अरुण जेटली: वित्त चाणक्य
अरुण जेटली: वित्त चाणक्य

अरुण जेटली: वित्त चाणक्य  

आभा बंसल
व्यूस : 3240 | फ़रवरी 2020

मुझे अच्छी तरह से याद है 1973 का मेरे दौलत राम काॅलेज का वह वर्ष जहां मैंने बी. ए. अर्थशास्त्र आॅनर्स में प्रवेश लिया था और वहां के क्न्ैन् चुनाव के लिए एक अत्यंत सुंदर स्मार्ट शख्सियत के साथ आया था एक लंबा नौजवान जिसके भाषण ने हमारी पूरी कक्षा को अत्यंत प्रभावित किया था। बचपन से आर. एस. एस की शाखाओं से जुड़े रहने के कारण मेरा वोट भी निश्चित रूप से उन्हें ही गया था। ये और कोई नहीं हमारे पूर्व वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ही थे। उस वक्त बहुत सी रैलियों में उनके व हमारे दूसरे मंत्री श्री विनोद गोयल जी के प्रभावपूर्ण वक्तव्य सुनने को मिले और जीतने के बाद पूरे कैंपस में निकाली गई उनकी रैली और फूलों की मालाओं से सजा उनका चेहरा आज भी स्मृतियों में जिंदा है।

अरुण जी 2009 से 2014 तक विपक्ष के नेता के रुप में रहें और 2014 से 2019 तक पक्ष के नेता में कार्यरत रहें। लगभग 5 साल इन्होंने वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री की जिम्मेदारियों को जिस तरह निभाया वह अवधि इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गई है।

अरुण जी को प्रत्येक क्षेत्र के बारे में कुछ न कुछ जानकारी रही है, कुछ के लिए वो एक काॅर्पोरेटर थे, तो कुछ के लिए पत्रकार, वहीं कुछ उन्हें एक क्रिकेट के प्रशंसक के रुप में भी जानते हैं, करीबी मित्र उनकी कलाओं से भी वाकिफ रहे हंै, अरुण जेटली जी का कार्यक्षेत्र और योग्यता क्षेत्र इतना व्यापक रहा है कि कई बार यह कहना मुश्किल हो जाता है कि अरुण जेटली की वास्तविक शख्सियत क्या थी? राजनीति के पुरोधा होने के बावजूद वो संजीदा और संवेदनशील व्यक्ति थे। ऐसे गुण कवि या कला क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों में ही बहुधा पाए जाते हैं। एक उदार और सहयोगी चेहरे के रुप में उनके साथ काम करने वाले व्यक्ति उन्हें सदैव याद रखेंगे।


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now


राजनीतिक क्षेत्र की कार्यशैली और अरुण जेटली का व्यक्तित्व दोनों एक दूसरे से मेल नहीं खाते थे, इस पर भी उन्होंने मन, वचन और कर्म से अपने राजनैतिक कर्तव्यों का पालन किया और सफलता के नए सोपान भी हासिल किए। करीब से जानने वाले उनके बारे में कहते हैं कि राजनीति उनके लिए जरुरत जैसे बन गई थी, चाहे न चाहे करनी ही पड़ी। परन्तु वो एक बेबाक व्यक्ति थे, जो पक्ष में हों या विपक्ष में हों अपनी उपस्थिति दर्ज करा ही देते हैं।

छोले भटूरे और दाल खाने के शौकीन अरुण जेटली विनोदी स्वभाव के थे। एक बार उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि यदि वो राजनीतिज्ञ नहीं होते तो निश्चित रुप से एक उत्तम श्रेणी के संपादक होते। जब मूड में होते, तो एक अलग ही अंदाज में बात करते थे। बाकी सब की तरह आलोचकों ने इन्हें भी कभी नहीं छोड़ा। एक नाम जो उन्हें उनके मीडिया आलोचकों ने दिया वो ‘‘मीडिया ब्यूरो चीफ’’ का नाम था। अरुण जी भी अपने इस नाम पर विचलित होने की जगह गर्वित महसूस करते थे। हमें लगता है कि वो एक वित्त चाणक्य थे और वित्त विषयों पर उनकी मजबूत पकड़ थी।

आगे बढ़ने से पूर्व इनके पारिवारिक जीवन पर एक नजर डाल लेते हैं-

अपने समय के प्रसिद्ध वकील श्री महाराज किशन जेटली के घर में 28 दिसम्बर, 1952 को अरुण जी का जन्म हुआ। पिता वकील थे, सो अपने पिता के पदचिह्नों पर चलते हुए इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की। पर इनके अंदर एक सी.ए. छुपा था, एक बार इन्होंने बताया था कि सीए बनना चाहते थे परन्तु पारिवारिक पृष्ठभूमि वकालत का होने के कारण उन्हें वकील बनना पड़ा। काॅलेज के दिनों से ही इनका रुझान राजनीति में रहा इसलिए उसी समय से ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता भी रहे। उसी समय में इनकी नेतृत्व शक्ति को धार मिली और ये छात्र संघ के अध्यक्ष के रुप में सामने आए। अरुण जी इस दौरान 19 महीनों के लिए जेल भी गए।

