कुंडली में ऐसे बनता है अशुभ अंगारक योग, इससे आती हैं परेशानियां कुंडली में कई योग ऐसे हैं, जिन्हें अशुभ माना जाता है। ऐसा ही एक अशुभ योग है अंगारक योग। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु या केतु के साथ मंगल की युति हो तो अंगारक योग बनता है। अंगारक योग का असर जिस व्यक्ति की कुंडली में अंगारक योग बनता है, उसकी सोच नकारात्मक होती है। इस योग के कारण जातक भाइयों, मित्रों तथा अन्य रिश्तेदारों के साथ अच्छे संबंध नहीं रख पाता है। राहु के साथ मंगल हो तो यदि राहु के साथ मंगल का योग किसी की कुंडली में होता है तो व्यक्ति अपनी मेहनत से नाम और पैसा कमाता है। ऐसे लोगों के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। यह योग अच्छा और बुरा दोनों तरह का फल देता है।
अंगारक योग के उपाय यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में अंगारक योग हो तो उसे मंगल और राहु-केतु की शांति करवानी चाहिए। साथ ही, अंगारक स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। Kajal Manglik 8923637986 भृगु बिंदु यह एक बहुत ही सेंसिटिव बिंदु है। इसको ज्ञात करने का नियम यह है कि चंद्रमा स्पष्ट और राहु स्पष्ट दोनों को जोड़ने पर प्राप्त राशि अंश कला को 2 से भाग देने पर अब जो राशि अंश कला विकला प्राप्त हुआ है वह भृगु बिंदु है। भृगु बिंदु वास्तव में राहु और चंद्रमा का मिड पॉइंट है। इस बिंदु पर जब गोचर में कोई भी पाप ग्रह या शुभ ग्रह अपनी दृष्टि से या उस पर से गोचर करते हुए आते हैं तब-तब जातक के जीवन में शुभ/ अशुभ फल घटते हैं और शुभ ग्रहों से शुभ फल एवं अशुभ ग्रहों से अशुभ फल घटता है।
यदि हम इस बिंदु को पहले से ही एक जगह नोट कर लें और कौन सा ग्रह कब-कब इस बिंदु पर से तथा इस बिंदु पर दृष्टि के द्वारा संबंध बनाएगा तब-तब फल घटित होगा। जैसे सूर्य, चंद्रमा, शुक्र और बुध ये सभी ग्रह दो बार फल देने की ताकत रखते हैं जैसे एक बार तो इस बिंदु पर से गोचर करते हुए तथा दूसरी बार इस बिंदु को दृष्ट करते हुए। लेकिन चंद्रमा 1 वर्ष में 24 बार फल देने की क्षमता रखता है। उसी प्रकार मंगल, गुरु, शनि ग्रह 4 बार इस बिंदु को प्रभावित करेंगे क्योंकि ये तीनों ग्रह 3 बार दृष्टि के द्वारा एक बार इस बिंदु पर से गोचर करते हुए अपना-अपना फल देंगे। इसमें भी यह ध्यान रखना आवश्यक है कि बृहस्पति 12 वर्ष में चार बार तथा शनि ग्रह 30 वर्षों में 4 बार इस बिंदु को प्रभावित करेगा।
इस प्रकार से जब-जब ये ग्रह इस बिंदु को प्रभावित करेंगे वह समय नोट कर लेना चाहिए और वह ग्रह शुभ है या अशुभ। इस प्रकार से शुभ फल और अशुभ फल का आकलन करना चाहिए। जैसे बृहस्पति ग्रह जब-जब इस बिंदु को प्रभावित करेगा तब-तब परिवार की वृद्धि, धन संपदा की वृद्धि, बच्चों का जन्म, घर में मांगलिक कार्य विवाहादि का फल प्राप्त होता है। Ashok Kumar Sharma 9871923215 कर्म भोग ’एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और एक लड़का था। कुछ सालांे के बाद पत्नी की मृत्यु हो गई। उस समय लड़के की उम्र दस साल थी। किसान ने दूसरी शादी कर ली। उस दूसरी पत्नी से भी किसान को एक पुत्र प्राप्त हुआ। किसान की दूसरी पत्नी की भी कुछ समय बाद मृत्यु हो गई।’ ’किसान का बड़ा बेटा जो पहली पत्नी से प्राप्त हुआ था जब शादी के योग्य हुआ तब किसान ने बड़े बेटे की शादी कर दी। फिर किसान की भी कुछ समय बाद मृत्यु हो गई।
