वास्तु दोष निवारण के सरल उपाय
वास्तु दोष निवारण के सरल उपाय

वास्तु दोष निवारण के सरल उपाय  

फ्यूचर पाॅइन्ट
व्यूस : 40492 | अकतूबर 2010

वास्तु दोषों के जो कष्ट बताए गये हैं, उन कष्टों से बचने के लिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि वे वास्तु दोष उपस्थित न हों। कभी भी जानबूझ कर कोई वास्तु विरुद्ध कार्य न करें। यह न सोचें कि इसको बाद में उपायों द्वारा दूर कर लेंगे। अंग्रेजी में एक कहावत है कि च्तमअमदजपवद पे इमजजमत जींद बनतमण् प्रतीकात्मक संबंधी दोषों को तो तुरंत प्रभाव से ठीक कर लेना चाहिए।

जैसे ठीक दिशा में सिर करके सोना, खाना-पीना, अध्ययन करना, धन रखना व सफाई कराना आदि। भूमि के ढलान संबंधी दोषों व विस्तार कटाव संबंधी दोषों को निर्माण के समय ही ठीक करवा लेना चाहिए। भूमि में आकार संबंधी दोष होने पर वहां निर्माण के लिए आयताकार भूखंड को इस्तेमाल करके बाकी जगह को दीवार डालकर अलग कर दें और वहां बगीचे या आंगन आदि के लिए जगह छोड़ दें। कुछ वास्तुशास्त्री ऐसी जगह को ठीक करने के लिए भूमि में पिरामिडों को दबाते हुए पिरामिड दीवार बनाने की सलाह देते हैं।

भूमि शल्य दोष होने पर उस भूमि की 6 फुट तक की मिट्टी को बाहर फिंकवाकर नई मिट्टी भरने के लिए कहा जाता है। नैत्य कोण में लकड़ी के पिरामिड के नीचे बैठने से कई प्रकार के रोग बिना दवा के ठीक हो जाते हैं। ईशान कोण में लकड़ी के पिरामिड के नीचे बैठने से पूजा-पाठ में व्यक्ति का मन लगता है। ऑफिस में लकड़ी के पिरामिड के नीचे बैठने से थकावट नहीं होती व कार्य में मन लगता है। साथ में ऊंची इमारत होने पर अपने मकान की छत पर इस प्रकार से ध्वजा लगाएं कि डंडा दूसरे की छत से ऊंचा हो।

ब्रह्म स्थान में कभी भी जूठे बर्तन, अपवित्र वस्तुएं आदि न रखें। साथ के साथ सफाई करा दें। पूर्व दिशा में दोष होने पर सूर्य यंत्र की स्थापना करें। सूर्य देव को जल चढ़ाएं। गेहूं, गुड़ और तांबे का दान करें। पश्चिम दिशा में दोष होने पर शनि यंत्र की स्थापना करें। शनिवार के व्रत करें। मांस व शराब का सेवन न करें। भैरों की उपासना करें। उत्तर दिशा में दोष होने पर बुध यंत्र व कुबेर यंत्र की स्थापना करें। मां दुर्गा की उपासना करें। दक्षिण दिशा में दोष होने पर मंगल यंत्र की स्थाना करें।

हनुमान जी की पूजा करें। ईशान कोण में दोष होने पर गुरु यंत्र की स्थापना करें। गुरुओं और ब्राह्मणों की पूजा करें। धार्मिक पुस्तकों का दान करें। शिव उपासना करें। रुद्राक्ष धारण करें। आग्नेय कोण में दोष होने पर चांदी का श्री यंत्र स्थापित करें। शुक्र यंत्र की पूजा करें। नैत्य कोण में दोष होने पर राहु यंत्र स्थापित करें। सरस्वती व गणेश जी की पूजा करें। वायव्य कोण में दोष होने पर चंद्र यंत्र स्थापित करें। शिव आराधना करें। चांदी, चावल व दूध का दान करें। गंगा स्नान करें।

