सर्वप्रथम महालक्ष्मी पूजन सामग्री: रोली, मौली (कलावा) धूप, अगरबŸाी, कर्पूर, केसर, चंदन, बुक्का (अमुक), सिंदूर, कोरे पान डन्ठल सहित दस, पूजा वाली साबुत सुपारी बीस, पुष्प माला, दूर्वा (दूब), इत्र की शीशी, छोटी इलायची, लवंग, पेड़ा, फल, पुष्प (विशेष रूप से यदि कमल का पुष्प उपलब्ध हो जाए), दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पांच पŸो अशोक, पीपल, बड़ के पेड़ आदि के। हल्दी की गांठ, गुड़, सरसों, कमल गट्टा, चांदी का सिक्का, हवन सामग्री का छोटा सा पैकेट, गिरी गोला दो, नारियल दो, लक्ष्मी जी की मूर्ति, गणेश जी की मूर्ति, सिंहासन, लक्ष्मी जी तथा गणेश जी के वस्त्र, कलम, बही-खाते, ताम्र या मिट्टी का कलश, आधा मीटर नया पीला कपड़ा, सफेद कपड़ा तथा लाल कपड़ा आधा-आधा मीटर, खुले रूपये, सिक्के आदि। लक्ष्मी पूजन का चित्र, श्री यंत्र का चित्र आदि को एकत्रित कर लें। पूजा का कलश स्थापित कर लें। एक थाली में स्वास्तिक बनाकर, पुष्प का आसन लगाकर गणेश जी को विराजमान कर लें। अब करबद्ध होकर गजानन का ध्यान करें।
ध्यान: ऋद्धि सिद्धि के साथ में यजमान गणराज। यहां पधारो, मूर्ति में जाओ आप विराज।। वरुणदेव आओ यहां सब तीर्थों के साथ। पूजा के इस कलश में, आप विराजो नाथ।। शोभित षोडश मातृका जाओ यहां पधार। गणपति सुत के साथ में करके, कृपा अपार।। सूर्य आदि ग्रह भी करो, यहां आगमन आज। लक्ष्मी-पूजा पूर्ण हो, जिससे सहित समाज।। पहले वरुण पूजा, फिर गणेश पूजा, फिर षोडश मातृका, नवग्रह पूजन करें हाथ में अक्षत् (चावल) लेकर लक्ष्मी जी का आह्वान करें।
आह्वान: आदि शक्ति मातेश्वरी, जय कमले जगदम्ब। यहां पधारो मूर्ति में, कृपा करो अविलम्ब।। अब अक्षत लक्ष्मी के सम्मुख अर्पित करें तथा पुष्प दें।
तीन बार जल: एक आचमनी से जलभर तीन बार थाली में छोड़ें। पाघ अध्ये वा आचमन का जल यह तैयार। उसलो भी माँ प्रेम से कर लो तुम स्वीकार।।
स्नान: दूध, दही, घी, शहद, शक्कर इन सभी से बारी-बारी से माँ लक्ष्मी को स्नान करवाएं। अंत में सभी को एकत्रित कर पंचामृत बना लें, फिर पंचामृत से स्नान करवाएं। दूध, दही, घी, मधु तथा शक्कर से कर स्नान। निर्मल जल से कीजियो, पीछे शुद्ध स्नान।। अब पुनः शुद्ध जल से स्नान करवा, साफ वस्त्र से प्रतिमा को पोंछकर विराजमान करें।
वस्त्र: माँ महालक्ष्मी जी को शृंगार सामग्री सहित पूर्ण वस्त्र अर्पित करें। साड़ी चोली रूप में वस्त्र ह्यय ये अंब। भेट कंरू सोलिजियों, मुझको तब अवलंब।।
तिलक: कुंकुम का तिलक करें। कंुकम केशर का तिलक और मांग सिंदूर। लेकर सब सुख दीजियो, कर दो माँ दुख दूर।।
अंजन चूड़ी: शृंगार सामग्री अर्पित करें। नयन सुभग कज्जल सुभग लो नेत्रों से डार। करो चूड़ियों से जननि हाथों का शृंगार।।
पुष्प-धूप-दीप: पुष्पों का हार फूल अर्पित करें। हाथ से धूपादि लक्ष्मी जी की ओर करें। दीपक दिखाएं। गंधाक्षत के बाद में, यह फूलों का हार। धूप, सुगंधित शुद्ध घी का दीप तैयार।।
भोग: दूध आदि का बना हुआ भोग लक्ष्मी जी के आगे रखें। अपने हाथों से ग्रास मुद्रा बनाकर प्रसाद से लक्ष्मी जी के मुखार बिंदु तक तीन बार ले जाएं। अब जल की तीन बार परिक्रमा करके छोड़ें। भोग लगाता भक्ति से, जीभो रुचि से धाप। करो चुलू, ऋृतुफल सुभम, आयेगो अब आप।।
