अक्षय धन प्राप्ति के उपाय
अक्षय धन प्राप्ति के उपाय

अक्षय धन प्राप्ति के उपाय  

हरिश्चंद्र प्रसाद आर्य
व्यूस : 5927 | अकतूबर 2016

हमारे यहां दीपावली और लक्ष्मी पूजा से धन प्राप्ति का एक अटूट संबंध है। दीपावली से पूर्व लोग अपने-अपने घरों और व्यापारिक स्थलों को अपने सामथ्र्य के अनुसार साफ-सुथरा कर दीपावली के दिन धन प्राप्ति एवं मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए पूजा-पाठ एवं अन्य टोटकों का सहारा लेते हैं। आइये हम भी जानें ऐसे कुछ उपायों को जिनसे व्यक्ति की लक्ष्मी प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सके। श्री भगवान विष्णु की शक्ति महालक्ष्मी हैं। परंतु दस महाविद्याओं में जो कमला नाम की महाविद्या है वह सदा शिव पुरूष की शक्ति है।

इनकी पूजा उपासना से वैभव, संपत्ति, धन-धान्य और यश की प्राप्ति होती है। पूजा घर में या अन्य कमरे के एक कोने में (उत्तर-पूर्व) पूजा स्थान निश्चित कर श्री कमला देवी का चित्र रखें। पूजा का आरंभ दीपावली के दिन या अन्य शुभ मुहूर्त से करें। मंत्र की जप संख्या 125000 (एक लाख पच्चीस हजार है) है। इसे अपने सामथ्र्य के अनुसार जप के दिनों में बांटकर एक निश्चित संख्या में प्रतिदिन करने का विधान है। पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा के लिए आवश्यक सामग्री रख लें। माला, आसन, वस्त्र और पूजन सामग्री लाल रंग के होने चाहिए। स्वयं पहनने का वस्त्र भी लाल रंग के हों।

फिर क्रम से विनियोग, हृदयादि न्यास, ध्यान, आह्नान करने का विधान है। विनियोग मंत्र: ऊँ अस्य श्री महालक्ष्मी मंत्रस्य भृगुऋषिः, निवृच्छन्दः, श्री महालक्ष्मी देवता, श्रीं बीजम, ह्रीं शक्तिः, ऐं कीलकं, श्री लक्ष्मी प्रीत्यर्थें जपे विनियोगः। हृदयादि न्यास: ऊँ श्रां हृदयाय नमः। ऊँ शिरसे स्वाहा। ऊँ श्रूं शिखायै वषट्। ऊँ श्रैं कवचाय हुम्। ऊँ श्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्। ऊँ श्रः अस्त्राय फट्। फिर माता श्री कमला देवी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र पढ़ें: कान्त्या कांचनसन्निभां हिमगिरि प्रख्यैश्चतुभिर्गजैर्हस्तो -त्क्षिप्तहिरणमया मृतघटै रासिच्यमानां श्रियम्। विभ्राणां वरब्ज युग्ममभयं हस्तैः किरीटोज्जवलाम। क्षौमा बद्ध नितंब बिंब ललितां वन्देऽरविन्दस्थिताम्।

अब हाथ में फूल लेकर आवाहन मंत्र को बोलें और भावना करें कि माता का वास तस्वीर में हो गया और हाथ का फूल अर्पण कर दें। आवाहन मंत्र: ऊँ अक्षस्त्रग परशुम कलिसम पद्मम धनु कुण्डीकाम दंडम शक्ति मसीन्च चर्म जलजम घंटासुरा भाजनम्। सुलभ पाश सुदर्शने च दद्यतिं हस्तै प्रसन्नानमाम् सेवे सैरिभ मर्दनी मिहिमहाम् लक्ष्मी स्वरोयस्यस्थितां।। अब पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से माता का पूजन करें। फिर हाथ में फूल, गंगाजल, अक्षत और द्रव्य लेकर मनोकामना सहित- ‘‘ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः आदि मंत्र से’’ 125000 मंत्र जप का संकल्प लें। ध्यान रहे जप काल के समय माता के आगे धूप और घी का दीपक जलता रहे।

जप की संख्या का ध्यान रखें और प्रतिदिन एक काॅपी पर जप संख्या लिख लिया करें। जप समाप्ति के पश्चात अंत में जप का दशांश हवन, हवन का दशांश तर्पण और तर्पण का दशांश मार्जन करें। फिर मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन कराकर सदक्षिणा उन्हें विदा करें। अगर हवन 125000 का दशांश 12500 की संख्या में करना संभव न हो तो जितनी हवन की संख्या कम करना हो उसका दो गुणा जप करने का विधान है जिसे हवन से पहले ही कर लेना चाहिए। उपरोक्त सभी उपादानों में पवित्रता, निष्ठा और एकाग्रता बनी रहनी चाहिए।



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