मुखय द्वार के ऊपर, अंदर व बाहर गणेश जी प्रतिष्ठित करने से कष्टों का निवारण होता है। द्वार के ऊपर घोड़े की नाल न् आकार में लगाने से द्वार संबंधी दोष समाप्त होते हैं। भूत-प्रेत, जादू-टोना आदि से रक्षा होती है। सुख और सौभाग्य की वृद्धि होती है। विवादों व मुकदमों से संबंधित कागजात कभी आग्नेय कोण में न रखें। घर में बंद पड़ी घड़ियों को ठीक कराएं। घड़ियों को उत्तर या पूर्व दिशा की दीवार पर लगाएं। ईशान कोण में शौचालय होने पर उसे इस्तेमाल न करके स्नान घर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। दिशा में उचित रंगों का प्रयोग करके भी वास्तु दोष को कम किया जा सकता है।

पिरामिड, मांगलिक वस्तुएं, स्वस्तिक, ओउम्, पंचअंगुल : किसी भी साधना में ध्यान को एकाग्रचित्त करने के लिए पिरामिड का प्रयोग किया जाता है। अंदर से खोखला होने के कारण शुद्ध वायु का ेअपने अंदर एकत्रित रखता है, जिससे मनोकामना की पूर्ति एवं तंत्र इत्यादि में धातु व पत्थर के पिरामिड इस्तेमाल किए जाते हैं। तांबा, पीतल एवं पंचधातु के पिरामिड अधिक लाभ देते हैं। लोहे के पिरामिड व एल्युमिनियम के पिरामिड पूजा में मान्य नहीं हैं। विभिन्न प्रकार के वासतु दोषों में इनका प्रयोग किया जाता है। किसी दिशा विशेष में दोष होने पर उस दिशा में ऊर्जा का बढ़ाने के लिए इसे रखा जाता है। लकड़ी के पिरामिड भी काफी प्रभावी रहते हैं।

मांगलिक वस्तुएं : पूजा घर में गंगा जल, पूर्ण घड़ा रखकर उस परा आम के पत्ते, नारियल व चांदी का सिक्का रखने से घर सदा धन धन्य से भरपूर रहता है।

स्वस्तिक : स्वस्तिक भवन के मुखय द्वार के ऊपर स्वस्तिक का शुभचिह्न बनाने से सभी कष्टों का निवारण होता है। गणेश जी के साथ-साथ लक्ष्मी जी की भी कृपा प्राप्त होती है। 6ष्ग6ष् आकार का लाल सिंदूर से बना स्वस्तिक का चिह्न अति शुभ माना गया है। आजकल प्लास्टिक व पीतल के पिरामिड युक्त स्वास्तिक चिह्नों का प्रचलन भी बढ़ा रहा है। जिस स्थान पर भी वास्तुदोष हो वहां पर भी स्वस्तिक चिह्न लगाए जाते हैं। लाल रंग मंगल का प्रतीक है। मंगल अर्थात शुभ करने वाला है। द्वार संबंधी दोषों को दूर करने के लिए अति प्रभावी है।

ओम् : ऊँ के उच्चारण व दर्शन मात्र से कई रोगों में लाभ होता है। कई तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। घर के मुखय द्वार के ऊपर, दुकान व कार्यालय के द्वार के ऊपर व पूजा स्थान आदि पर लगाने से बहुत लाभ होता है। हिंदुओं के घरों के ऊपर ऊँ, सिक्खों के घरों के ऊपर (एक ओंकार), ईसाईयों के घरों के ऊपर क्रॉस व मुसलमानों के घरों के ऊपर (चांद-सितारे) का चिह्न लगाने की प्रथा बहुत पुरानी है।

पंच अंगुल : चार अंगुलियां व अंगूठा पंच तत्वों के प्रतीक है। साथ में स्वस्तिक व ओउम् मिलने से अति मंगलकारी हो गया है। जैनियों का यह प्रतीक चिह्न है। परमार्थ भावना से सद्कर्मों के द्वारा रिद्धि-सिद्धि दिलवाने वाला यह चिह्न सारे जग में निराला है।

श्री कृष्ण का चित्र लगाएं चिंता मुक्त रहें : श्री कृष्ण भगवान का चित्र जिसम उनके पीछे गाय भी हो और वे बांसुरी बजा रहे हों, ऐसा चित्र लगाने से व्यक्ति चिंतामुक्त होकर सुख शांति से रहता है।

जीवन में जरूरत है ज्योतिषीय मार्गदर्शन की? अभी बात करें फ्यूचर पॉइंट ज्योतिषियों से!



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.