लिखते-लिखते लव कराने वाले- विक्रम कोठारी
लिखते-लिखते लव कराने वाले- विक्रम कोठारी

लिखते-लिखते लव कराने वाले- विक्रम कोठारी  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 2977 | फ़रवरी 2020

रोटोमैक ब्रांड का पेन बनाने वाली कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी अभी सुर्खियों में हैं। नीरव मोदी के बाद बैंकों से लिए गये कर्ज की फाइलंे खुलने के बाद अब विक्रम कोठारी सबकी निगाहों में आ गये हैं। विक्रम कोठारी पर बैंकों से 3700 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है।

विक्रम कोठारी व उनके पिता के परिवार के संघर्ष की कहानी काफी रोचक है। विक्रम के पिता मनसुख कोठारी 50 के दशक में कानपुर में साइकिल चलाकर पान मसाला बेचते थे। 60 के दशक में पारले उत्पाद का कानपुर क्षेत्र का डिस्ट्रीब्यूटरशिप लेने के बाद कोठारी परिवार मजबूत होने लगा। इस बीच कानपुर में पान मसाले के पहले ब्रांड ‘बादशाह’ के बंद होने के बाद ‘पान बहार’ को टक्कर देने के लिए मार्केट में ‘पान पराग’ उतारा गया।

70 के दशक की शुरूआत में 5 रुपये के 100 ग्राम के पान मसाले के पाउच ने देश विदेश में ऐसी धूम मचाई कि सब जगह ‘पान पराग’ छा गया और पान मसालों का दूसरा नाम ‘पान पराग’ हो गया। धीरे-धीरे यह खाड़ी देशों में, अमेरिका व यूरोप तक भी पहुंच गया और लगातार बढ़ते कारोबार ने इस ग्रुप को बुलंदियों तक पहुंचा दिया।

इसी बीच कोठारी ग्रुप ने रोटोमैक पेन, यस मिनरल वाटर भी लांैच किए जो कि बहुत सफल रहे।

कहते हैं न कि इतनी सफलता रास आना भी मुश्किल होता है। इसलिए चरम पर पहुंचे व्यापार के बीच कोठारी परिवार में भी खटपट शुरू हो गई। साल 2000 के आसपास समूह में बंटवारा हुआ। जानकारों के अनुसार मनसुख अपने छोटे बेटे दीपक के साथ एक तरफ थे तो विक्रम दूसरी तरफ थे। कहते हैं कि विक्रम को ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए 1250 करोड़ रुपये की डील हुई थी जिसमें 750 करोड़ रुपये विक्रम को कैश दिये गये थे।

परिवार से अलग होकर विक्रम ने रोटोमैक के विस्तार और मजबूती पर ध्यान नहीं दिया। यस ब्रैंड से नमकीन की बड़ी रेंज के अलावा ‘दम’ पान मसाला और ‘ब्रेन कंप्यूटर्स’ को भी बाजार में उतारा गया पर सब कुछ औंधे मुंह गिर गया। इसी बीच दोस्तों की सलाह पर स्टाॅक मार्केट के अलावा रियल स्टेट में भारी भरकम निवेश किया। शहर के एक बदनाम बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट में भी विक्रम का शेयर है। कहा यह भी जाता है कि तीन साल पहले विनसम डायमंड केस में मिली डायरी में विक्रम का नाम आया था और इस मामले में वे ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (ईडी) के निशाने पर आए थे।


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विक्रम कोठारी को महंगी गाडियों और पार्टियां करने का भी बहुत शौक है। दोस्तों व अपने चाहने वालों के सामने विक्रम बहुत शान का जीवन जीते रहे हंै। वे अपने पार्टियों में फिल्म स्टार्स को आमंत्रित करते रहे हैं और पिछले एक साल से खराब समय के बाद भी पार्टियों का दौर थमने के बजाय और ज्यादा हो गया था।

कोठारी को अच्छी गाड़ियों का शौक भी है। मार्केट में कोई गाड़ी आती तो सबसे पहले किसी और के खरीदने से पहले कोठारी के पास वो गाड़ी होती।

कोठारी को डाॅलर खरीदने व बेचने का भी काफी शौक था। वे ऐसे गु्रप से जुड़े हुए थे जिसमें चार पांच लोग सभी इसी तरह सट्टा खेलते थे हालांकि इस खेल में विक्रम को हमेशा नुकसान ही हुआ लेकिन तब भी उन्होंने सट्टा खेलना बंद नहीं किया। एक समय में रोटोमैक ने डाॅलर ट्रेड में 1100 करोड़ रुपये का नुकसान भी उठाया और इसमें से 400 करोड़ रुपये खुद विक्रम कोठारी के थे। इसके बाद कोठारी के बुरे दिन शुरू हो गये और करीब 25 वर्ष तक अर्श में रहने वाले विक्रम अगस्त 2016 में फर्श पर पहुंच गये और दिवालिया घोषित हो गये। जानकारों की मानंे तो गलत निवेश और फिजूलखर्ची उनके व्यावसायिक पतन का कारण बनी जबकि उनका भाई आज भी बहुत चरम पर है।

