यह हमेशा से चिंतन का विषय रहा है कि वास्तु का प्रभाव हमारे जीवन व भाग्य पर कितना पड़ता है। कई बार वास्तु विशेषज्ञ आते हैं और अनेक प्रकार के परिवर्तन करवाते हैं जिसमें बहुत धन का व्यय हो जाता है। इनका कितना प्रभाव जीवन पर पड़ता है, इस प्रकार के परिवर्तन कितने आवश्यक हैं आइए जानें: -
अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ के अंतर्गत वास्तु महर्षि के विद्यार्थी श्री सिद्धार्थ सीकरी द्वारा एक शोध करवाया गया। इस शोध में विभिन्न दिशाओं की ओर मुंह वाले 200 घरों का सर्वे किया गया जिसमें 25-25 घरों की सभी आठों दिशाओं का डाटा एकत्रित करके घर में रहने वालों के विचार एकत्रित किए गए जिससे यह जाना जा सके कि इन घरों में रहने वाले कैसा महसूस कर रहे हैं और उनका जीवन किस प्रकार चल रहा है।
सभी घर डी. डी. ए. के एम. आई. जी. फ्लैट्स थे और उन सबमें स्वयं मालिक कम से कम चार पारिवारिक सदस्यों के साथ रह रहे थे। जिसमें किराएदार रह रहे थे वे घर इस डाटा में शामिल नहीं किए गए। इन सभी घरों में रहने वालों से पूछे गये विभिन्न प्रश्नों के उत्तर सारणी में दर्शाए गए हैं।
वास्तु नियम
उपरोक्त डाटा से प्राप्त विवरण के अनुसार वास्तु के निम्न परिणाम देखे गए -
मुखिया का स्वास्थ्य: मुखिया को उत्तरमुखी मकान में अधिकतम स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होती है व ईशानमुखी में सबसे कम। वास्तु शास्त्र के नियमानुसार नैर्ऋत्य मुखी मकान में अधिकतम समस्याएं होनी चाहिए व उत्तरमुखी में कम होनी चाहिए थी। ईशान कोण का नियम तो सही निकला परंतु नैर्ऋत्य का नियम गलत सिद्ध हुआ।
पत्नी का स्वास्थ्य: नैर्ऋत्य मुखी मकान में पत्नी का स्वास्थ्य सर्वाधिक खराब रहा जो वास्तु नियमानुसार है।
परिवार का स्वास्थ्य: यदि हम परिवार के किसी भी सदस्य के स्वास्थ्य के बारे में चिंतन करें तो उत्तरमुखी मकान स्वास्थ्य के लिए निकृष्ट हैं। तदुपरांत दक्षिण व दक्षिण-पश्चिम मुखी मकान और उत्तर-पश्चिम मुखी मकान स्वास्थ्य की दृष्टि से खराब हैं। उत्तर को छोड़ अन्य तीन दिशाएं वास्तुशास्त्रानुसार नियम को सिद्ध करती हैं। साथ ही ईशानमुखी मकानों में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां कम पाई गईं जो वास्तु के नियम को सिद्ध करती हैं।
वैचारिक मतभेद: पश्चिममुखी व आग्नेयमुखी मकानों में सर्वाधिक वैचारिक मतभेद पाए गए जो शास्त्र सम्मत हैं लेकिन पूर्वमुखी मकानों में भी उतना ही वैचारिक मतभेद पाया गया जो वास्तु नियम के विपरीत है।
ैवाहिक समस्याएं: सभी ने ‘न’ में उत्तर दिया जो कि दर्शाता है कि व्यक्तिगत समस्या को लोग शीघ्रता से उजागर नहीं करते।
नौकरों से समस्याएं: पश्चिममुखी मकानों में नौकरों से समस्याएं सर्वाधिक देखी गईं जो वास्तु सम्मत हैं।
व्यावसायिक समस्याएं: दक्षिण एवम् नैर्ऋत्यमुखी मकानों में सर्वाधिक व्यावसायिक समस्याएं देखी गईं जो शास्त्र सम्मत हैं।
विभिन्न दिशाओं का जीवन पर प्रभाव
विषय |
उ. |
पू. |
द. |
प. |
ई. |
वा. |
आ. |
नै |
मुखिया का स्वास्थ्य खराब |
7 |
4 |
5 |
4 |
3 |
5 |
4 |
5 |
पत्नी का स्वास्थ्य खराब |
4 |
3 |
4 |
4 |
3 |
4 |
4 |
6 |
माता-पिता का स्वास्थ्य खराब |
7 |
6 |
6 |
4 |
5 |
6 |
6 |
6 |
संतान का स्वास्थ्य खराब |
3 |
2 |
3 |
2 |
1 |
2 |
1 |
1 |
किसी सदस्य का स्वास्थ्य खराब |
21 |
15 |
18 |
15 |
12 |
17 |
15 |
18 |
मुखिया उत्तेजित रहता है |
5 |
6 |
7 |
5 |
6 |
7 |
8 |
8 |
मुखिया शांत रहता है |
8 |
6 |
7 |
7 |
5 |