ताम्बूल: लक्ष्मी जी को पान लवंग, इलायची, सुपाड़ी आदि का बीड़ा बनाकर अर्पित करें। एला पूंगी लवंग युक्त, माँ खा लो ताम्बूल। क्षमा करो मुझसे हुई, जो पूजा में भूल।।
दक्षिणा: श्रद्धानुसार दक्षिणा अर्पित करें। क्या दे सकता दक्षिणा, आती मुझको लाज। किंतु जान पूजांग यह तुच्छ भेट है आज।।
आरती: कर्पूर आदि जलाकर आरती करें।
है कपूर सुंदर सुरिभः जो कर घी की बाति। करूं आरती आपकी, जो सब भांति सुहाति।।
पुष्पांजलि प्रदक्षिणा: हाथों में पुष्प लेकर आरती की प्रदक्षिणा कर छोड़ें। पुष्पांजलि देता हुआ, परिक्रमा कर एक। हाथ जोड़ बिनती करूं रखना मेरी टेक।।
प्रार्थना पुरुष के लिए: राष्ट्र भक्ति दे भक्ति, दे सुखदवृŸिा सम्मान। पत्नी, सुत-सुख दे मुझे, भिक्षुक अपना जान।।
प्रार्थना स्त्री के लिए: सदा सुहागिन मैं रहूं, पाती सौख्य अपार। तब पूजा करती रहूं, श्रद्धा मन में धार।
माँ महालक्ष्मी से विनती: चहु दिशा हर मोड़ ने मारा। दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा।। मैं भूखे बालक अज्ञानी, तुम हो अम्बे अंतर्यामी। पाप, क्रोध, अपराध क्षमा कर, उज्ज्वल कर दे भाग्य सितारा।। चहु दिशा हर मोड़ ने मारा। दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा।। दुःख, दारिद्र्य ने हृदय जलय, निर्धनता ने मन बिलखाये। पग-पग ठोकर खाऊँ माँ, नैनबहाये अश्रु धारा।। चहु दिशा हर मोड़ ने मारा। दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा।। विनय सुनो हे विष्णु माया, दे कमलासिनी अपनी छाया। धन-जन से परिपूर्ण करो माँ, दर पे खड़ा है दास तुम्हारा।। चहु दिशा हर मोड़ ने मारा। दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा।। दया करो, सुख सम्पति साजौ, गणपति, शारदे संग विराजो। ऋद्धि-सिद्धि मेरे संग समा के, स्वयं लगा दे हृदय हमारा।। चहु दिशा हर मोड़ ने मारा। दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा।। मंद बुद्धि हूं भाग्य विधाती, ज्ञान की कुंजी दे, सुख दाती। यह न कोई हमें दिखाये, मार्ग दर्शक तुम बनो हमारा।। चहु दिशा हर मोड़ ने मारा। दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा।। इतना करम इस दास पे कर दो, पुत्रमान, धन, जन सुख भर दे। जन्म-जन्म का दास बना दो। बस यही मिले वरदान तुम्हारा।। चहु दिशा हर मोड़ ने मारा। दो लक्ष्मी माँ हमें सहारा।। अब जहां खड़े हैं, वहीं खड़े-खड़े ही परिक्रमा कर लें। हाथ जोड़कर पूजा में किसी भी प्रकार की भूल के लिए क्षमा याचना करें।
क्षमा-प्रार्थना: ब्रह्मा विष्णु, शिव रूपणी, परब्रह्म की शक्ति। मुझ सेवक को दीजियो, श्री चरणों की भक्ति।। मैं अपराधी नित्य का, पापों का भण्डार। मुझ सेवक को कीजियों, दुख सागर से पार।। हो जाते हैं पूत तो, कईक पूत अज्ञान। पर माता तो कर दया, रखती उनका ध्यान।। ऐसा मन में धार कर, कृपा करो अविलम्ब। बिना कृपा तेरी मुझे और न है अवलम्ब।। और प्रार्थना क्या करूं, तू करुणा की खान। त्राहि-त्राहि मातेश्वरी, मैं मूरख अज्ञान।।