3700 करोड़ रुपये के बैंकों से फ्राॅड करने के मामले में फंसे विक्रम पर इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपना शिकंजा कस दिया है। डिपार्टमेंट ने कंपनी के 14 बैंक खातों को अटैच कर लिया है। विक्रम कोठारी और उसके बेटे गिरफ्तार कर लिये गये हंै और उनसे गहन पूछताछ की जा रही है।

बैंकों ने विक्रम कोठारी की कई कंपनियों को खैरात की तरह कर्ज बांटा। इलाहाबाद बैंक ने जिन संपत्तियों के बदले विक्रम को 352 करोड़़ का लोन दिया उनकी कीमत केवल 12 करोड़ रुपये थी । अतः संपत्तियों की नीलामी के बाद भी इलाहाबाद बैंक का 330 करोड़ रुपये बकाया है।

विक्रम कोठारी केवल बैंकों के ही नहीं अपने कर्मचारियों के डिफाॅल्टर भी हैं। पनकी स्थित रोटोमैक ग्लोबल प्रा. लि. में कार्यरत कर्मचारियों का पी. एफ का पैसा कई सालों से उन्होंने जमा नहीं किया है।

नीरव मोदी के घोटाले के उजागर होने के बाद ही विक्रम कोठारी का मामला सामने आया है क्योंकि बैंक को डर लगने लगा है कि कहीं नीरव मोदी की तरह विक्रम भी देश छोड़कर न चले जाएं।


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विक्रम कोठारी की जन्मकुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण

इनकी जन्मकुंडली में द्वादशेश सूर्य के साथ लग्नेश बुध बैठे हैं। इसलिए तिकड़मी तो बहुत हैं और अपने बुद्धि व स्टेटस के बल पर बैंकों से इतना बड़ा कर्ज लेने में सक्षम हो पाए। भाग्येश व धनेश शुक्र तृतीय भाव में बैठकर भाग्य भाव एवं लाभेश चंद्र को देख रहे हैं। इसलिए इन पर लक्ष्मी जी की विशेष कृपा रही और भाग्य ने भी साथ दिया और अपना अब तक का जीवन पूरी शान शौकत में बिताया।

पंचम भाव पर नीच के गुरु और मंगल के प्रभाव के कारण इन्होंने अपनी कमाई सट्टे में लगाना बेहतर समझा। साथ ही पंचम भाव के स्वामी की द्वादश भाव में स्थिति भी यह संकेत दे रही है कि सट्टे में ये उल-जुलूल निर्णय लेकर पैसा लगा देते थे। इनके पास जमा जमाया बिजनेस था पर जैसे ही अलग हुए अपना पैसा गलत ढंग से मल्टीपल करने के लिए गलत हथकंडे अपनाए।

आजकल 2017 से शनि की अष्टम ढैय्या चल रही है और अष्टमेश मंगल पर राहु का गोचर भी चल रहा है। लग्न कुंडली का राहु भी नीचस्थ मंगल को पूर्ण दृष्टि दे रहा है। इसलिए जेल का पूर्ण योग बना और अंततः इन्हें जेल हो गयी।

शनि की ढैय्या चैथे घर पर चल रही है और चैथा घर सुख चैन का घर होता है। दुख के ग्रह शनि के गोचर ने विक्रम का सुख-चैन छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ी और वे सभी तरह की कानूनी समस्या एवं अड़चनों में फंसते चले गये तथा रही-सही कसर अष्टमेश मंगल पर राहु के गोचर ने पूरी कर दी।

जन्मकुंडली में राहु की लग्न, लग्नेश व द्वादशेश पर भी पूर्ण दृष्टि है और लग्न व द्वादशेश सूर्य पर गोचर में अष्टम ढैय्या के शनि की भी दृष्टि है। इसलिए विक्रम के समक्ष सभी तरह की कानूनी समस्याएं आ रही हैं और मानहानि भी हो रही है।

अभी वर्तमान समय में जब तक शनि की ढैय्या चल रही है तब तक इन्हें राहत मिलने की संभावना नजर नहीं आती। शनि की ढैय्या खत्म होने के बाद मारकेश गुरु पर शनि मंगल के परस्पर दृष्टि योग का प्रभाव सक्रिय हो जाएगा। आगामी पांच वर्षों तक राहु का गोचर भी प्रतिकूल चलता रहेगा। कुल मिलाकर इनका आगामी समय पूर्णतया कठिनाइयों वाला प्रतीत हो रहा है। अप्रैल 2019 में यद्यपि ढैय्या चलती रहेगी परंतु राहु का गोचर दशम भाव पर होने से हो सकता है कि इन्हें कुछ राहत मिले।



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