भाग्य रेखा
भाग्य रेखा

भाग्य रेखा  

अंजली गिरधर
व्यूस : 6451 | अप्रैल 2017

‘‘त्यक्त्वाऽधो मणिबन्धं या रेखा स्यात् कर गामिनी। सुवर्ण रत्न राज्यश्री दायिका सा न संशयः।। ‘‘स्कन्ध शारीरिक’’ ग्रंथों के अनुसार मणिबंध से यदि भाग्य रेखा का प्रारंभ हो और जीवन रेखा से मिलती हुई आगे बढ़ती जाय और शनि पर्वत के अंत तक पहुंच जाये तो ऐसी भाग्य रेखा उत्तम मानी जाती है। सभी प्रकार के सुख ऐसे जातक को प्राप्त होते हैं।

- यदि यह रेखा अंगूठे व तर्जनी के मूल में समाप्त हो तो यह रेखा राज्याधिकार देती है।

- यह भाग्य रेखा यदि शनि पर्वत पर जाकर समाप्त होती है तो जातक बहुत धनी बनता है किंतु रेखा बार-बार कटी हुई नहीं होनी चाहिए।

- यदि भाग्य रेखा अनामिका के मूल तक जाये, सूर्य रेखा में मिल जाये तो उच्च पदस्थ अधिकारी या बड़ा व्यापारी होता है।

- यदि यह भाग्य रेखा कटी-फटी न होकर कनिष्ठा अंगुली के नीचे तक जाये तो जातक भाग्यशाली होता है और उसके पास बहुत सोना होता है।

- भाग्य रेखा का आरंभ कई स्थानों से होता है।

1. मणिबंध से

2. चंद्र क्षेत्र के नीचे भाग से

3. शुक्र पर्वत से

4. जीवन रेखा से

5. हथेली के मध्य भाग से

6. केवल शनि क्षेत्र से।

- मणिबंध के प्रथम भाग से भाग्य रेखा का आरंभ हो तो बाल्यावस्था से ही परिवार की जिम्मेदारी कंधों पर आ जाती है। यदि यह रेखा हृदय रेखा तक आ जाये तो प्रेम संबंध के कारण जीवन भर कठिनाईयां सहन करनी पड़ती हैं।

- यदि भाग्य रेखा शनि रेखा पर शनि अंगुली के तृतीय पोर पर चढ़ जाये तो भाग्य में गहरा फेर होता है। अन्य चिह्न हथेली में उत्तम हो तो कुछ विशेष जीवन में घटित होगा।

- मणिबंध से प्रारंभ रेखा वाले जातक स्वयं अपने परिश्रम से पूर्ण सफलता पाते हैं।

- चंद्र क्षेत्र से यदि यह रेखा शनि पर्वत पर जाये तो किसी पुरुष की सहायता से उन्नति करता है। यदि पुरुष हो तो स्त्री की सहायता से उन्नति होती है। यह अपना जीवनसाथी भी हो सकता है।

- शुक्र पर्वत से आरंभ होने वाली भाग्य रेखा बताती है कि आपके परिवार वाले या मित्रगण आपका सहयोग करेंगे और आप जीवन में उन्नति करेंगे।

- जीवन रेखा को छूकर निकलने वाली भाग्य रेखा हो तो परिवार वाले इतना सहारा देते हैं कि वह स्वयं खड़ा हो जाता है।

- हथेली के मध्य में आरंभ भाग्य रेखा बताती है कि जीवन का आरंभिक काल अच्छा नहीं रहा।

- यदि केवल शनि पर्वत पर ही भाग्य रेखा हो तो जातक के जीवन का मध्य भाग बहुत कठिनाई से बीतता है। भाग्योदय पचास वर्ष की अवस्था में होता है।

- गहरी भाग्य रेखा उन्नति में विशेष सहायक होती है। पतली और हल्की रेखा भाग्य बनाने में बहुत कम सहायक होती है।

- चैड़ी भाग्य रेखा का फल अच्छा नहीं होता। ऐसे जातक को जीवन में एक के बाद एक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

- भाग्य रेखा पर द्वीप-चिह्न भाग्य वृद्धि में रूकावट के लक्षण बनाती है।

- जिस अवस्था में द्वीप चिह्न होगा जीवन का वह भाग कष्टमय होगा। भाग्य रेखा जिस क्षेत्र से गुजर रही होगी वही भाग द्वीपयुक्त वाला जीवन में किसी भी प्रकार का संकट जरूर देगा। कष्ट आर्थिक, मानसिक, सामाजिक कोई भी हो सकता है। - जीवन रेखा को काटती हुई रेखाएं भाग्य रेखा को भी काटे तो जीवन में चिंता, कष्ट के कारण विकास नहीं होता, भाग्योदय नहीं होता।

- भाग्य रेखा से निकलकर ऊपर जाने वाली रेखाएं उन्नति कारक होती हैं और नीचे की ओर मुड़ने वाली प्रगति में बाधक, मुसीबत या कोई अनहोनी घटना देती हैं।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.