चंदावती देवी, नैना देवी और मायावती नाम अनेक लेकिन व्यक्तित्व एक हैं। समर्थकों में मायावती बहन जी के नाम से मशहूर रही सुश्री मायावती जी 1995 से लेकर आज तक भारतीय राजनीति का एक जाना-माना चेहरा रही हैं। मायावती जी को दलित वर्ग की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। वर्तमान में मायावती जी बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा हैं। भारतीय राजनीति में सफल कुछ चुनिंदा महिलाओं में इनका नाम अग्रणी है। दबे-कुचले और कमजोर वर्ग के लोगों की मदद करने, अपराध मुक्त शासन देने तथा संपूर्ण समाज की भलाई करने के संकल्प के साथ अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत करने वाली बसपा अध्यक्ष सुश्री मायावती जी चार बार उत्तर प्रदेश के शासन की बागडोर संभाल चुकी हैं। 1995 में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री पद पर ये नियुक्त हुईं तो भारत की राजनीति में एक बड़ी हलचल का कारण बनी।
गरीब और पिछड़ी जाति के परिवार की एक अंतर्मुखी लड़की के लिए विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े राज्य की मुख्यमंत्री बनने तक का सफर तय करना सहज नहीं था। इनकी माता रामवती स्वयं अनपढ़ थीं, फिर भी अपने बच्चों को शिक्षित और योग्य बनाने में उन्होंने कोई कमी नहीं की। पिता प्रभुदयाल जी डाक-तार विभाग में एक वरिष्ठ लिपिक पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
मायावती जी ने एल. एल. बी और बी. एड की शिक्षा दिल्ली राज्य से पूरी की। अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए सुश्री मायावती जी अभी भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर ही रही थीं, कि इनके जीवन में एक बदलाव आया और इन्होंने शिक्षिका के रुप में कार्य करना शुरु कर दिया। साल 1977 इनके जीवन का फिर एक सबसे बड़ा टर्निंग पाईंट साबित हुआ और इनकी विचारधारा कांशीराम जी की विचारधारा से प्रभावित होने लगी। इसी के चलते इन्होंने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा। माना जाता है कि मायावती जी को राजनीति में लाने का कार्य कांशीराम जी ने ही किया। पिता संकुचित विचारधारा के चलते अपनी बेटी के राजनीति में आने से बिल्कुल खुश नहीं थे। यहां से पिता और बेटी की विचारधाराएं दो अलग-अलग भागों में विभाजित हो गईं। 1977 से लेकर आज तक कुछेक अवसरों को छोड़ दें तो मायावती जी का राजनैतिक करियर प्रारम्भ में संघर्ष भरा रहा परन्तु एक बार जो सफलता ने इनके कदम चूमे तो फिर इन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 1995 से 2007 तक लगातार 4 बार वे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री चुनी गयीं जो निश्चित रूप से किसी भी राजनेता के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।
2012 से लेकर 2018 के मध्य तक का सफर इनके लिए अवश्य अनुकूल नहीं रहा। परंतु समय के साथ मायावती दलित वर्ग की पहचान बन चुकी हैं। अपने राजनैतिक कार्यकाल की अवधि के दौरान मायावती ने दलितों के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए।
चुनावी टिकट के लिए धन लेने, पार्टी के मंत्रियों के गलत ढंग से धन लेने और विशालकाय मूर्तियों पर धन का व्यय करने जैसे विवादों के कारण इनकी गरिमा धूमिल भी हुई। इनकी पार्टी के सत्ता में न आने का एक कारण इनके शासन का निरंकुश होना भी रहा।
सुश्री मायावती ने अपना जीवन एक सामान्य दलित परिवार से शुरु किया था, आज ये दलित वर्ग की राजनीति का चमकता सितारा कही जा सकती हैं। यह मुकाम इन्होंने अपनी मेहनत, कर्मठता और अपने लक्ष्यों के प्रति डटे रहने पर ही प्राप्त किया है। ये दलित वर्ग की सबसे बड़ी सशक्त नेता हैं तभी तो इनके समर्थकों ने भी आवश्यकता पड़ने पर अपना सहयोग इन्हें सदैव दिया है। दलित वर्ग का विश्वास सदा इनके साथ रहा है, दलितों के दिल में इन्होंने अपने लिए एक खास स्थान बना लिया है। आईये देखें कि इनकी कुंडली 2019 के प्रधानमंत्री पद की मुख्य दावेदार के रुप में क्या कहती है-
जन्म कुंडली विश्लेषण
