भी मधुमेह रोग होने की संभावना होती है।

- गुरु राहु के नक्षत्र में हो और राहु से ही दृष्ट हो।

- गुरु अष्टमस्थ होकर शनि से दृष्ट हो।

- लग्न किसी अशुभ ग्रह से पीड़ित हो रहा और गुरु भी पाप ग्रह से पीड़ित हो।

- सूर्य लग्नस्थ हो और मंगल षष्ठस्थ हो तो भी मधुमेह रोग हो सकता है।

ज्योतिष शास्त्र के उपायों के अनुसार मधुमेह रोग से छुटकारा पाने के लिए पूर्ण मनोयोग से निम्नानुसार उपाय करना चाहिएः

- सोलह शुक्रवार तक किसी मंदिर या जरूरतमंद व्यक्ति को सफेद चावल का दान करना चाहिए।

- ‘‘ऊँ शुं शुक्राय नमः’’ मंत्र की एक माला का जाप प्रतिदिन करना चाहिए।

- गुरु और चंद्र की वस्तुओं का भी दान करना चाहिए।

- सायं या रात्रि के समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।

Û पुष्य नक्षत्र में जामुन के फलों को एकत्रित कर फिर उनका सेवन करें।

Û करेले के पावडर को नित्य प्रतिदिन प्रातः दुग्ध के साथ मिलाकर सेवन करें।

- अश्विनी, पुष्य, हस्त और अभिजित नक्षत्रों में औषधि सेवन प्रारंभ करें।

- गोचरीय ग्रहों से अशुभता हो तो पहले उन्हें औषधीय स्नान से शुद्ध करें।

- ग्रह दूषित है तो हवन करा सकते हैं

- सूर्य की शांति के लिए आक की समिधा में हवन करें, चंद्र की शांति हेतु पलाश की समिधा, मंगल की शांति के लिए खैर, बुध की शांति के लिए अपामार्ग, गुरु की शांति हेतु पीपल, शुक्र की शांति के लिए गूलर, शनि की शांति हेतु शमी, राहु के लिए दूर्वा तथा केतु की शांति के लिए कुशा की समिधा से हवन करें।


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सरल और स्निग्ध डाली हवन की प्रक्रिया के लिए उपयोग करना चाहिए। इसके साथ-साथ ग्रहों के मंत्रों के साथ ही यज्ञाहुति देनी चाहिए तभी आपको हवन का पूर्ण लाभ मिलेगा और मधुमेह रोग से बचने में सहायक होगा।

वास्तु शास्त्र और मधुमेह का रोग वास्तु शास्त्र के अनुसार इस रोग से बचाव के लिए अपने घर के मध्य को लोहे के जाल, बेकार फालतू सामान और स्टोर से बचाना होगा। अपने घर की उत्तर-पूर्व दिशा में नीले पुष्प वाला पौधा लगाएं। गलती से कभी भी अपने शयन कक्ष में खाना न खायें तथा जूते चप्पल पहनकर शयन कक्ष में न जायें और न ही कभी भी पुराने या नये जूते चप्पल वहां रखें। पीने के पानी के लिए मिट्टी के घड़े का इस्तेमाल करें और घड़े में तुलसी के सात पत्ते डालें उसके बाद ही पानी सेवन करें। गुरुवार को हल्दी की गांठ सिलवट्टे पर पीस कर उसमें शहद मिलाकर प्रतिदिन खाली पेट लें। प्रत्येक रविवार को सूर्य को जल दें, उसके बाद बंदरों को गुड़ खिलायें।

अपने घर के ईशान कोण से लौह धातु से निर्मित हर वस्तु को हटा दें। मधुमेह रोग से बचने के लिए आप इन सब उपायों का इस्तेमाल कर सकते हैं और उपायों के करने से आपको महसूस होगा कि आपका मधुमेह रोग कितनी जल्दी ठीक हो रहा है और आप रोग मुक्त हो रहे हैं।



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