27 अप्रैल 2018 की सुबह की किरण अपने साथ अनु कुमारी के जीवन में कभी न डूबने वाला सूरज लेकर आई। इस दिन संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के परिणाम आए थे। घर में चारों ओर खुशी का माहौल था। खुशी हर किसी के चेहरे पर सुशोभित हो रही थी। सब अनु को बधाई दे रहे थे। अनु से अधिक खुश उसकी मां थी। आज उनकी वर्षों की तपस्या का फल जो उनकी बेटी को मिला था। उनका भरा पूरा परिवार था, परिवार में सभी थे, बहुत प्यार करने वाली मां, अस्पताल से सेवानिवृत्त पिता, एक केयर करने वाला पति, आंखों का तारा बेटा और जी भर के आशीर्वाद देने वाले सास-ससुर। बस यही थी अनु कुमारी की दुनिया। अनु ने कभी भी मेहनत से जी नहीं चुराया, हां एक समय उसके जीवन में ऐसा अवश्य आया जिसमें वो संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के परिणाम में एक अंक से चूक गई थी। कुछ पल के लिए उसका दिल टूट गया था, पर उसे वापस अपनी हिम्मत को समेटने में समय नहीं लगा था। उसके पति ने उसे समझाया था कि कोई बात नहीं, इस बार सफलता नहीं मिली तो क्या हुआ, फिर से कोशिश करो, इस बार जरुर सफल हो जाओगी।
अनु की मां को आज अचानक से वो दिन याद आ रहा था जब अनु का जन्म हुआ था। अनु से पहले भी उनके यहां एक बेटी थी, दूसरी बेटी के आने पर सबके चेहरे मुरझा गए थे, सब एक बेटे, घर के चिराग की प्रतिक्षा कर रहे थे। बेटी को पाकर वो बहुत खुश तो न हुए थे, आसपास के लोगों ने बातों ही बातों में दूसरी बेटी के जन्म पर कितनी बातें सुना दी थी, पर अनु के पिता ने हिम्मत नहीं हारी थी, उन्होंने उसी समय सबसे कह दिया था कि क्या हुआ जो बेटा न हुआ, वो इसे ही बेटे की तरह पालेंगे। बस उसी दिन से उसका पालन-पोषण एक बेटे की तरह होने लगा था। जो सुख-सुविधा घर के बेटे को दी जाती है, वही उसे दी गई। उसकी पढ़ाई में किसी भी तरह की कमी नहीं आने दी गई। उसी का परिणाम था कि आज अनु कुमारी आईएएस बन अपने माता-पिता का गौरव बढ़ा रही थी।
अनु कुमारी ने सिविल सर्विस में पूरे देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। अनु कुमारी को प्राप्त होने वाले इस सफलता के लिए अनुकुमारी के साथ-साथ उसका परिवार भी बधाई का पात्र है। हम सभी देखते हैं कि हमारे आसपास घर में बेटियों और बहू को आगे बढ़ने में परिवार का सहयोग नहीं मिल पाता है। और अगर बात हो ससुराल की तो संभावनाएं और भी कम हो जाती हैं। हमारे देश में आज भी लाखों-करोड़ों लड़कियां विवाह के बाद जिम्मेदारियों के लिए अपने करियर, अपनी महत्वाकांक्षाओं की बलि चढ़ाती आ रही हैं, पर अनु कुमारी का ससुराल इससे जुदा था, उसे वो सब अपने ससुराल में मिला था जो उसने अपने मायके में पाया था, वही मां के रुप में सास का दुलार और पिता के रुप में ससुर का मार्गदर्शन। अनु कुमारी स्वयं कहती हैं कि आज वो जो कुछ भी हैं उसमें उसके पति, सास और ससुर का बहुत बड़ा योगदान है।
अनु का जन्म एक ग्रामीण परिवेश में हुआ था, वहां 12वीं की शिक्षा उसने सोनीपत के ही एक करीबी स्कूल से पूरी की थी। हैरानी की बात यह है कि जिस स्कूल से उसने 12वीं तक पढ़ाई की थी, उसी स्कूल में उसका बेटा भी शिक्षा प्राप्त कर रहा है। अनु बचपन से ही होनहार छात्रा रही थी, वह पढ़ाई में भी रुचि लेती और खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी हिस्सा बनती। वह किसी कोहिनूर से कम नहीं थी, जिसे उसके स्कूल, घर और ससुराल के सहयोग ने तराश दिया।,
