फिल्म संजू ने बाॅक्स आॅफिस के कई रिकार्ड तोड़ दिये हैं। करोड़ों रुपयों की कमाई करके बॉलीवुड हिस्ट्री में अपना नाम दर्ज कराने वाली फिल्म ‘संजू’ ने कई रिकॉर्ड्स बना लिये हैं। क्या यह फिल्म संजय दत्त का भाग्य बदल पायेगी? जानने के लिए पढ़ें यह आलेख ...
संजू फिल्म के साथ ही संजय दत्त एक बार फिर से वाहवाही लूट रहे हैं। इस फिल्म ने चंद दिनों में ही सफलता के नए कीर्तिमान कायम कर दिए हैं। हमेशा से विवादों में रहे संजय दत्त की जीवनी पर बनी इस फिल्म को देखने के लिए सभी उत्सुक हैं। सिनेमा घरों में इनके फैंस और आलोचकों दोनों की भीड़ उमड़ रही है। संजू के किरदार को अभिनय का जामा रणबीर कपूर ने पहनाया है। इस फिल्म के साथ ही रणबीर कपूर भी एक लम्बे समय के बाद अपने अभिनय के लिए सराहना बटोर रहे हैं। इस फिल्म के साथ ही रणबीर कपूर के करियर को नए पंख मिल गए हैं। टीवी हो, अखबार हो या अन्य कोई मीडिया साधन सब जगह इस फिल्म की सफलता की बात हो रही है। सलमान खान, अक्षय कुमार की फिल्मों के रिकार्ड्स को भी पीछे छोड़ने वाली यह फिल्म संजू संजय दत्त के जीवन और रणबीर कपूर दोनों के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है। वत्र्तमान में यह फिल्म रिकार्ड तोड़ कमाई का जरिया बनी हुई है। रातोंरात फिल्म को मिली सफलता को देखकर लग रहा है कि इस फिल्म का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था और सिनेमाघरों में आते ही फिल्म को सभी ने हाथों हाथ लिया है। फिल्म के फिल्मांकन और रणबीर कपूर दोनों ने लोगों का दिल जीत लिया है। कुछ ही दिनों में इस फिल्म ने बाॅक्स आॅफिस के कई रिकार्ड तोड़ दिये हैं। करोड़ों रुपयों की कमाई करके बॉलीवुड हिस्ट्री में अपना नाम दर्ज करने वाली फिल्म ‘संजू’ ने कई रिकॉर्ड्स बना लिये हैं। हर कोई यह जानना चाहता है कि इस फिल्म की कहानी क्या है। संजय दत्त की जीवन गाथा किसी फिल्म की कहानी से कम रोचक और उतार-चढ़ावयुक्त नहीं रही है। आईये इस आलेख के माध्यम से संजय दत्त से रुबरु होने की कोशिश करते हैं-
अपने समय के मशहूर अभिनेता सुनील दत्त और अपने गंभीर अभिनय के लिए जानी जाने वाली नरगिस के यहां संजय दत्त का जन्म हुआ। इनके माता-पिता दोनों फिल्म जगत में कार्यरत रहे थे, ऐसे में यह स्वाभाविक था कि इनका कर्मक्षेत्र भी फिल्म जगत से जुड़ा हुआ हो। 29 जुलाई 1959 को जब इनका जन्म हुआ तो कोई नहीं जानता था कि माता-पिता के लाडले संजू का जीवन इतना विवादित रहेगा।
संजय दत्त मां और पिता दोनों की आंखों के तारे थे। माता नरगिस की सेहत ठीक नहीं रहती थी पर नरगिस जी को जितना भी समय मिलता वो संजय के साथ वक्त गुजारना पसंद करतीं।
संजय दत्त की शुरुआती शिक्षा कसौली शहर के निकट लाॅरेंस स्कूल सनावर में हुई। संजय मात्र 22 साल के थे जब माता नरगिस दत्त की कैंसर से पीड़ित होने की वजह से मृत्यु हो गई। मां के जाने के सद्मे से संजय दत्त अभी बाहर भी नहीं आए थे कि इन्हें गैरकानूनी तरीके से नशीले पदार्थ रखने के आरोप में 5 माह की सजा भुगतनी पड़ी।