6 |
5 |
5 |
पत्नी से झगड़ा |
1 |
2 |
1 |
2 |
1 |
0 |
1 |
1 |
माता-पिता से झगड़ा |
0 |
1 |
1 |
1 |
0 |
0 |
2 |
1 |
संतान से झगड़ा |
1 |
1 |
0 |
2 |
1 |
1 |
1 |
1 |
वैचारिक मतभेद |
2 |
4 |
2 |
5 |
2 |
1 |
4 |
3 |
वैवाहिक समस्याएं |
0 |
0 |
0 |
0 |
0 |
0 |
0 |
0 |
नौकरों से समस्याएं |
2 |
1 |
1 |
3 |
1 |
2 |
1 |
1 |
आर्थिक स्थिति खराब |
1 |
0 |
2 |
1 |
1 |
2 |
0 |
1 |
घर में आने के बाद उन्नति |
9 |
11 |
8 |
11 |
14 |
12 |
8 |
11 |
मुखिया को व्यावसायिक समस्याएं |
1 |
2 |
2 |
1 |
0 |
1 |
0 |
2 |
निवेश में हानि |
0 |
1 |
1 |
1 |
0 |
0 |
0 |
1 |
चोरी |
0 |
0 |
1 |
0 |
1 |
0 |
0 |
0 |
सरकारी समस्याएं |
2 |
1 |
1 |
0 |
0 |
0 |
2 |
1 |
देरी से विवाह |
0 |
1 |
0 |
0 |
0 |
0 |
1 |
0 |
बच्चों की पढ़ाई की समस्याएं |
1 |
0 |
1 |
1 |
0 |
3 |
0 |
2 |
परिवार में अल्प मृत्यु |
0 |
0 |
0 |
0 |
1 |
0 |
0 |
0 |
उपरोक्त तालिका में निम्न शब्दों को इस प्रकार जानें -
उ- उत्तर, पू. - पूर्व, ई- ईशान (उ. पू.), वा- वायव्य (उ. प.) आ- आग्नेय (द. पू.) नै- नैर्ऋत्य (द. प.)
आर्थिक स्थिति: पूर्व व दक्षिण-पूर्व मुखी मकानों में आर्थिक स्थिति में कभी गिरावट नहीं आई जो दर्शाता है कि पूर्व दिशा आर्थिक संपन्नता प्रदान करती है।
गृह प्रवेश के बाद उन्नति: ईशानमुखी मकानों में प्रवेशोपरांत सर्वाधिक उन्नति हुई जो पूर्णतया शास्त्र सम्मत है। दक्षिण व दक्षिण-पश्चिम मुखी मकानों में न्यूनतम उन्नति हुई जो कि आंशिक रूपेण शास्त्र सम्मत है।
निवेश में हानि: उत्तर, उत्तर-पूर्व व उत्तर-पश्चिम मुखी मकानों को छोड़कर सभी में निवेश में हानि हुई अतः कह सकते हैं कि उत्तर व उत्तर दिशा से संबंधी दिशाएं निवेश के लिए बेहतर है। यह पूर्णतया वास्तु सम्मत है।
घरों में चोरी: दक्षिणमुखी व ईशानमुखी मकानों में चोरियां हुईं। ईशानमुखी में चोरी वास्तु सम्मत नहीं हैं लेकिन दक्षिणमुखी वास्तु सम्मत है।
सरकारी समस्याएं: उत्तर व आग्नेय मुखी मकानों में सरकारी तंत्र से सर्वाधिक समस्याएं पाई गईं जो कि शास्त्र सम्मत नहीं था।
विवाह में देरी: पूर्व व दक्षिणमुखी मकान में देरी से विवाह का योग आया। दक्षिणमुखी मकान विवाह में विलंब कारक होता है।
पढ़ाई: पढ़ाई के लिए पूर्व, उत्तर-पूर्व एवम् दक्षिण-पूर्व मुखी मकान सर्वोत्तम पाए गए एवं पश्चिम व पश्चिम संबंधी दिशा की ओर मुखी मकान निकृष्ट पाए गए। इस प्रकार वास्तु का नियम कि पूर्व दिशा पढ़ाई के लिए सर्वोत्तम व पश्चिम निकृष्ट है सत्य सिद्ध हुआ।
अल्पमृत्यु: सभी दिशाओं को छोड़कर ईशानकोण मुखी मकान में अल्पमृत्यु का योग दृष्टिगोचर हुआ जो कि वास्तु सम्मत नहीं था।
उपरोक्त शोध से विदित होता है कि सर्वप्रथम किसी भी दिशा को विशेषतया अच्छा या बुरा कहना तर्क संगत नहीं लगता। दिशा का कुछ प्रभाव है लेकिन हम पूर्ण रूप से उस पर निर्भर हो जाएं और अपने घर को वास्तु सम्मत न मानकर मानसिक तनाव के शिकार हो जाएं यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
वास्तु से हमारे जीवन में सुख समृद्धि का प्रभाव तो अवश्य है परंतु यह उतना नहीं है कि हम इस पर पूर्णतया निर्भर हो जाएं। अतः हमें वास्तु का उपयोग सीमित रूप में करना चाहिए न कि अत्यधिक तोड़-फोड़ करके अपने धन का अपव्यय करें। यदि आप नया घर बना रहे हैं तो अवश्य वास्तु सम्मत बनाएं लेकिन यदि पुराने घर में रह रहे हांे तो उसे तोड़ने की बजाए फर्नीचर को वास्तु सम्मत रखकर व रंगों द्वारा अपने जीवन को सुखमय बनाएं।