अनु की कामयाबी पर हरियाणा सरकार ने इसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेसडर बनाने का आदेश दिया है। एक साधारण से परिवार की बेटी ने अपने घर, अपने परिवार, अपने शहर, अपने राज्य का नाम पूरे देश में रोशन किया है। सही मायने में देखा जाए तो अनु की मेहनत और सफलता आज ऐसे सभी लोगों के मुंह पर किसी तमाचे से कम नहीं जो बेटियों को जन्म से पूर्व ही कोख में मार डालने की परम्परा का पालन करते रहे हैं। आज तक हरियाणा बेटियों को कोख में ही मार देने के लिए सुर्खियों की शोभा बनता रहा है। यह एक ऐसा राज्य हैं जहां पर लिंगानुपात बहुत ही कम है। उसी राज्य में एक बेटी का आईएएस बनना किसी चमत्कार से कम नहीं है। अनु कुमारी आज महिलाओं का बढ़ता मनोबल है, एक प्रेरणास्रोत है। आईये हम सब भी आज प्रण लें कि अपनी बेटियों-बहुओं को सामाजिक बंधनों में बांधने की जगह उनके सपनों को पंख देकर उन्हें उड़ने के लिए खुला आसमान देंगे। फिर देखिएगा हर घर में एक अनु कुमारी होगी। आईये अनु कुमारी की कुंडली से देखते हैं कि उनकी कुंडली में ऐसे कौन से योग थे जिनके फलस्वरुप आज इन्हें यह स्थान प्राप्त हुआ।
अनु कुमारी का जन्म वृषभ राशि में हुआ, कुंडली में उच्च का चंद्रमा इनके मनोबल को बल दे रहा है। “चन्द्रमा मनसो जातः अर्थात मन चंद्रमा के समान होता है। कुंडली में चंद्रमा का बली होना व्यक्ति को मानसिक रुप से अधिक बली बनाता है। ऐसा व्यक्ति जीवन की किसी भी विपरीत परिस्थिति में घबराता नहीं है। हौसला बनाए रखता है और सकारात्मक बना रहता है। चंद्र पर चतुर्थेश सूर्य और नवमेश एवं दशमेश शनि की पूर्ण दृष्टि है। सप्तमेश और द्वादशेश मंगल भी अपनी चतुर्थ दृष्टि से चंद्र को साहस प्रदान कर रहा है। सूर्य-शनि दोनों वृश्चिक राशि में एक साथ होने पर सरकारी क्षेत्र में सफलता देने में तनिक देरी अवश्य करते हैं। इसी वजह से प्रथम बार में ये एक अंक से चूक गईं। राशीश शुक्र प्रतियोगिता भाव में पंचमेश के साथ है। राशीश और पंचमेश दोनों त्रिकोणेश हैं, दोनों का एक साथ होना कुंडली को विशेष बल प्रदान कर रहा है। लाभ, उन्नति और सफलता के लिए कुंडली का एकादश भाव देखा जाता है, इनकी कुंडली में एकादश भाव में राहु स्थित है। द्विस्वभाव राशियों और एकादश भाव में राहु सबसे अच्छा फल देते हैं, अपनी महादशा, अंतर्दशा में जातक को सफलता का स्वर्णिम अवसर प्रदान करते हैं। राशीश शुक्र अपनी मूलत्रिकोण राशि में स्थित है। धनेश के साथ स्थित होने से धनदायक है। वर्तमान में वृषभ राशि पर शनि की अष्टम ढैय्या प्रभावी है।
सरकारी क्षेत्र में सफलता और पद प्राप्ति के लिए चतुर्थेश का सूर्य से संबंध होना चाहिए, इनकी कुंडली में चतुर्थेश सूर्य अपने से चतुर्थ स्थान पर भाग्येश के साथ है। त्रिकोण और केंद्र भाव के स्वामियों का एक साथ होना राजयोग कारक होता है। आयेश स्वयं धनकारक गुरु है। कर्मभाव में गुरु उच्चाभिलाषी होकर मंगल के साथ है।
सामान्य से अधिक पुरुषार्थ और प्रयास के लिए तीसरा भाव और तीसरे भाव के स्वामी की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है, इनकी कुंडली में तृतीयेश स्वयं चंद्रमा है, अपने से एकादश भाव में स्थित है, जिसका परिणाम इन्होंने सामान्य से अधिक पुरुषार्थ दिखाया और सफलता अर्जित की। जीवन में बहुत अच्छी सफलता पाने के लिए भाग्य भी बली होना चाहिए। भाग्येश शनि अपनी तीसरी दृष्टि से भाग्य भाव को देख भाग्य को प्रबल कर रहे हैं, इन्हें भाग्य का पूरा सहयोग प्राप्त हो रहा है। इस समय गोचर में भाग्येश शनि इनके अष्टम भाव पर विचरण कर इनके करियर भाव को सक्रिय कर रहे हैं। आयेश गुरु भी गोचर में दशम में स्थित जन्म गुरु को दृष्टि देकर आय और कार्यक्षेत्र में सुखद परिणाम प्राप्त होने का कारण बन रहे हैं।
इनकी कुंडली में बनने वाले योग इस प्रकार हैं -
अमला योग, वाशि योग, गौरी योग, चक्रवर्ती राजयोग, पारिजात योग, और वासि योग जैसे शुभ योग हैं। इन योगों ने इनकी सफलता को सरल बनाया।