कुंडली में ग्रह की अशुभ स्थिति
कुंडली में ग्रह की अशुभ स्थिति

कुंडली में ग्रह की अशुभ स्थिति  

अंजली गिरधर
व्यूस : 22196 | जनवरी 2015

सूर्य/चंद्रमा के राहु/ केतु के साथ होने से ग्रहण योग बनता है - इस योग में अगर सूर्य ग्रहण योग हो तो व्यक्ति में आत्म विश्वास की कमी रहती है और वह किसी के सामने आते ही अपनी पूर्ण योग्यता का परिचय नहीं दे पाता है उल्टा उसके प्रभाव में आ जाता है।

कहने का मतलब कि सामने वाला व्यक्ति हमेशा ही हावी रहता है। चन्द्र ग्रहण होने से कितना भी घर में सुविधा हो मगर मन में हमेशा अशांति ही बनी रहती है कोई न कोई छोटी-छोटी बातों का डर भी सताता है। कोई अज्ञात भय मन में बना रहता है।

संतुष्टि का हमेशा आभव रहता है। मंगल के राहु के साथ होने से अंगारक योग बनता है - इस योग के कारण जिस काम को दूसरा कोई आसानी से कर लेता है उसी काम को करने में अनेक प्रकार की बाधाएं, अड़चन आदि बनी रहती है यानि कोई काम सुख शांति पूर्वक सम्पन्न नहीं होता है। गुरु की राहु/केतु के साथ युति हो तो चांडाल योग बनता है


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


- इस योग के कारण व्यक्ति का धन से संबंधित कोई काम सफल नहीं होता है। कितना भी धन अच्छे समय में कमा ले लेकिन जैसे ही इन ग्रहों की महादशा- अन्तर्दशा- प्रत्यंतर दशा आएगी तो वो सब कमाया हुआ धन एकदम से खत्म हो जाता है और इस योग के कारण व्यक्ति को कर्ज लेने के बाद चुकाने में दिक्कत होती है और एक दिन उसको ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है कि कहीं से कुछ रुपये उधार लेकर खाना खाना पड़ता है। शुक्र और राहु की युति से लम्पट योग का निर्माण होता है

- इस योग के कारण जातक का ध्यान पराई स्त्रियों में लगा रहता है और कई-कई प्रेम सम्बन्ध बनते हैं लेकिन ज्यादातर का अंत बहुत बुरा, लड़ाई- झगडे़ के साथ और अपमान के साथ होता है। कर्कशा स्त्री जीवन में बनी रहती है। शनि राहु की युति हो तो नंदी योग बनता है

- इस योग के कारण व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहते हुए भी हमेशा झूठ और फरेब का शिकार होता है और कई बार जेल जाने तक की नौबत आती है। अपराध की दुनिया से सम्बन्ध बनता है और जीवन अनेक संकटों में फंस जाता है। इसके अलावा भी कुछ और अशुभ स्थितियां अगर आपकी कुंडली में है तो वो आप मिलान करें और देखंे की क्या ऐसा है


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


आपकी कुंडली में। सप्तम, जीवनसाथी के स्थान का स्वामी ग्रह अगर छठे, आठवंे या बारहवें भाव मै बैठा हो या फिर सूर्य के साथ बैठकर अस्त है तो विवाह सुख का नाश करने वाला योग बन जाता है और अगर पुरुष की कुंडली में शुक्र अस्त हो या पापी ग्रह से युक्त हो तो भी ऐसा योग बनता है, अगर महिला की कुंडली में गुरु अस्त हो या गुरु के साथ कोई अशुभ या पापी ग्रह बैठा हो तो महिला का वैवाहिक जीवन अनेक समस्या से भरा या निराश या सपने जो देखे हों पति को लेकर वह सभी टूटे हुए लगते हैं।

कुंडली में अगर लग्नेश कमजोर अवस्था का या अशुभ स्थति में है तो आपका स्वास्थ्य कभी भी सम्पूर्ण अच्छा नहीं रहेगा। धनेश और लाभेश अगर अशुभ स्थति में हो तो धन के कारण सम्पूर्ण जीवन संघर्ष करना पड़ता है। कर्मेश यदि छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो या फिर अशुभ युति में हो तो अनेक काम बदलने के बाद भी स्थायित्व नहीं रहता है और धन प्राप्ति में बाधा होती है।

सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु ये पांच पापी ग्रह माने गए हैं और चन्द्र, बुध, गुरु और शुक्र ये चार ग्रह बहुत ही शांत और शुभ माने जाते हैं। अगर इन चार ग्रहों के साथ कोई भी पापी ग्रह बैठा हो या शुभ ग्रहों में से कोई अस्त हो या फिर नीच का हो या फिर कमजोर अवस्था का हो तो जीवन में शुभता की कमी रहती है, योग्यता के अनुसार जीवन यापन नहीं होता है।


जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें !




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.