अपने करियर में स्थापित हो भी न पाए थे कि अरुण का विवाह कश्मीर की संगीता डोगरा से हुआ। जल्द ही अरुण के घर में रोहन और सोनाली नाम के दो फूल घर-आंगन को महकाने लगे। जिम्मेदारियां चाहे पारिवारिक हों, सामाजिक हों, देश या समाज से जुड़ी हों या फिर कार्यक्षेत्र से संबंधित हों सभी को अरुण ने पूरे उत्साह, जोश और चैलेंज को स्वीकार करते हुए निभाया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी अरुण जी ने अपने करियर समय में अनेक कानूनी किताबें भी लिखीं। अनेक उलझे हुए कानूनी मामलों को बखूबी सुलझाया भी। लाल कृष्ण आड़वानी जैसे राजनीति के मील के पत्थरों के कानूनी केस भी लड़े और राजनीति में कदम रखने से पहले कानूनी जामें को अलविदा भी कह दिया। अरुण जी के राजनैतिक वटवृक्ष का बीज तो काॅलेज के दिनों में ही पड़ चुका था। इस वृक्ष को वी. पी. सिंह सरकार के समय में खाद और पानी मिला और यहां से इस वृक्ष ने अपनी जड़ें राजनैतिक मिट्टी में मजबूत कीं। यहां से जो इसका विकास, विस्तार शुरु हुआ तो यह फैलता ही चला गया।


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


बीजेपी सरकार के परचम तले अरुण जी का राजनैतिक करियर परवान चढ़ा। शुरुआत पार्टी के सदस्य से होते हुए प्रवक्ता, मंत्री पद, राज्यसभा सदस्य और 2014 में इन्हें इनका पसंदीदा पद वित्त मंत्री का मिला। यहां से इनकी योग्यता को निखार मिला और इन्होंने मोदी जी के साथ काम करते हुए नोटबंदी पर बड़े कदम उठाए। उनके इस कठोर कदम की हर ओर सराहना हुई। इन्हीं के कार्यकाल में जीएसटी जैसी कर प्रणाली भी भारतीय लोकतंत्र को मिली। इस तरह अरुण जी ने स्वयं को अव्वल दर्जे का वित्त मंत्री सिद्ध कर दिया।

अरुण जी 2009 से 2014 तक विपक्ष के नेता के रुप में रहे और 2014 से 2019 तक पक्ष के नेता रहे। लगभग 5 साल इन्होंने वित्त मंत्री और रक्षा मंत्री की जिम्मेदारियों को जिस तरह निभाया वह अवधि इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हो गई है। अरुण जी का राजनैतिक कार्यकाल छोटा अवश्य रहा परन्तु सराहनीय और अविस्मरणीय भी रहा। कम समय में अनेकानेक उपलब्धियां हासिल करने का श्रेय अरुण जी को जाता है। यह सही है कि अरूण जी को खोना भारतीय राजनीति के वित्त चाणक्य को खोने के समान है, इनकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता। अरुण जी के जीवन की कुछ अनछुए पहलुओं पर आईये एक नजर डालते हैं-

क्रिकेट के प्रति इनकी दीवानगी बहुत थी और वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर बेहद पसंद थे, इसी के चलते इन्होंने दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन और बीसीसीआई को भी अपनी सेवाएं दीं। यह इनकी रुचि और पसंद की इंतिहां थी। अटल जी इनके पसंदीदा राजनेता थे और बोफोर्स स्कैंडल जांच कार्य के पेपर इन्होंने अपने हाथों तैयार किए। और एक रोचक बात कि इन्होंने अपने राजनैतिक करियर में कभी भी लोकसभा का चुनाव नहीं जीता। मोदी जी के नारों को पंख देते हुए इन्होंने सबका साथ सबका विकास नाम से पुस्तक भी लिखी, इनके द्वारा लिखी गई अनेक पुस्तकों में से यह एक खास पुस्तक है।

अरुण जी को इतनी सफलता, प्रेम और शोहरत मिली, जल्द चले भी गए, आखिर कौन से कारण थे कि यह सब हुआ। इसके लिए आईये इनकी कुंडली का अध्ययन करते हैं-

जन्म समय के अभाव में हम इनकी चंद्र कुंडली का अध्ययन कर रहे हैं-

अरुण जी का चंद्र लग्न वृषभ है। वृषभ जन्मराशि ने इन्हें अपने इरादों पर अटल रहने की प्रवृत्ति दी। इनका जन्म सूर्य के कृत्तिका नक्षत्र में हुआ। इसलिए ही इनके मुख पर सूर्य का तेज और आत्मविश्वास सदैव देखा गया। जन्म नक्षत्र का ही प्रभाव था कि ये अत्यंत बुद्धिमान, अच्छे सलाहकार, आशावादी, कठिन परिश्रमी तथा अपने लक्ष्यों के लिए हठी भी रहे। शुक्र की राशि होने के कारण ही उन्हें अच्छा खाने का शौक था और अच्छी चीज के शौकीन थे। वचन के पक्के, समाज सेवी थे। येन-केन-प्रकारेण अर्थ और यश पाने का प्रयास कभी नहीं किया। गलत तरीकों से सफलता अर्जित करने की कोशिश भी कभी नहीं की। किसी की दया के पात्र बनने रहना इन्हें कभी अच्छा नहीं लगा। परिस्थिति के हिसाब से अपने को बदल लेने का सराहनीय गुण इनमें रहा। अत्यधिक ईमानदारी इनके लिए परेशानी का कारण भी बनी होगी।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


