लक्ष्मी प्राप्ति के स्वर्णिम -सरल प्रयोग !
लक्ष्मी प्राप्ति के स्वर्णिम -सरल प्रयोग !

लक्ष्मी प्राप्ति के स्वर्णिम -सरल प्रयोग !  

आर. के. शर्मा
व्यूस : 7563 | अकतूबर 2016

अनुभव में देखा गया है कि साधना-सिद्धि कोई भी हो, वह या तो इतनी कष्ट साध्य और जटिल होती है कि उसे जानकर ही हिम्मत जवाब दे जाती है। मंत्र बड़े होते हैं, उसकी साधना अति कठिन तथा मंत्रों की आवृत्तियां (जाप) लाखों में होती हैं। आम गृहस्थ ये सब कुछ नहीं कर पाता है। कारण-आम व्यक्ति के पास समय, इनका सम्यक ज्ञान, त्रुटियों का भय होता है। अतः केवल पढ़ कर ही चुप बैठ जाता है।

प्रयोग-ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति अपना कारोबार शुरू करने (या दुकान खोलने) से पूर्व-निम्न मंत्र को 108 बार पढ़कर कार्य आरंभ करें, उस दिन बिक्री बढ़ती है और कोई परेशानी नहीं आती। मंत्र - ‘‘श्री लुल्ले महाशुक्ले कमलदल निवासे महालक्ष्म्यै नमः लक्ष्मी माई सत्य की सवाई अरवो माई करो भलाई, ना करो तो समुद्र की दुहाई, ऋद्धि-सिद्धि खावोमीट तो नौ नाथ चैरासी की दुहाई।’’

प्रयोग: 2 बिक्री बढ़ाने का मंत्र यह अद्भुत अचूक मंत्र है। इसका प्रयोग मात्र तीन रविवार के दिन ही किया जाता है। किसी भी रविवार को प्रातः उठकर अपने हाथ में काले उड़द लेकर इस मंत्र का 21 बार जप करके उन उड़दों को व्यापार स्थल पर डाल दें। तीन रविवार को करने पर व्यापार में उन्नति होती है और आश्चर्यजनक रूप से बिक्री बढ़ती है। सोमवार को बिखरे दानों को इकट्ठा कर लें- उनको किसी नदी तालाब में विसर्जित कर दें, मंत्र- ‘‘भंवर वीर तूं चेला मेरा, खोल दुकान कहा कर मेरा, उठे जो डूडी बिकै जो माल, भंवर बीर खाली नहीं जाय।’’

प्रयोग - 3: पूर्ण सफलता, सिद्धि प्राप्ति: इस मंत्र को हर समय मन ही मन में, बिना बोले जपते रहें तो समस्त कामना पूरी हो जाती है। वह जीवन में जिस प्रकार से चाहता है, उसी प्रकार से कार्य हो जाता है। मंत्र - ‘ऊँ ह्रीं नमः।’’

प्रयोग 4: दक्षिणावर्ती शंख साधना: ‘दक्षिणावर्ती नर शंख’ खरीद कर, शुद्ध कर लें। इस शंख को घर के पूजा-स्थल में स्थापित कर दें। चालीस दिन तक इसके सामने (पूजा करके) नित्य ‘दक्षिण लक्ष्मी स्तोत्र’ का एक बार पाठ करना चाहिये। ऐसा करने से घर में किसी भी प्रकार की दरिद्रता नहीं रहती है और आर्थिक दृष्टि से पूर्ण संपन्नता एवं श्रेष्ठता आ जाती है तथा व्यापार में सफलता व आर्थिक समृद्धि भी प्राप्त होती है। स्तोत्र: त्रैलोक्यपूजिते देवि कमले विष्णुवल्लभे। यथा त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा।। कमला चंचला लक्ष्मीश्चला भूतिर्हरिप्रिया। पद्मा पद्मालया सम्यगुगौः श्री पद्मधारिणी।। द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मीं संपूच्य यः पठेत्। स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्रदारादिभिः सह।।’’

प्रयोग 5: दक्षिण लक्ष्मी स्तोत्र-

दक्षिणावत्र्ती शंख के अनेक लाभ

Û दीपावली की रात्रि को यदि ‘दक्षिणावर्ती शंख’ के सम्मुख उपरोक्त स्तोत्र का 101 बार जप किया जाय तो उसकी मनोवांछित कामना अवश्य पूरी हो जाती है।

