पौराणिक ग्रंथों में कहा गया है, ‘‘जहां लक्ष्मी जी हों वहां सरस्वती जी का होना जरूरी नहीं, पर जहां सरस्वती हों वहां लक्ष्मी जी अवश्य होंगी और वो भी लंबे समय तक। लक्ष्मी जी जहां पर रहती हैं हर पल प्रगति करवाती हैं। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए लोग तरह-तरह के पापड़ बेलते हैं चाहे फिर वह आसान हो या कष्टदायक। इनमें से एक है शेयर बाजार का सट्टा, जिसे इसकी लत लगी वह रातों रात करोड़पति या रोडपति बन जाता है।
जन्मकुंडली में पांचवां स्थान सट्टे का कहलाता है। पांचवां, नवां त्रिकोण स्थान है। इस स्थान के कारक बृहस्पति हैं। जन्मकुंडली में यदि पांचवां स्थान, बृहस्पति और पंचमेश शुभ ग्रहों से दृष्ट युत हो तो इस पर शेयर बाजार में तेजी हो या मंदी जातक को हर वक्त फायदा ही होगा। जातक की कुंडली में धन स्थान, भाग्य स्थान और पांचवें स्थान का मालिक शुभ नक्षत्र का हो और बृहस्पति की दृष्टि हो तो इससे शेयर बाजार के सट्टे में बहुत लाभ होगा।
शेयर बाजार के व्यवसाय में लाभ देने वाले ग्रह अगर प्रबल हों और भाग्येश, लाभेश, धनेश की स्थिति मजबूत हो और पंचमेश योगकारक ग्रह के साथ, पंचमहापुरूष यानि हंसयोग, मालव्य योग, रूचक योग, भद्र योग से संबंध और युति में हो तो शेयर बाजार के सट्टे में रातो-रात करोड़पति बनने में देर नहीं लगती। अगर ऊपर लिखे ग्रह योग और उनकी महादशा, अंतर्दशा हो तो बहुत धन-संपत्ति प्राप्त होगी। जैसे दूध में एक बूंद नींबू पूरा दूध बिगाड़ देता है वैसे ही केमद्रुम योग, चांडाल योग, कालसर्पयोग या अशुभ ग्रह की दशा में व्यक्ति ऊपर से नीचे गिर जाता है।
जन्मकुंडली में सूर्य या चंद्र की स्थिति गोचर में अति खराब और अशुभ ग्रहों की दशा में रोडपति बनने में समय नहीं लगेगा। सर्वतोभद्रचक्र के मुताबिक धनस्थान, पांचवां, भाग्य स्थान या उसका मालिक या बृहस्पति का वेध जन्मनक्षत्र से होता है तो उस वक्त शेयर बाजार के सट्टे में भारी भरकम नुकसान होता है।
कृष्णमूर्ति पद्धति से बृहस्पति और पंचमेश अशुभ या राहु में भ्रमण करते हैं और उस वक्त बृहस्पति या पंचमेश का संबंध राहु के साथ हो तब अवश्य ही रोडपति हो जाते हैं। इस तरह ऊपर दिये गये योग और ग्रहों की उपस्थिति व्यक्ति को शेयर बाजार में करोड़पति या रोडपति बनाती है।