सुश्री मायावती का जन्म कर्क लग्न एवं मकर राशि में हुआ। जन्म कुंडली में राज्येश एवं पंचमेश मंगल व सप्तमेश शनि का पंचम भाव में युति संबंध पाराशरी राजयोग है, जो क्रूर ग्रह मंगल व शनि से बना है तथा इनके साथ राहु का संयुक्त होना उन्हें दलितों का प्रबल सहयोग मिलने का संकेत देता है। नवग्रहों में शनि दलित वर्ग के कारक ग्रह हैं, शनि की दशमेश के साथ युति व्यक्ति का कार्यक्षेत्र दलित वर्ग से बना रही है। जन्मपत्री में सूर्य वर्गोत्तम है। शासन चलाने के लिए सूर्य एवं मंगल का बलवान होना जरूरी होता है। चलित कुंडली में सूर्य व बुध सप्तम केंद्र स्थान में स्थित हैं। शनि का केंद्रेश होकर त्रिकोण भाव में योगकारक मंगल के साथ योग में होना इनके करियर के लिए शुभफलदायक साबित हुआ।
आयेश शुक्र का अष्टम भाव में होना इनके घोषित एवं अघोषित दोनों तरह की संपत्ति का स्वामी होने का सूचक है। आय भाव में स्थित केतु बल देने के साथ-साथ मनोबल भी दे रहा है क्योंकि यहां केतु मंगल के मृगशिरा नक्षत्र में स्थित है। आय भाव को यदि एक से अधिक ग्रह देखते हों या आय भाव में स्थित हों तो व्यक्ति बहुत अधिक महत्वाकांक्षी बनाता है। कुंडली में मंगल, शनि और राहु आय भाव को देख रहे हैं तथा केतु स्वयं वहां स्थित है। यह भाव समर्थकों का भी है, सामाजिक छवि के लिए चतुर्थ भाव और चतुर्थेश की स्थिति का विचार किया जाता है। चतुर्थेश अष्टम भाव अर्थात बाधाओं के भाव में है इसलिए विवादों की स्थिति भी इनके साथ बनी रही। इनका पंचम और सप्तम भाव दोनों बहुत अधिक पीड़ित है, सप्तम भाव में सूर्य और चंद्र के एक साथ होने के कारण वैवाहिक जीवन का सुख इन्हें नहीं मिल पाया।
सुश्री मायावती जी की कुंडली में आयेश की दशा विशेष शुभफलदायक रहेगी। शनि की साढ़ेसाती इन्हें विरोधी दल के सर्वोच्च नेता के रुप में स्थापित करने का कार्य कर सकती है। इसके साथ ही इनके भाग्येश गुरु भी अक्तूबर 2018 से इनकी जन्मराशि से एकादश भाव पर गोचर करने लगेंगे। लग्न से पंचम भाव पर गुरु का गोचर होने के कारण भाग्य भाव, आय भाव और लग्न भाव सभी एक साथ सक्रिय हो जायेंगे। इस समय राहु का गोचर इनके जन्मलग्न पर ही चल रहा है। मार्च 2019 से राहु द्वादश भाव में गोचर कर चतुर्थ भाव और अष्टम भाव दोनों को गति देंगे। इस समय में इन्हें मनोनुकूल गद्दी और छुपे हुए लाभ प्राप्त होने के संकेत मिल रहे हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि वर्तमान दशा शुभ है और गोचर इन्हें पूर्ण रुप से अपना सहयोग दे रहा है।
मायावती की कुंडली में शनि की महादशा में मंगल की अंतर्दशा 11-2006 से 1-2008 तक चली। यह अवधि उनके लिए उत्तम रही। उनकी कुंडली में शनि योगकारक नहीं है परंतु अपने ही नक्षत्र में वृश्चिक राशि में मंगल के साथ स्थित है। शनि की महादशा मई 1994 में शुरू हुई। शनि ने काफी उतार-चढ़ाव दिखाए और उसकी महादशा 2012 तक विशेष शुभ रही। वर्तमान में बुध महादशा में आयेश शुक्र की दशा प्रभावी है। यह अंतर्दशा अगस्त 2019 तक रहेगी। इसके बाद आने वाली अंतर्दशाएं सूर्य, चंद्र, मंगल और राहु की रहेंगी। ये सभी दशाएं इनके लिए शुभ फलदायक साबित होने वाली हैं। इस समय इन पर शनि साढ़ेसाती का प्रथम चरण चल रहा है। शनि साढ़ेसाती आने वाले पांच साल तक रहेगी और आने वाले चुनाव की अवधि में इन्हें शनि साढ़ेसाती के प्रभाव में ही रहना होगा।
दलित उत्थान की जो परिपाटी मायावती ने रखी है उसमें इन्होंने कांशीराम और अम्बेडकर के मूल विचार को प्रकट किया है। आने वाले समय में मायावती सिर्फ दलितों को ही नहीं वरन् सभी जातियों को राजनैतिक प्रश्रय देकर आने वाले समय में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकती हैं।
जीवन घटनाक्रम
1977: शिक्षिका के रूप में करियर की शुरुआत।
1984: शिक्षिका की नौकरी छोड़ कर बसपा में प्रवेश और अपने पहले लोक सभा चुनाव अभियान का प्रारंभ।
1989: लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 13 सीटों पर जीत हासिल की।
1995: उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गईं।
1997: दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में चुनी गईं।
2001: कांशीराम की उत्तराधिकारी घोषित की गईं।
2002: एक बार फिर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं।
2007: चैथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री नियुक्त हुईं।