किसान का छोटा बेटा जो दूसरी पत्नी से प्राप्त हुआ था और पहली पत्नी से प्राप्त बड़ा बेटा दोनों साथ-साथ रहते थे। कुछ टाईम बाद किसान के छोटे लड़के की तवीयत खराब रहने लगी। बड़े भाई ने आस-पास के वैद्यों से इलाज करवाया पर कोई राहत न मिली। छोटे भाई की दिन पर दिन तवीयत बिगड़ी जा रही थी और बहुत खर्च भी हो रहा था।’ ’एक दिन बड़े भाई ने अपनी पत्नी से सलाह की कि यदि ये छोटा भाई मर जाए तो हमें इसके इलाज के लिए पैसा खर्च न करना पड़ेगा और जायदाद में आधा हिस्सा भी नहीं देना पड़ेगा। तब उसकी पत्नी ने कहा कि क्यों न किसी वैद्य से बात करके इसे जहर दे दिया जाए, किसी को पता भी नहीं चलेगा, रिश्तेदारी में भी कोई शक नहीं करेगा। लोग सोचेंगे कि बीमार था, बीमारी से मृत्यु हो गई।’ ’बड़े भाई ने ऐसे ही किया। एक वैद्य से बात की कि आप अपनी फीस बताओ, मेरे छोटे बीमार भाई को दवा के बहाने से जहर देना है! वैद्य ने बात मान ली और लड़के को जहर दे दिया और लड़के की मृत्यु हो गई।
उसके भाई भाभी ने खुशी मनाई कि रास्ते का कांटा निकल गया अब सारी सम्पत्ति अपनी हो गई। उसका अंतिम संस्कार कर दिया। कुछ महीने पश्चात उस किसान के बड़े लड़के की पत्नी को लड़का हुआ ! उन पति-पत्नी ने खुब खुशी मनाई,बड़े ही लाड़ प्यार से लड़के की परवरिश की। समय बीतता गया और लड़का जवान हो गया। उन्होंने अपने लड़के की भी शादी कर दी!’ शादी के कुछ समय बाद अचानक लड़का बीमार रहने लगा। माँ-बाप ने उसके इलाज के लिए बहुत वैद्यों से इलाज करवाया। जिसने जितना पैसा मांगा दिया। सब दिया कि लड़का ठीक हो जाए। अपने लड़के के इलाज में अपनी आधी सम्पत्ति तक बेच दी पर लड़का बीमारी के कारण मरने की कगार पर आ गया। शरीर इतना ज्यादा कमजोर हो गया कि अस्थि-पंजर शेष रह गया था।’ एक दिन लड़के को चारपाई पर लिटा रखा था और उसका पिता साथ में बैठा अपने पुत्र की ये दयनीय हालत देख कर दुःखी होकर उसकी ओर देख रहा था! तभी लड़का अपने पिता से बोला कि (भाई) अपना सब हिसाब हो गया बस अब कफन और लकड़ी का हिसाब बाकी है उसकी तैयारी कर लो।
ये सुनकर उसके पिता ने सोचा कि लड़के का दिमाग भी काम नहीं कर रहा है बीमारी के कारण और बोला बेटा मैं तेरा बाप हूँ भाई नहीं! तब लड़का बोला मैं आपका वही भाई हूँ जो आप ने जहर खिलाकर मरवाया था। जिस सम्पत्ति के लिए आप ने मरवाया था मुझे, अब वो मेरे इलाज के लिए आधी बिक चुकी है आपकी शेष है, हमारा हिसाब हो गया ! तब उसका पिता फूट-फूट कर रोते हुए बोला कि मेरा तो कुल नाश हो गया। जो किया मेरे आगे आ गया। पर तेरी पत्नी का क्या दोष है जो इस बेचारी को जिन्दा जलाया जाएगा। (उस समय सती प्रथा थी जिसमें पति के मरने के बाद पत्नी को पति की चिता के साथ जला दिया जाता था) तब वो लड़का बोला कि वो वैद्य कहां है, जिसने मुझे जहर खिलाया था। तब उसके पिता ने कहा कि आपकी मृत्यु के तीन साल बाद वो मर गया था। तब लड़के ने कहा कि वही दुष्ट वैद्य आज मेरी पत्नी रुप में है। मेरे मरने पर इसे जिन्दा जलाया जाएगा। हमारा जीवन जो उतार-चढ़ाव से भरा है इसके पीछे हमारे अपने ही कर्म होते हैं। हम जैसा बोयेंगे, वो ही काटना होगा।
S. P. Gaur 9313033117 अपनी संस्कृति को पहचानें अपने बच्चों को निम्नांकित बातें बताएं क्योंकि ये बात उन्हें कोई दूसरा व्यक्ति नहीं बताएगा... दो पक्ष- कृष्ण पक्ष, शुक्ल पक्ष ! तीन ऋण - देव ऋण, पितृ ऋण, ऋषि ऋण ! चार युग - सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग ! चार धाम - द्वारिका, बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम धाम ! चारपीठ - शारदा पीठ (द्वारिका), ज्योतिष पीठ (जोशीमठ बद्रीधाम), गोवर्धन पीठ (जगन्नाथपुरी), शृंगेरीपीठ! चार वेद- ऋग्वेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद, सामवेद ! चार आश्रम - ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास !
चार अंतःकरण - मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार ! पंचगव्य - गाय का घी, दूध, दही , गोमूत्र, गोबर ! पंच देव - गणेश, विष्णु, शिव, देवी, सूर्य ! पंच तत्त्व - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश ! छह दर्शन - वैशेषिक, न्याय, सांख्य, योग, पूर्व मिमांसा, उत्तर मिमांसा ! सप्त ऋषि -विश्वामित्र, जमदाग्नि, भरद्वाज, गौतम, अत्री, वशिष्ठ और कश्यप! सप्त पुरी -अयोध्या पुरी, मथुरा पुरी, माया पुरी ( हरिद्वार ), काशी, कांची (शिन कांची - विष्णु कांची ), अवंतिका और द्वारिका पुरी ! आठ योग - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समािध ! लक्ष्मी - आग्घ, विद्या, सौभाग्य, अमृत, काम, सत्य, भोग, एवं योग लक्ष्मी ! नव दुर्गा -- शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्धिदात्री ! दस दिशाएं - पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैर्ऋत्य, वायव्य, अग्नि आकाश एवं पाताल ! मुख्य 11 अवतार - मत्स्य, कच्छप, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, श्री राम, कृष्ण, बलराम, बुद्ध, एवं कल्कि! बारह मास - चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन ! बारह राशि - मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन ! बारह ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकाल, आंेकारेश्वर, बैजनाथ, रामेश्वरम, विश्वनाथ, त्रयम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृश्नेश्वर, भीमाशंकर, नागेश्वर !
पंद्रह तिथियाँ - प्रतिपदा, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा अमावास्या ! स्मृतियां - मनु, विष्णु, अत्री, हारीत, याज्ञवल्क्य, उशना, अंगीरा, यम, आपस्तम्ब, सर्वत, कात्यायन, बृहस्पति, पराशर, व्यास, सांख्य, लिखित, दक्ष, शातातप, वशिष्ठ ! Manoj Shukla 9415728653 हनुमान जी की पूजा कलयुग में हनुमान जी की पूजा से भक्तों के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। हनुमान जी की आराधना से सभी प्रकार के संकट शीघ्र ही दूर हो जाते हंै, उनके भक्त निर्भय हो जाते हंै। उन्हें किसी भी विषय का भय नहीं रहता है। हनुमान जी अखण्ड ब्रह्मचारी व महायोगी भी हैं इसलिए सबसे जरूरी है कि उनकी किसी भी तरह की उपासना में ब्रह्मचर्य व इंद्रिय संयम को अपनाएं। वैसे तो किसी भी देवी देवता की पूजा का अधिकार महिलाओं और पुरूषों सभी को एक समान होता है लेकिन हनुमान जी की पूजा का अधिकार महिलाओं और पुरूषों को एक समान नहीं है।
हनुमान जी की पूजा आमतौर पर पुरुष करते हैं और महिलाओं के लिए कई नियम हंै क्योंकि हनुमान जी ब्रह्मचारी थे। हनुमान जी सभी महिलाओं को माता के समान मानते थे। उन्हें किसी भी स्त्री का अपने आगे झुकना नहीं भाता है क्योंकि वे स्वयं स्त्री जाति को नमन करते हैं। इसलिए उनकी पूजा में कई ऐसे कार्य हंै जिन्हंे महिलाओं को नहीं करना चाहिए ।
