दीपदान महादान
दीपदान महादान

दीपदान महादान  

अंजली गिरधर
व्यूस : 5996 | अकतूबर 2017

किसी भी पूजा, साधना को संपन्न करना बिना दीप प्रज्ज्वलन के हम सोच भी नहीं सकते। पूजन का मुख्य उद्देश्य मन को शांति प्रदान करना होता है, अपना ध्यान एकाग्र करना होता है। वेदों में अग्नि को देवता स्वरूप माना गया है क्योंकि यह पंच तत्वों में एक ‘‘अग्नि’’ माना गया है। दीपक का इतिहास उठाकर देखें तो हमें ज्ञात होता है 5000 वर्ष पूर्व से मिट्टी का दीप जलाया जाता है। पारंपरिक रूप से इसे दीप, दीवा, दीपक कहते हैं। इसमें सूत की बाती डालकर तेल या घी डालकर प्रज्ज्वलित किया जाता रहा है। दीप जलाने के पौराणिक मंत्र में कहा गया है कि इसका प्रयोग कल्याणकारी, स्वास्थ्य एवं संपदा देने वाला होता है।

शत्रु की दुर्बुद्धि के विनाश के लिए प्रार्थना रूप में हम दीप का प्रयोग करते हैं क्योंकि दीप का अर्थ चारों ओर प्रकाश करना, यश-सम्मान फैलाना, कुल का चिराग और दीप जलाना पूजन करने का एक उत्तम तरीका भी है। दीप कब जलायें सामान्यतः दीपक सुबह व सायंकाल जलाया जाता है किंतु पूजन के लिए किसी भी समय जलाया जा सकता है। किसी साधना में मुहूर्त विशेष में भी दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है। देवी देवताओं की साधना करने में अखंड दीप जलाया जाता है। नवरात्रों में भी अखंड दीप जलाया जाता है। मां दुर्गा की अनुकंपा प्राप्त करने हेतु अखंड दीप प्रज्ज्वलित किया जाता है। दीप किसी विशेष मंगल कार्य के लिए भी जलाना चाहिए।

दीप क्यों जलाते हैं?

- दीपक जलाने का सर्वप्रथम उद्देश्य देवताओं को प्रसन्न करना होता है।

- दूसरा मनुष्य अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु दीपक जलाता है।

- विशेष साधनाओं, विशेष अवसरों व मंगलकार्यों को संपन्न करने के लिए दीपक का प्रयोग किया जाता है।

दीपक कैसा हो?

प्राचीन काल से मुख्य रूप से मिट्टी व आटे का दीपक ही प्रयोग में लाया जाता रहा है। आधुनिक युग में सभी प्रकार की धातुओं के सुंदर-सुंदर सजावटी दीपकों का प्रयोग होने लगा है। सप्त धान्य को मिलाकर भी दीप जलाये जाते हैं।

कौन सा दीप कब जलायें?

- मुख्य रूप से घी का दीपक देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए जलाया जाता है। जब किसी भी देवी-देवता के लिए श्रद्धापूर्वक शुद्ध घी का दीप जलाया जाता है तो देवता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

- घर के मंदिर में देसी घी का दीपक अपनी बायीं ओर जलाया जाता है। शुद्ध गाय के घी का दीपक अति पवित्र होता है। शुद्ध घी में हमेशा रूई की बत्ती का ही प्रयोग करें।

- सरसों के तेल का या तिल के तेल का दीपक देवी-देवताओं के सामने अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जलाया जाता है। तेल के दीपक में हमेशा लाल बत्ती का प्रयोग करना चाहिए और तेल का दीपक हमेशा दायीं ओर जलाना चाहिए।

भारतीय संस्कृति में प्रत्येक विशेष मांगलिक अवसर पर दीप जलाने की परंपरा है। देवी-देवता के पूजन के समय ऊर्जा को केन्द्रीभूत करने के लिए दीपक प्रज्ज्वलित किया जाता है। प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है। परमात्मा प्रकाश और ज्ञान रूप में सब जगह व्याप्त है। ज्ञान प्राप्त करने के लिए अज्ञान रूपी मनोविकार दूर होते हैं और भौतिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। इन सबको प्राप्त करने और मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु दीप जलाने के विभिन्न प्रयोग हैं जिनकी जानकारी हम यहां देने जा रहे हैं। सभी दीपक के प्रयोग बहुत उपयोगी हैं। जितनी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ किये जायेंगे उतना ही विश्वसनीय फल प्राप्त होंगे।

- यदि कुंडली में किसी भी प्रकार से शनि राहु केतु अशुभ प्रभाव दे रहे हों तो पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार को पश्चिम दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

- यदि नौकरी व्यापार में किसी भी प्रकार की समस्या हो तो चार बत्ती का सरसों के तेल का दीपक जलायें या तिल के तेल का दीपक जलायें। उसमें लंबी बत्ती बनाकर उसको क्राॅस करके चार बत्ती बना दें।

- शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या राहु-केतु ग्रहों को अपने नियंत्रण में लिये हो तो हर शनिवार रात को पश्चिम की ओर मुख करके सरसों या तिल के तेल का दीपक जलायें साथ ही इन ग्रहों के बीज मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें।

- यदि शत्रु नुकसान पहुंचाये तो सरसों के तेल का चार बत्ती का दीपक भैरव जी के सामने प्रज्ज्वलित करें।

- यदि आर्थिक परेशानियों से मुक्त होना चाहते हैं तो प्रतिदिन घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाएं।

- कुंडली में राहु-केतु खराब हो तो अलसी के तेल का दीपक जलायें।

- पति की लंबी आयु के लिए महुए के तेल का दीपक जलाएं।

- सूर्य देव की प्रसन्नता के लिए सरसों के तेल का एक बत्ती का दीपक जलायें।

- किसी भी साधना में अखंड ज्योति जलाने का विधान है जिसे शुद्ध गाय के घी और तिल के तेल के साथ जलाया जाता है। यह प्रयोग देव स्थानों पर ही करना चाहिए।

Û इष्ट सिद्धि, ज्ञान प्राप्ति के लिए गहरा और गोल दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।

- शत्रुनाश, आपत्ति निवारण के लिए मध्य से उठा हुआ दीपक प्रयोग करना चाहिए।

- हनुमान जी की प्रसन्नता के लिए तिकोना दीपक और चमेली के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

- घर में सुबह शाम दीपक जरूर जलाना चाहिए। यह सौभाग्य का प्रतीक होता है। अग्निदेव नकारात्मकता को दूर करते हैं। सूर्य और चंद्र ग्रह ठीक हो जाते हैं।

- अखंड दीपक किसी भी प्रकार की तपस्या या हठयोग के लिए जलाया जाता है।

- कपूर की आरती करने से वातावरण शुद्ध होता है। इसमें विषाणुओं और जीवाणुओं को नष्ट करने की शक्ति होती है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.