वास्तु दोष समाधान
वास्तु दोष समाधान

वास्तु दोष समाधान  

अंजली गिरधर
व्यूस : 9988 | दिसम्बर 2014

- चीनी मिट्टी के पात्र में जल में फूलों की पंखुड़ियाँ डालकर रखें।

- ईशान कोण की दीवार पर भोजन की तलाश में उड़ते हुये पक्षियों का चित्र लगाना चाहिए, परिवार के आलसी सदस्य कर्मशील हो जाएँगे।

- ईशान कोण में विधि पूर्वक बृहस्पति यंत्र की स्थापना करनी चाहिए।

पूर्व दिशा दोष :

- यदि पूर्व दिशा कटी हो तो पूर्व की दीवार पर एक बड़ा शीशा लगाना चाहिए।

- घर की पूर्व दिशा में सात घोड़ों पर सवार सूर्य देव का चित्र लगाना चाहिए।

- सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र का सात बार उच्चारण करके सूर्य भगवान को जल अर्पित करना चाहिए।

- यदि पूर्व दिशा में खिड़की न हो तो पूर्व दिशा में एक दीपक रोज जलाना चाहिए।

- पूर्व दिशा में लाल पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए इससे दिशा दोष समाप्त होता है।

- पूर्व दिशा में सूर्य यंत्र की स्थापना करनी चाहिए।

आग्नेय दिशा दोष - इस दिशा में लाल रंग का एक बल्ब या एक दीपक इस प्रकार से जलाएं कि वह लगभग एक प्रहर (तीन घंटे) तक जलता रहे।

- गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

- अग्निदेव के पवित्र मंत्र का उच्चारण करें।

- इस दिशा में मनीप्लांट लगाएँ। सूरजमुखी फूल, पालक, तुलसी, गाजर तथा अदरक, हरी मिर्च, मेथी, हल्दी, पुदीना, करी पत्ता आदि उगाएँ।

- इस दिशा का दोष दूर करने के लिए रेशमी परिधान, वस्त्र, सौंदर्य की वस्तुएं घर की स्त्रियों को देकर प्रसन्न रखें।

- इस दिशा में शुक्र यंत्र लगाना चाहिए। दक्षिण दिशा दोष - घर का भारी से भारी समान इस दिशा में रखें।

- मंगल ग्रह के मंत्रों का जाप करें।

- इस क्षेत्र की दक्षिण दीवार पर हनुमान जी का लाल रंग का चित्र लगाएँ।

- दक्षिण दिशा में मंगल यंत्र की स्थापना करें। यदि इस स्थान पर खुला क्षेत्र हो तो पेड़, गमले होने चाहिए।

नैर्ऋत्य दिशा दोष :

- भारी मूर्तियाँ इस दिशा में रखें।

- राहु के मंत्रों का जाप इस दिशा में करें।

- वाणी पर नियंत्रण रखें।

- मिथ्याचारी, अनैतिक, क्रोधी लोगों से न मिलें।

- चांदी, सोना, तांबे के सिक्के या नाग-नागिन के जोड़े की पूजा करें तथा इसे नैर्ऋत्य कोण की दिशा में दबा दें।

- राहु यंत्र की स्थापना करें।

पश्चिम दिशा दोष :

- पश्चिम दिशा में शनि यंत्र की स्थापना करें।

- स्थापना के समय प्रार्थना करके शुभ कार्य करें।

- पानी का फव्वारा लगाना चाहिए।

- इस दिशा को ऊंचा रखें, वर्गाकार या आयताकार रखें।

- भारी पौधे लगाएँ।

वायव्य दिशा दोष :

- इस दिशा में मारुतिदेव की तस्वीर लगाएँ, हनुमान जी की तस्वीर भी लगा सकते हैं।

- वायु देव या चन्द्र के मंत्रों का जाप करें।

- यदि खुला स्थान हो तो ऐसे वृक्ष लगाएँ जिसके पत्ते मोटे हों।

- ताजे फूलों का गुलदस्ता रखें।

- मछली घर या एक फव्वारा स्थापित करें।

- माँ का आदर करें तथा चरण छूकर आशीर्वाद लें।

- प्रतिदिन या सोमवार को शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएँ।

- वायव्य दिशा में मारुति यंत्र एवं चन्द्र यंत्र की स्थापना करें।

उत्तर दिशा दोष :

- उत्तर दिशा में बड़ा आदमकद शीशा लगाएँ।

- लक्ष्मी माता की मूर्ति लगाएँ।

- हल्के हरे रंग का पेन्ट करवाएँ।

- विद्यार्थियों तथा संन्यासियों को उनके उपयुक्त अध्ययन सामग्री का दान दें।

- बुध यंत्र की स्थापना विधि पूर्वक करें।

- उत्तरी दीवार पर तोते के जोड़े का चित्र लगाएँ। पढ़ाई में कमजोर बच्चों पर जादू का काम करता है।

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