Û इस शंख में जल भर कर 11 बार ‘स्तोत्र’ का पाठ कर, उस जल को पूरे घर में छिड़कने पर घर में शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

Û यदि दक्षिणावर्ती शंख पर इस स्तोत्र का नित्य 21 बार जप-ग्यारह दिन तक करें तो व्यापार मंे विशेष अनुकूलता प्राप्त होती है तथा उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

Û यदि पांच दिन तक नित्य शंख में जल भर कर इस स्तोत्र के 11 पाठ करके उस जल को दुकान के दरवाजे के आगे छिड़क दिया जाए तो उस दुकान की बिक्री बढ़ जाती है।

Û यदि शंख में चावल भरकर इस स्तोत्र के 11 पाठ कर उन चावलों को बीमार व्यक्ति के ऊपर घुमाकर दक्षिण दिशा की ओर फेंक दिया जाए तो उस रोगी का रोग, हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। प्रयोग की समाप्ति पर इस शंख को तिजोरी में स्थापित कर देना चाहिये। यदि नित्य पूजा करनी है तो ‘पूजा स्थान’ में ही रखें।

प्रयोग: 6: यात्रा में धन लाभ ! यदि आपको धन लाभ संबंधी किसी यात्रा में सदैव हानि उठानी पड़ती है और आप निराश हो जाते हैं तो यह प्रयोग करें। यात्रा से एक दिन पूर्व किसी भी संख्या में (माना-3, 5, 7, 8 या अधिक) बराबर पैसों की पांच पुड़िया बनाएं। हर पुड़िया में थोड़ी-सी रोली, चावल तथा एक पूजा वाली सुपारी भी रख दें। इसके बाद उन पुड़ियों को पूजा स्थान या किसी सुरक्षित स्थान में रख दें। विदाई के समय उन पुड़ियों के सामने एक दीपक जलाकर मन में अपनी कार्यसिद्धि के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद घर की कोई सौभाग्यवती स्त्री अथवा कन्या नहा-धोकर आपको दही का टीका लगाकर विदा करें। इस साधना से निश्चय ही आपको यात्रा में धन लाभ होगा। घर वापस आकर पांचों पुड़ियों के पैसों से पांच देवताओं- भवानी, गणेश, ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश के नाम प्रसाद चढ़ा दें। सुपारी-रोली तथा चावलों को पान में रखकर किसी नदी, तालाब या पानी वाले कुएं में डाल दें।

प्रयोग 7: दक्षिणावर्ती शंख द्वारा भौतिक सुख ! दीपावली में ‘धनतेरस’ के दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन कर बैठें। सामने लकड़ी की चैकी/पटरे पर लाल या पीला, नया वस्त्र बिछाकर उस पर ‘दक्षिणावर्ती-शंख’ को स्थापित कर दें। कटोरे में साफ चावल भी रख लें- प्रातः 6 बजे से 7ः15 तक मंत्र जाप प्रारंभ करें। जाप के साथ कुछ दाने चावल के, शंख में डालते जायें। जाप समाप्ति के बाद ‘चावल सहित शंख’ को उसी कपड़े में बांध दें। इस पोटली को पूजास्थल-घर या दुकान पर स्थापित कर दें। यह भाग्यशाली शंख आर्थिक संकट, भौतिक कमी नहीं आने देगा- मंत्र - ‘‘ऊँ श्रीं ह्रीं दारिद्र्य विनाशनी धन-धान्य समृद्धि देहि, देहि कुबेर शंख विध्ये नमः।’’

प्रयोग 8: धन लाभ हेतु बीज मंत्र! यह प्रयोग धन कमाने, कारोबार में वृद्धि कराता है। नित्य नियत् समय पर स्नान के बाद सफेद वस्त्र धारण करें, स्त्रियां सफेद या लाल रंग की साड़ी-वस्त्र धारण कर सकती हैं। सफेद रेशमी वस्त्र बिछा कंबल का आसन तथा पूर्व की ओर मुंह करके लक्ष्मी के बीज मंत्र की 21 माला (कमलगट्टा) पर करें। मंत्र - ऐं श्रीं ह्रीं क्लीं’’ यह जप 31 दिन निश्चित समय पर शुरू करना है, 32वें दिन माला को प्रातः बहते जल में प्रवाहित कर दें, तथा प्रसाद चढ़ायें..



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