जिस समय संजय पर यह पहाड़ टूटा उस समय संजय पूरी तरह से नशीले पदार्थ के शिकंजे में आ चुके थे। संजय दत्त को हर तरह का नशा करने की आदत पड़ चुकी थी। स्थिति यहां तक गंभीर थी कि नशीले पदार्थों का प्रभाव इनके फेफड़ों पर भी पड़ चुका था। ऐसे मुश्किल समय में संजय को पिता का भरपूर साथ मिला। सही मार्गदर्शन, स्नेह और सहयोग से संजय दत्त नशे की गिरफ्त से बाहर आए।
संजय दत्त की पहली शादी ऋचा शर्मा से हुई। ऋचा भाग्यवश इनका साथ अधिक लम्बे समय तक नहीं निभा सकी। इनकी गोद में बेटी त्रिशाला को छोड़ वो ब्रेन ट्यूमर से जूझते हुए इस दुनिया से विदा हो गईं। एक के बाद एक जिंदगी इनके साथ खेल खेलती रही और हर बार टूटने के बाद संजय खुद को संभालकर खड़े होते रहे।
1998 में संजय रिया पिल्लई के साथ अपने प्रेम संबंधों को आगे बढ़ाते हुए इनके साथ विवाह सूत्र में बंध गए। लेकिन दोनों के आपसी अविश्वास, शक और तनाव ने इनके विवाह को तलाक का रुप दे दिया। संजय एक बार फिर से अकेले हो गए थे। बेटी त्रिशाला अमेरिका में अपने नाना-नानी के साथ पल रही थी। आज भी जीवन के हर मोड़ पर मान्यता इनके साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए साथ खड़ी नजर आती हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि संजय दत्त का साथ जिस तरह से एक समय में इनकी मां नरगिस ने दिया था आज उसी तरह से मान्यता इनका साथ दे रही हैं।
संजय दत्त ने अपने करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रुप में की। इनके करियर ने राॅकी फिल्म से रफ्तार पकड़ी। मदर इंडिया का बिरजू, खलनायक का बल्लू और मुन्ना भाई का मुन्ना इसी तरह के जीवंत अभिनय के सितारों से संजय दत्त के करियर का गुलदस्ता सजा है। एक के बाद एक इन्होंने अनेक सफल फिल्में दीं। परन्तु ट्रैजडी यह रही कि हर एक सफलता के बाद इन्हें किसी न किसी विवाद का सामना करना पड़ा।
कोर्ट केस, सजा और कारावास की छाया ने इनके करियर के चढ़ते सूरज को ग्रहण लगा दिया। हर एक सफलता पर संजय दत्त ऊंचाई की एक सीढ़ी चढ़ते और विवादों के कारण फिसल जाते। कभी मां का देहांत, कभी सद्मा और कभी ड्रग्स, कभी मुंबई में 1993 में टाडा बम विस्फोट इनके लिए कष्ट का कारण बनता रहा। पर जिस तरह से संजय दत्त हर एक परेशानी से बाहर आकर खुद को साबित करते हैं यह काबिल-ए-तारीफ है।
अपनी पारिवारिक और बाहरी कठिनाइयों के बावजूद संजय दत्त हमेशा बॉक्स ऑफिस पर अपना धमाल मचाते रहे हैं और एक बार फिर से इनकी जीवनी पर बनी फिल्म संजू सिनेमा हाॅल में धमाल मचा रही है-
कुछ ही दिनों में इनकी वर्तमान फिल्म ‘संजू’ ने बाॅक्स आॅफिस के कई रिकार्ड तोड़ दिये हैं। करोड़ों रुपयों की कमाई करके बॉलीवुड हिस्ट्री में अपना नाम दर्ज कराने वाली फिल्म ‘संजू’ ने कई रिकॉर्ड्स बना लिये हैं।
आने वाले समय में संजय दत्त का करियर कैसा रहने वाला है इसका विश्लेषण इनकी जन्मकुंडली से करते हैं-
संजय दत्त की कुंडली का विश्लेषण