महिलाएं हनुमान जी की पूजा में यह कार्य कर सकती हैं:- - महिलाएं दीप अर्पित कर सकती हैं। - महिलाएं गुग्गुल की धूनी रमा सकती हैं। - महिलाएं हनुमान चालीसा, संकट मोचन, हनुमानाष्टक, सुंदरकांड आदि का पाठ कर सकती हैं। - महिलाएं हनुमान जी का भोग प्रसाद अपने हाथों से बनाकर अथवा बाजार से लाकर अर्पित कर सकती हैं। महिलाएं हनुमान जी की पूजा में यह कार्य नहीं कर सकतीं:- - महिलाएं लंबे अनुष्ठान नहीं कर सकतीं। इसके पीछे उनका रजस्वला होना और घरेलू उत्तरदायित्व निभाना मुख्य कारण है। - महिलाएं रजस्वला होने पर हनुमान जी से संबंधित कोई भी कार्य न करें। - महिलाएं हनुमान जी को सिंदूर अर्पित नहीं कर सकती हैं। - महिलाओं को हनुमान जी को चोला भी नहीं चढ़ाना चाहिए। - महिलाओं को बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए। - महिलाओं को हनुमान जी को आसन नहीं देना चाहिए। - महिलाओं को पाद्यं अर्थात चरणपादुकाएं अर्पित नहीं करनी चाहिए। - महिलाएं हनुमान जी को पंचामृत स्नान नहीं करा सकतीं। - महिलाएं वस्त्र युग्मं अर्थात कपड़ों का जोड़ा समर्पित नहीं कर सकतीं। - महिलाएं यज्ञोपवीतं अर्थात जनेऊ अर्पित नहीं कर सकतीं।
Neetu 7508852830 अलसी एक चमत्कारी औषधि विविध नाम - अलसी , फ्लेक्स सिड्स, लिन सिड्स आदि इसके नाम हैं। - अलसी से सभी परिचित होंगे लेकिन इसके चमत्कारी फायदे को बहुत ही कम लोग जानते हंै। अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है, अलसी में 23 प्रतिशत ओमेगा-3 फैटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जिंक आदि होते हैं। अलसी में रेशे भरपूर 27 प्रतिशत पर शर्करा 1.8 प्रतिशत यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह के लिए आदर्श आहार है। ब्लड शुगर अगर आपको ब्लड शुगर, डायबिटिज, मीठी पेशाब की तकलीफ है तो आपके लिए अलसी किसी वरदान से कम नहीं है। थाईराईड सुबह खाली पेट २ चम्मच अलसी लेकर २ गिलास पानी मंे उबालें। जब आधा पानी बचे तब छानकर पिएं। ये दोनों प्रकार के थाईराईड मंे बढ़िया काम करती है। हार्ट ब्लाॅकेज 3 महीना अलसी का काढ़ा ऊपर बताई गई विधि के अनुसार पीने से आप को एन्जियोप्लास्टी कराने की जरुरत नहीं पडे़गी। लकवा, पैरालिसिस पैरालिसिस होने पर ऊपर बताई गई विधि से काढ़ा पीने से लकवा ठीक हो जाता है।
बालों का गिरना अलसी को आधा चम्मच रोज सुबह खाली पेट सेवन करने से बाल गिरना बंद हो जाता है। जोड़ांे का दर्द अलसी का काढ़ा पीने से जोड़ांे का दर्द दूर होता है। सायटिका, नस का दबना वगैरह मंे लाभदायक। अतिरिक्त वजन अलसी का काढ़ा पीने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी दूर होती है। नित्य इसका सेवन करें, निरोगी रहंे। ’कैंसर’ किसी भी प्रकार के कैंसर मंे अलसी का काढ़ा सुबह शाम दो बार पिएं, लाभ निश्चित है। पेट की समस्या जिन लोगांे को बार-बार पेट से जुड़े रोग होते हैं उनके लिए अलसी रामबाण इलाज है। अलसी, कब्ज, पेट का दर्द आदि मंे लाभदायक है। सुस्ती, आलस, कमजोरी अलसी का काढ़ा पीने से सुस्ती, थकान, कमजोरी दूर होती है। किसी भी प्रकार की गांठ सुबह शाम दो समय अलसी का काढ़ा बनाकर पीने से शरीर मंे होने वाले किसी भी प्रकार की गांठ ठीक हो जाती है।
श्वांस-दमा, कफ, एलर्जी अलसी का काढ़ा रोज सुबह-शाम 2 बार लेने से श्वांस, दमा, कफ, एलर्जी के रोग ठीक हो जाते हैं। हृदय की कमजोरी हृदय से जुड़ी किसी भी समस्या मंे अलसी का काढ़ा रामबाण इलाज है। जिन लोगों को ऊपर बताई गई समस्या मंे से कोई भी तकलीफ है तो आपके पास इसके रामबाण इलाज के रुप मंे अलसी का काढ़ा है, कृपया आप इसका सेवन करंे और स्वस्थ रहें। कैसे बनाएं काढ़ा २ चम्मच अलसी, 3 गिलास पानी मिक्स करके उबालें। जब आधा पानी बचे तब छानकर पिएं। इस प्रयोग से असंख्य लोगों को बहुत ही बढ़िया लाभ मिला है। Bhavna Bhatia 9811569722