जन्मपत्री के पराक्रम भाव में कर्क का केतु इन्हें अतिरिक्त साहस दे रहा है क्योंकि ज्योतिष शास्त्रों में मंगल को केतु के समान कहा गया है। कर्मेश और नवमेश शनि का उच्चस्थ होकर छठे भाव में होना इन्हें वकालत और कानूनी मामलों का जानकार बना रहा है। सप्तम भाव में द्वितीयेश बुध की उपस्थिति ने इन्हें ओजपूर्ण वाणी और कुशल वक्ता के गुण दिए। आत्मशक्ति का कारक ग्रह सूर्य इनके अष्टम भाव में है। इससे रोगों से लड़ने की शक्ति बाधित होती है। नवम भाव में राहु और शुक्र की युति शनि की मकर राशि में हैं और मंगल अपनी उच्च राशि से निकलकर कुम्भ राशि के प्रारम्भिक अंशों के साथ कर्म भाव में स्थित है और आयेश गुरु मंगल की राशि मेष में द्वादश भाव में स्थित है।

जन्मपत्री की यह विशेषता है कि यहां भाग्येश शनि और षष्ठेश शुक्र में राशि परिवर्तन योग बन रहा है जो इनके वकालत के कार्यक्षेत्र को पिता का कार्यक्षेत्र भी होने का संकेत दे रहे हैं। छठा भाव कोर्ट कचहरी और अदालती मामलों का है। यहां कर्मेश उच्चस्थ हों और शनि हों तो व्यक्ति उत्तम स्तर का वकील होता है, शनि का सप्तम दृष्टि से द्वादश भावस्थ लाभेश गुरु को प्रभावित करना इन्हें उच्च कोटि का वित्त विशेषज्ञ बना रहा है।

अरुण जेटली को यूं तो जीवन में छोटे-बड़े कई रोगों का सामना करना पड़ा। 2018 के मध्य में इनकी किडनी का प्रत्यारोपण भी हुआ। वहां से राहत मिली तो इन्हें कैंसर रोग ने घेर लिया, मधुमेह रोग और अनेक रोगों ने अंततः इनकी जान ले ली। अरुण जी एक सूर्य थे जिन्हें कैंसर नाम के ग्रहण ने अस्त कर दिया। एक के बाद एक अनेक रोग अरुण जी को लगे हुए थे, मृत्यु से पूर्व हार्ट अटैक होने की पुष्टि भी चिकित्सकों ने की। फिर भी इनकी मृत्यु का मुख्य कारण कैंसर ही रहा।

ज्योतिष में इसका कारक राहु ग्रह को माना जाता है। यदि राहु कर्क राशि में स्थित हो या कर्क राशि को पीड़ित करे अथवा कर्क राशि में हो और पाप कर्तरी योग में स्थित हो तो व्यक्ति को सामान्यतः कैंसर रोग होने की संभावनाएं बनती हैं। लेकिन शनि व मंगल भी यह रोग देते हैं। ज्योतिष में छठे भाव के स्वामी को रोग का स्वामी कहा जाता हैं। इन दोनों का संबंध होने पर रोग अवश्य होता है और इनका संबंध राहु से हो रहा हो तब कैंसर जैसे असाध्य रोग होते हैं।

इनकी जन्मपत्री में राशीश और रोगेश दोनों शुक्र हैं और वह राहु के साथ युति में होने के फलस्वरुप पीड़ित हैं। सूर्य भी पीड़ित अवस्था में है। कर्क राशि और कर्क राशि के स्वामी चंद्र पर कई अशुभ एवं पापी ग्रहों का प्रभाव होने के कारण असाध्य रोग हुए और अष्टमेश गुरु का द्वादश में जाना और अष्टम भाव का अपने भावेश गुरु से दृष्ट होना, लम्बे रोगों के कारण मृत्यु की वजह बना। मृत्यु के समय गुरु अष्टमेश इनके सप्तम भाव पर गोचर कर रहे थे और अष्टम भाव पर शनि का गोचर था। शनि की ढैय्या भी इनकी जन्मराशि पर 2017 से प्रभावी थी, एवं राहु का गोचर इनकी जन्मराशि पर था। जन्मराशि पर अतिरिक्त पाप आने से इन्हें इस जीवन से मुक्ति मिली। अरूण जी का असमय चले जाना प्रत्येक भारतीय की आंखों में अश्रु दे गया। वित्त चाणक्य को हम सभी की भावपूर्ण श्रद्धांजलि !



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.