संजय दत्त की कुंडली वृश्चिक लग्न और वृषभ राशि की है। वर्तमान में इनकी कुंडली में शनि महादशा में बुध की अंतर्दशा प्रभावी है। जन्मपत्री में लग्नेश मंगल सप्तमेश शुक्र के साथ कर्म भाव में युति संबंध में हैं। लग्नेश दशम भाव में हों तो व्यक्ति अपने बलबूते पर सफलता अर्जित करता है। जन्मपत्री में भाग्येश चंद्रमा सबसे अधिक मजबूत स्थिति में है। पाराशरी सिद्धांत यह कहता है कि नवम भाव में यदि सूर्य-बुध साथ हों तो जातक के पिता की आयु में कमी होती है। इसी योग के चलते इन्हें अपने पिता का साथ लम्बे समय तक नहीं मिल सका। पंचम भाव पर केतु की स्थिति और पंचमेश का द्वादश भाव में होना प्रेम संबंधों में भावनाओं को आहत करता है। सप्तम भाव में चंद्र की स्थिति वैवाहिक जीवन में तनाव और असफलता दर्शाती है। सप्तमेश शुक्र भी मंगल के साथ है। इन दोनों ग्रहों का एक साथ होना, पारिवारिक जीवन में परेशानियों का कारण बनता है। चतुर्थ भाव पर वक्री शनि और मंगल की दृष्टि के फलस्वरुप इनके जीवन में सुख-शांति और सुकून का अभाव रहा। फलित ज्योतिष का एक अन्य सिद्धांत यह कहता है कि अष्टमेश का नवम भाव में होना व्यक्ति को विवादों में घेरे रखता है।
आय भाव में राहु की स्थिति और आयेश का नवम में कर्मेश और अष्टमेश के साथ होना सफलता, उन्नति के साथ-साथ विवाद अवश्य देता है। इस समय इनकी जन्मराशि पर शनि की अष्टम ढैय्या चल रही है। यह प्रभाव 2020 के आरम्भ तक रहेगा, अंतर्दशानाथ बुध का सीधा संबंध एकादश भाव से है। अतः यह समय इनके लिए उन्नतिकारक, सफलतादायक और जीवन में प्रसिद्धि देने वाला रहेगा। बुध की अंतर्दशा 2019 के अंत तक रहेगी, इसके बाद केतु का अंतर आएगा जो फिर से मानसिक तनाव और परेशानियों का कारण बनेगा।
जन्मपत्री में बनी ग्रह स्थिति और युति के साथ-साथ जन्मपत्री के योगों की भूमिका भी जीवन की घटनाओं को नियंत्रित करने में कम नहीं रहती हैं। जहां इनकी कुंडली में शकट, अमल और गौरी जैसे योग बने हुए हैं वहीं वेशी, केमद्रुम और उभयचारी योग भी हैं। इन सभी योगों ने इनके जीवन को शक्ति दी और विवादों के साथ ही उन्नति हासिल करने का अवसर दिया। यह माना जाता है कि यदि जन्मपत्री में कोई तीन ग्रह उच्च, मूलत्रिकोण या स्वराशिस्थ हों तो जातक को उन्नति, शोहरत और सफलता सभी मिलती है। संजय दत्त की कुंडली में उच्चस्थ चंद्रमा, राहु और केतु दोनों अपनी मूल त्रिकोण राशि में हैं। इस प्रकार इन योगों ने संजय दत्त की जीवनगाथा को खास बनाया।
वत्र्तमान ग्रह गोचर
इस समय जन्म शनि पर से गोचर का शनि विचरण कर रहा है, जहां से शनि इनके चतुर्थ, अष्टम और एकादश भाव को दृष्टि संबंध देकर सक्रिय कर रहे हैं। शनि का दोहरा गोचर जीवन में घटित होने वाली खास सफलता का स्वाद चखाता है। महादशानाथ भी शनि है और ढैय्या भी है। इसके अलावा जन्मपत्री के आय भाव में स्थित राहु का गोचर वर्तमान में इनके नवम भाव पर हो रहा है। आय और उन्नति के पक्ष से राहु का यह गोचर अनुकूल है और खास बात यह है कि जन्म गुरु पर गोचर गुरु का डबल गोचर हो रहा हैं। गुरु और शनि दोनों अपना दोहरा गोचर देकर इनकी प्रसिद्धि के योग बना रहे हैं।